आईये आपको ले चले झीलों की नगरी नैनीताल में

Update: 2023-04-25 11:35 GMT
जब आप ख़ामोश ज़ंगल की गहराइयों में और खोती हैं तो रास्ते और परिदृश्य बड़ी तेज़ी से बदलने लगते हैं. संतरियों से खड़े वृक्ष हवा में झूमते हुए माहौल में गूंज जगा रहे होते हैं. उनकी फैली हुई शाखाओं को देखकर लगता है जैसे आसमान की ओर कोई सिर उठाए प्रार्थना की मुद्रा में हाथ जोड़े खड़ा हो. चहलक़दमी के दौरान जब ऐम्बर की सूखी पत्तियां आपके पैरों तले कुचली जाती हैं, तब बंदूक दागने जैसी आवाज़ आती है. लंबे-संकरे जंगली मार्ग पर कुछ दूर जाने के बाद एक बेतरतीब-सी, हरी छत वाली, भूरे पत्थरों से बनी इमारत को देखकर आप ठिठक जाएंगी. यह सतताल आश्रम है, जिसे डॉ ई स्टैन्ली जोंस ने वर्ष 1930 में स्थापित किया था. यह आश्रम उन सभी के लिए है, जो सचमुच ईश्वर को ढूंढ़ने की आकांक्षा रखते हैं. वैसे भी इस हरी भरी तपोभूमि की अथाह शांति में यह काम थोड़ा आसान हो जाता है.
जब आप मूड को थोड़ा बदलना चाहें तो अपना पिकनिक बास्केट निकालें और हरे भरे पेड़ों की छांव में ठंडी बीयर के कुछ घूंट भरें और थोड़ी झपकी ले लें. जब धुंधलका जंगल के विस्तार पर अपनी बैंगनी चादर बिछाने लगे तब वापस भीमताल लौटने की तैयारी करें.
नैनीताल की सड़कों पर लें घुड़सवारी का आनंद.Things to do in Nainital
अगली सुबह सतताल का रुख़ करें. यह भीमताल से आठ किलोमीटर दूर है. सतताल आपस में जुड़ी हुई झीलों का एक समूह है. इसकी पृष्ठभूमि में खड़े ओक और पाइन वृक्षों के पार से दिखने वाली हिमालय की चोटियां किसी परिकथा के दृश्य का अहसास कराती हैं.
सतताल के आस पास का दृश्य मनोहारी है. दूर दूर तक फैली हरी भरी पहाड़ियां और सीढ़ीदार खेत मन मोह लेते हैं. आप राम, सीता और लक्ष्मण झीलों पर अपना पड़ाव डालें, यहां घने पेड़ों से छनकर आती हरी रोशनी में नहाए टेबलों पर स्थानीय कारोबारी घुमंतू सैलानियों के लिए कढ़ी चावल व खीर के साथ साथ चाय-कॉफ़ी भी परोसते हैं. ऊपर आसमान में बादलों के झुंड सूरज के साथ लुकाछिपी का खेल रहे होते हैं. इस लुकाछुपी के चलते हर पल बदलते रंगों के प्रतिबिंब झीलों की सतह पर उतर आते हैं. झीलों के तट से लगी हुईं शोख रंगों वाली पैडल नौकाएं पर्यटकों के इंतज़ार में ऊंघती हुई सी प्रतीत होती हैं.
युवा साहसिक पर्यटकों के लिए सतताल एक बेहतरीन जगह है. यहां आप रैपेलिंग (रस्सी बांधकर खड़ी चट्टानों से नीचे उतरना) और पर्वतारोहण के मज़े ले सकती हैं या फिर पानी के ऊपर कुछ मीटर के फासले पर बंधी दो रस्सियों से बने बर्मा ब्रिजेज़ के सहारे इस सिरे से दूसरे सिरे तक घूम सकती हैं. आप यहां माउंटेन बाइकिंग और फ़िशिंग भी कर सकती हैं.
भीमताल झील में करें नौकायन.l
जंगलिया गांव से नीचे की ओर जाते हुए घुमावदार पहाड़ी रास्ते पर माउंटेन बाइकिंग करें. रास्ते में ज़रा देर रुककर यहां की लंबी पूंछ वाली चिड़िया देखने के अलावा नीचे गहरे हरे रंग की घाटी के बीच चमकते रुपहले-हरे रंग के नौकुचिया ताल का नज़ारा देखने का अनुभव ख़ास होगा. ताल का झिलमिलाता हुआ पानी ऐसा लगेगा, जैसे धरती की छाती पर जड़ा कोई क़ीमती नगीना झिलमिला रहा हो.
झीलों की रानी नैनीताल आपको कभी बेहद ख़ूबसूरत रही एक ऐसी स्त्री की याद दिला देगी, जो मद्घम रौशनी व ख़ास कोणों से आज भी उतनी ही मनोहारी लगती है! हरियाली से ढंके किलबरी हिल्स पहुंचें और यहां से ऊपर की ओर जाते हुए आपको नीचे की घाटी में चमकते नीले पानी से घिरे अव्यवस्थित नैनी शहर की एक बेहद ख़ूबसूरत छवि दिखेगी. घुमावदार रास्तों से होते हुए जैसे ही आप पहाड़ की दूसरी तरफ़ पहुंचेंगी, नैनीताल की सुप्रसिद्घ झील आंखों से ओझल हो जाएगी और हिमालय की बर्फ़ से ढंकी चोटियां क्षितिज पर उभर आएंगी.
भीमताल के हनुमान मंदिर जाना न भूलें.
नैनीताल झील में पिकनिक मनाएं.
नैनीताल से 15 किलोमीटर दूर बसे एक छोटे-से गांव पंगोत में अपनी गाड़ी को विराम दें और ओक, देवदार व पाइन के घने जंगलों के बीच बने ‘जंगल लोर बर्डिंग लॉज’ में पड़ाव डालें. नैनीताल की हलचलों से दूर, हिमालयन पर्वतों व जंगलों के बेल बूटेदार विस्तारों में आप इस पहाड़ी सैरगाह की शांति और निश्चलता का अनुभव करेंगी.
अगली सुबह बंदरों की चिंचियाहट से आपकी नींद टूटेगी. ये बंदर आस-पास के जंगलों से चले आते है. उन्हें खाना खिलाते समय काफ़ी सावधानी बरतें, क्योंकि ये खाना खिलानेवालों पर धावा बोल देते हैं.
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