नींद पूरी न हो पर होगी समस्या, जानिए हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए क्या करें
हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए जितना अहम रोल खानपान और व्यायाम का होता है
हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए जितना अहम रोल खानपान और व्यायाम का होता है, उतनी ही जरूरी नींद भी होती है. विशेषज्ञों की मानें तो स्वस्थ शरीर के लिए हर व्यक्ति को कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए. लेकिन इस तकनीकी दुनिया ने इंसान की पूरी दिनचर्या को ही बिगाड़कर रख दिया है.
काम का प्रेशर ऐसा है कि सुकूनभरी नींद के लिए भी कई जतन करने पड़ते हैं. बिस्तर पर लेटने के बाद भी थके हुए शरीर को हर वक्त चलता दिमाग ठीक से सोने नहीं देता और घंटों करवटें बदलते निकल जाते हैं. नींद का पूरा न होना इंसान के लिए कितनी समस्याएं खड़ी कर सकता है, इसका अंदाजा भी शायद आपको न हो. यहां जानिए इसके बारे में.
तनाव, गुस्सा और डिप्रेशन
नींद पूरी नहीं होने से दिमाग को आराम नहीं मिल पाता और वो हर वक्त चलता रहता है. इसके कारण स्ट्रेस बढ़ता है. तनाव की स्थिति में कभी कोई काम ठीक से नहीं हो पाता. ऐसे में गुस्सा, इरिटेशन और डिप्रेशन जैसी दिक्कतें होना शुरू हो जाती हैं.
दिल की सेहत पर बुरा असर
ठीक तरीके से नींद न ले पाने से शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट प्रभावित होता है. इसकी वजह से शरीर में चर्बी बढ़ने लगती है. ऐसे में दिल की सेहत पर बुरा असर पड़ता है और हाई बीपी, डायबिटीज और हृदय संबन्धी परेशानियों का रिस्क बढ़ जाता है.
इम्यून सिस्टम होता कमजोर
कोरोना काल में इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने की बातें हो रही हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरी नींद न लेने से हमारा रोग प्रतिरोधक तंत्र प्रभावित होता है और अगर इम्युनिटी कमजोर हो तो व्यक्ति को कोई भी इंन्फेक्शन, खांसी, जुकाम, बुखार आदि समस्याएं जल्दी घेर लेती हैं.
ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क
तमाम रिसर्च बताती हैं कि नींद पूरी नहीं होने से शरीर की कोशिकाओं को काफी नुकसान पहुंचता है, जिसकी वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
हार्मोनल समस्याएं
आजकल महिलाओं में थायरॉयड, पीसीओडी जैसी कई हार्मोनल परेशानियां का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. इसकी बड़ी वजह स्ट्रेस है. नींद की कमी से भी स्ट्रेस बढ़ता है और ये तनाव कई समस्याओं की वजह बनता है. इसकी वजह से हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं और महिलाओं में चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग, पीरियड की अनियमितता, मोटापा जैसी परेशानियां हो जाती हैं. ये परेशानियां अन्य बीमारियों को न्योता देती हैं.
निर्णय लेने की क्षमता होती कमजोर
आधी अधूरी नींद का असर याददाश्त पर भी पड़ता है और व्यक्ति रोजमर्रा की सामान्य बातें भी भूलने लगता है. इसकी वजह से उसकी निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होती है. जिसकी वजह से कॉन्फिडेंस कम होता है.