इस लाइलाज बीमारी को कभी ना करें नजरअंदाज

पीठ में दर्द को न करें नजरअंदाज

Update: 2021-10-10 07:10 GMT

जनता से रिश्ता वेब्डेस्क। पीठ में दर्द (Back pain) एक बहुत आम समस्या है और लगभग हर कोई कभी ना कभी इस समस्या से जरूर परेशान रहता है. ज्यादातर लोग इसे एक आम समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं जो आगे चलकर बहुत भारी पड़ सकती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, पीठ दर्द और उसकी वजह से होने वाले गंभीर खतरों को लेकर लोग अभी भी ज्यादा जागरुक नहीं हैं.

कब शुरू होती है समस्या- हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि आमतौर पर पीठ में दर्द की समस्या युवावस्था या 20 साल की उम्र के आसपास शुरू होती है, लेकिन इसकी सही वजह पता लगाने में 8.5 साल लग सकते हैं. अगर समय रहते इसका इलाज ना कराया जाए तो इसकी वजह से रीढ़ की कोशिकाएं भी खराब हो सकती हैं. इतना ही नहीं इसकी वजह से डेली रुटीन वाले काम करने में भी दिक्कत होती है. यहां तक कि अगर आपको मोजे पहनने हों तो भी पीठ दर्द की वजह से आपको ये करने में आपको काफी दिक्कत महसूस हो सकती है. गंभीर मामले में इससे शरीर में नई हड्डी भी बन सकती है.
पीठ दर्द नजरअंदाज करने के नुकसान- पीठ दर्द के ज्यादातर मामलों में लोगों को लगता है कि ये ज्यादा से ज्यादा गठिया की समस्या हो सकती है लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये इससे कहीं ज्यादा गंभीर हो सकता है. मरीज पीठ का दर्द का इलाज कराने की बजाय दर्द कम करने के तरीके ढूंढते हैं. लगातार पीठ दर्द ना सिर्फ कोशिकाओं और हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि ये मानसिक रूप से भी प्रभावित करता है.
हो सकती है ये बीमारी-
रीढ़ के जोड़ों में तकलीफ की वजह से पीठ के नीचले हिस्से और कूल्हों में दर्द होता है. डॉक्टर्स का कहना है कि ये साइटिका (Sciatica) भी हो सकता है और अक्सर लोग इस लाइलाज बीमारी को समझ नहीं पाते हैं. इसके अलावा ये Axial spondyloarthritis का भी संकेत हो सकता है. इस स्थिति में दर्द जोड़ों से शुरू होने वाला दर्द कूल्हों तक पहुंच जाता है. अक्सर लोग इन दोनों बीमारी में अंतर नहीं कर पाते हैं. डॉक्टर्स के अनुसार Axial spondyloarthritis का पता शुरू में नहीं चलता है और इसे पता करने के लिए एक्स-रे कराना पड़ता है.
Axial spondyloarthritis के शुरूआती लक्षण एक्स रे में नजर नहीं आते हैं जब तक कि ये गंभीर अवस्था में नहीं पहुंच जाता. यही वजह है कि इस बीमारी के बारे में पता करने में डॉक्टर्स को भी काफी समय लग जाता है. इसे पता लगाने के लिए MRI या फिर ब्लड टेस्ट भी कराया जा सकता है.


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