शोध में हुआ खुलासा- कोरोना में हल्के लक्षण के मरीजों से संक्रमण का खतरा इतने दिन तक

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हो रहे शोध नई-नई जानकारियां लेकर आ रहे हैं।

Update: 2020-10-21 13:00 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हो रहे शोध नई-नई जानकारियां लेकर आ रहे हैं। शोध के इन परिणामों से ही हमें सतर्कता बरतने का आधार मिलता है। ऐसी ही एक शोध में यह बात सामने आई है कि जिन मरीजों में हल्के या कोई लक्षण नहीं हैं, उनसे सिर्फ दस दिन तक ही संक्रमित होने का खतरा रहता है। यह जानकारी उन्हीं संदर्भो में है, जिसमें अमेरिका के डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन सेंटर ने अपनी गाइडलाइन तैयार की है। गाइडलाइन में आइसोलेशन की अवधि इसी शोध के आधार पर तय की गई है।

शोध के परिणाम ये बताते हैं कि किसी भी संक्रमित व्यक्ति के वायरल आरएनए से ही यह पता नहीं लगाया जा सकता है कि उसका संक्रमण दूसरों को संक्रमित करने के लिए कितना घातक है। शोध करने वाली ओएचएसयू स्कूल ऑफ मेडिसिन की असिस्टेंट प्रोफेसर मोनिका सिक्का ने बताया, वायरल आरएनए के संक्रमण की तीव्रता का और अधिक अध्ययन करने के लिए ही शोध को आगे बढ़ाया गया।

शोध के दौरान यह जानकारी मिली कि जिन संक्रमित व्यक्तियों में हल्के लक्षण थे, उनमें सक्रिय वायरस की मौजूदगी तो मिली, लेकिन संक्रमण फैलने का खतरा नहीं मिला। विश्वभर में ऐसे 77 अध्ययन किए गए। इन अध्ययनों को पॉलीमर्स चेन रिएक्शन (पीसीआर ) के माध्यम से किया गया। हालांकि पीसीआर के माध्यम से आए परिणामों में इस बात की संभावना है कि वायरस की मौजूदगी लंबी हो सकती है, लेकिन उसके संक्रमण फैलने की सक्रियता कम अवधि के लिए देखने को मिली।

जब से कोरोना वायरस का प्रसार हुआ है उसके बाद से लगातार रिसर्च की जा रही है। जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ा है उसके बाद की जा रही रिसर्च की रिपोर्ट चौंकाने वाली रही है। कई रिपोर्ट के नतीजे काफी बेहतर रहे हैं जिसका पालन किया जा रहा है। कई देशों में अब संक्रमण का दूसरा दौर शुरू हो गया है, इसको लेकर वैज्ञानिक भी काफी चिंतित हैं।

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