स्‍लीप एप्निया हो सकता है जानलेवा जाने इस बीमारी कारण

भारत में 6 मिलियन यानि 60 लाख लोग स्‍लीप एप्निया के शिकार हैं और उसमें से 80 फीसदी लोगों को कभी अपनी बीमारी का पता नहीं चलता.

Update: 2022-02-16 12:31 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  भारत में 6 मिलियन यानि 60 लाख लोग स्‍लीप एप्निया के शिकार हैं और उसमें से 80 फीसदी लोगों को कभी अपनी बीमारी का पता नहीं चलता. अमेरिकन स्‍लीप एप्निया एसोसिएशन का डेटा कहता है कि ज्‍यादातर मामलों में स्‍लीप एप्निया मौत का कारण इसलिए बनता है क्‍योंकि यह बीमारी कभी डायग्‍नोस नहीं हो पाती.

स्‍लीप एप्निया की वजह से हायपरटेंशन, हृदयाघात, स्‍ट्रोक, ब्रेन स्‍ट्रोक, प्री डायबिटीज और यहां तक कि रोड एक्सिडेंट होने का खतरा भी बढ़ जाता है.
स्‍लीप एप्निया से जुड़ी दुनिया की अब तक की सबसे लंबी हेल्‍थ स्‍टडी, जिसे विस्‍कॉन्सिन स्‍लीप कोहॉर्ट स्‍टडी (Wisconsin Sleep Cohort Study) के नाम से जाता जाता है, का निष्‍कर्ष ये है कि स्‍लीप एप्निया से पीडि़त 30 फीसदी लोग अर्ली डेथ के शिकार होते हैं. खुद इस स्‍टडी में जिन लोगों को शामिल किया गया था, उसमें मरने वाले 19 फीसदी लोग वो थे, जो एक्‍यूट ऑब्‍सट्रक्टिव स्‍लीप एप्निया से पीडि़त पाए गए.
अमेरिकन स्‍लीप एप्निया एसोसिएशन की वेबसाइट पर इस बीमार के जो प्रमुख लक्षण बता ए गए हैं, उसमें से एक ये भी है कि स्‍लीप एप्निया से ग्रस्‍त व्‍यक्ति दिन भर उनींदा रहता है. यदि आपको दिन में हर वक्‍त थकान, कमजोरी और नींद का एहसास होता है तो मुम‍किन है कि आपको स्‍लीप एप्निया हो. आपको तत्‍काल इसकी जांच करवानी चाहिए.
जिन लोगों को स्‍लीप एप्निया होता है, जरूरी नहीं उन्‍हें खुद भी इस बात का एहसास हो. मुमकिन है कि आप रोज रात में सही समय पर सोने जाते हों और 7 से 8 घंटे की नींद लेते हों. आपको तो यही लगेगा कि आपका नींद को पूरा समय दे रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि उस 7 से 8 घंटे में आपकी नींद कितनी बार टूटी, माइंड और ब्रीथिंग सिस्‍टम का कनेक्‍शन कितनी बार बाधित हुआ.
स्‍लीप एप्निया सिर्फ इंसोम्निया नहीं है. हमारे शरीर का हरेक अंग और उसकी गतिविधि हजारों तंत्रिकाओं के जरिए मस्तिष्‍क से जुड़ी हुई है. दोनों के बीच हजारों की संख्‍या में वायर जुड़े हैं, जो लगातार संदेशों का आदान-प्रदान कर रहे होते हैं. जब इस वायरिंग में कोई व्‍यवधान उत्‍पन्‍न होता है और नींद में माइंड और ब्रीथंग सिस्‍टम का कनेक्‍शन टूट जाता है तो उस स्थिति को स्‍लीप एप्निया कहते हैं.
स्‍लीप एप्निया के शिकार व्‍यक्ति को खुद कई बार पता नहीं चलता कि उसे यह समस्‍या है. नींद में हमारे साथ क्‍या हो रहा है, वो खुद हमें पता नहीं चलता. लेकिन उसके लक्षण अन्‍य रूपों में जरूर प्रकट होने लगते हैं. इसलिए नींद से जुड़े किसी भी डिऑर्डर को नजरंदाज नहीं करना चाहिए.


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