इन पांच माइक्रोग्रीन्स को अभी से खाना शुरू करें

Update: 2023-05-07 15:16 GMT
माइक्रोग्रीन को डायट में शामिल करना सिर्फ़ शौक नहीं है बल्कि वास्तव में ये पोषकतत्चों से भरे खाद्य पदार्थ हैं, जिन्हें लम्बे समय तक बिना किसी नुक़सान के खाया जा सकता है. ये माइक्रोग्रीन्स सब्ज़ियों के छोटे रूप हैं, जिन्हें अंकुरित होने के दो से तीन सप्ताह के बाद ही जड़ सहित उखाड़कर या फिर बिल्कुल नीचे से काट कर खाया जाता है. इनमें आयरन, विटामिन्स और मिनरल्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो आपके शरीर के लिए बहुत की आवश्यक तत्व हैं. इसके अलावा इनमें पूरी तरह से विकसित सब्ज़ियों की तुलना में अधिक पोषकतत्व मौजूद होते हैं. यह पचाने में भी काफ़ी आसान होते हैं.
ब्रोकलि
पूरी तरह से विकसित ब्रोकलि के सेहत से जुड़े कई फ़ायदे हैं, लेकिन बेबी ब्रोकलि भी इनसे बिल्कुल पीछे नहीं हैं. यदि आप उन्हें उगाने के 10 से 15 दिनों के बाद ही काट लेते हैं तो, उनमें सल्फ़ोराफ़ैन की सबसे अधिक मात्रा होती है. यह एक तरह का नैचुरल कम्पाउंड है, जो कैंसर की रोकथाम के गुणों से भरपूर होता है. ब्रोकलि हार्ट हेल्थ को बढ़ाने के साथ टाइप 2 डायबिटीज़ को कंट्रोल करने का काम करती है.
वॉटरक्रेस (जलकुंभी)
वॉटरक्रेस में नाइट्रेट लेवल हाई होता है, जो ब्लडप्रेशर को कम करने और शरीर में में सही मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है. लगभग 70 ग्राम वॉटरक्रेस में केवल सात कैलोरी होती है, जबकि प्रोटीन की मात्रा 1.6 ग्राम होती है. इसमें हमारे शरीर के लिए ज़रूरी विटामिन्स की मात्रा का 212 प्रतिशत विटामिन के, 48 प्रतिशत विटामिन सी और 44 प्रतिशत विटामिन ए भी होता है. वॉटरक्रेस के नियमित सेवन से हड्डियों का घिसना, कॉलेस्टेरॉल और मोटापा में कमी आती है. इसमें ऐंटी-इंफ़्लेमेटरी, ऐंटी-वायरल और ऐंटी बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं.
अर्गुला
इसे दुनियाभर में सुपरफ़ूड की श्रेणी में रखा गया है. अर्गुला माइक्रोग्रीन्स में विटामिन ए, बी, सी और ई तथा कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम जैसे खनिज भी पाए जाते हैं. प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होने के कारण यह एक बेहतरीन फ़ूड बन जाता है.
रेड कैबेज
रेड कैबेज माइक्रोग्रीन्स इन्फ़्लेमेशन को कम करता है, जबकि इसमें पाया जानेवाला एस-मिथाइलमिथिऑनाइन नामक कम्पाउंड पेट संबंधी परेशानियों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है. रिसर्च के मुताबिक इसमें मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने और अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियों को रोकने की क्षमता भी होती है.
हरी धनिया
ये माइक्रोग्रीन्स (हरी धनिया) बहुत पहले से ही भारतीय रसोई का हिस्सा रही है, इसका उपयोग खाना सजाने और चटनी बनाने के लिए किया जाता है. धनिया में कैरोटिनॉइड जैसे वसा में घुलनशील ऐंटी­-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो सेल प्रोटेक्शन और हेल्थ के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इसके अलावा इसमें विटामिन ई, जो कि इम्यून सिस्टम मज़बूत करने और ब्लड हेल्थ के लिए ज़रूरी विटामिन के की भी अच्छी मात्रा होती है.
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