School: जाने बच्चों को प्री स्कूल भेजने की सही उम्र

Update: 2024-06-20 08:57 GMT
School: पेरेंट्स आज कल अपने बच्चों की बिना सही उम्र जानें ही प्री स्कूल भेज देते हैं। उन्हें अक्सर लगता है कि बच्चे की ढाई-तीन साल उम्र होने पर ही उन्हें प्री स्कूल में भेजना सही है। ऐसे में उम्र से पहले ही स्कूल में भेजना उनके लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। बहुत कम लोगों ये जानकारी है कि प्रीस्कूल में भेजने की भी एक निश्चित उम्र होती है। दरअसल, एक रिसर्च के अनुसार खुलासा हुआ है कि बच्चों को समय से पहले स्कूल भेजने से उसके बिहेवियर पर बुरा
EFFECT
पड़ता है और साथ ही इसमें सही उम्र में pre school भेजने से होने वाले बेनिफिटस भी बताए गए हैं। चलिए अब उनके बारे में आपको बताते हैं।
बच्चे को प्रीस्कूल भेजने का सही समय
ज्यादातर प्रीस्कूल कम से कम ढाई साल की उम्र के बच्चों को लेने की परमिशन देते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं हुआ कि हर बच्चा जो इस उम्र तक पहुंच जाए, वह प्रीस्कूल जा सकता है। क्यूंकि हर बच्चा न केवल शारीरिक रूप से बल्कि सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी अलग तरह से बढ़ता है। इसलिए, आप विचार कर के ही उन्हें स्कूल में डालें।
कैसे पता करें कि क्या आपका बच्चा प्रीस्कूल के लिए तैयार है?
प्रीस्कूल जाने वाले बच्चे को फिजिकली और इमोशनली स्ट्रांग बनाना बहुत जरूरी है। साथ ही बच्चे को कुछ बेसिक चीजें खुद से करने की जरूरत है, जैसे कि भोजन करना, पानी पीना, टॉयलेट जाना, खेलने के बाद हाथ धोना, अकेले सोना इत्यादि। दरअसल ये सब चीजें बच्चे के नॉर्मल रूटीन में होती है।
बच्चों को प्रीस्कूल भेजने के लाभ
- प्रीस्कूल जाने से बच्चों में 
Self Support
 
की भावना विकसित होती है और उसे अपनी खुद की पसंद की चीज को चुनने का अवसर मिलता है, बच्चों में ये स्किल भविष्य में उपयोगी साबित होती है।
- प्रीस्कूल जाकर बच्चा आत्मनिर्भर बन जाता है, क्यूंकि यहां उसको खाने, सोने, हाथ धोने जैसे रोजर्मरा के काम खुद से करते हैं।
- प्री-स्कूल जाने से बच्चा लोगों के बीच में बोलना सीख सकता हैं। प्रीस्कूल में बच्चों को कक्षा में कविता, कहानी, पार्थना, एक्टिंग
जैसे विभिन्न वर्बल एक्टिविटीज में शामिल किया जाता है, ताकि बच्चे की पर्सनेलिटी को बेहतर बनाया जा सके।
- प्रीस्कूल आपके बच्चे को सर्कल टाइम, स्टोरी टेलिंग, बुक रीडिंग आदि Activities के जरिए फोकस करना सिखाता है। बल्कि यहां अकादमिक लर्निंग के साथ-साथ प्ले टाइम का भी बैलेंस बनाकर रखा जाता है।
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