नासा की दिलचस्प खोज कर देगी हैरान

Update: 2023-08-18 13:27 GMT
मंगल ग्रह पर वायुमंडल होने के साथ-साथ पानी की भी पुष्टि हो चुकी है। कई मायनों में पृथ्वी से समानता के कारण यहां जीवन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसमें कार्बन-डाई-ऑक्साइड, नाइट्रोजन, आर्गन और ऑक्सीजन है। वहां काम कर रहे क्यूरियोसिटी रोवर को एक विशिष्ट हेक्सागोनल पैटर्न के साथ एक अच्छी तरह से संरक्षित प्राचीन मिट्टी का टुकड़ा मिला है, जिसे प्रारंभिक चरण में मंगल ग्रह पर गीले-सूखे चक्र का पहला सबूत माना जाता है। है। मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना को लेकर नासा की एक अभूतपूर्व खोज विज्ञान पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित हुई है। जिसमें नासा के क्यूरियोसिटी मार्स रोवर के डेटा से प्राप्त कुछ तस्वीरों में वैज्ञानिकों ने लाल ग्रह पर जीवन की संभावना जताई है।
नासा की दिलचस्प खोज
इस शोध का जिक्र नासा की वेबसाइट पर भी किया गया है। नासा के क्यूरियोसिटी मार्स रोवर द्वारा कैप्चर किया गया एक विशिष्ट गीला-सूखा चक्र इस संभावना को बढ़ा रहा है कि अतीत में मंगल पर जीवन था। नासा के रोवर (वैन) ने एक विशिष्ट हेक्सागोनल पैटर्न की खोज की है, जो अच्छी तरह से संरक्षित मिट्टी पर दरार के रूप में विकसित हुआ है। वैज्ञानिकों के अनुसार, ये विशेष मिट्टी की दरारें तब बनती हैं जब गीली-सूखी स्थिति बार-बार उत्पन्न होती है, शायद मौसम में लगातार बदलाव के कारण।
रासायनिक प्रक्रिया
मंगल की यह खोज मिट्टी युक्त परत और सल्फेट की खारी परत के बीच संक्रमण के कारण हुई थी। बार-बार सूखने और गीला होने के कारण ये मिट्टी के जोड़ कुछ नरम हो गए और वाई आकार में बदल गए। और आगे जाकर एक षटकोणीय पैटर्न में तब्दील हो गया.
मंगल ग्रह की पृथ्वी से समानता
इस शोध पर काम कर रही टीम के मुताबिक, मिट्टी के इस हिस्से का पाया जाना एक बड़ा सबूत है जो बताता है कि मंगल ग्रह पर पृथ्वी की तरह एक नियमित जलवायु थी, जिससे यहां गीला-सूखा चक्र बनता था। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इन गीले-सूखे चक्रों ने आणविक विकास को सुविधाजनक बनाया है, जिससे यहां जीवन का जन्म हुआ है। हालाँकि पानी मानव जीवन के अस्तित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए इस दिशा में अभी और अधिक शोध की आवश्यकता है। आपको बता दें कि भारत भी मंगल ग्रह से जुड़े शोध में लगा हुआ है। भारत ने भी साल 2014 में अपने पहले ही प्रयास में मिशन मंगल के तहत अपना मंगलयान भेजा था.
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