जानें कैसे होता है कोरोना संक्रमण के बाद शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण...शोध में हुआ खुलासा

शोधकर्ताओं के मुताबिक जब वायरस पहली बार कोशिकाओं को संक्रमित करता है तो

Update: 2020-10-14 13:22 GMT
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना संक्रमण के बाद शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण कैसे होता है वैज्ञानिकों ने इस बारे में खुलासा किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक जब वायरस पहली बार कोशिकाओं को संक्रमित करता है तो प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) अल्पकालिक प्लाज्मा कोशिकाएं बनाती हैं। यही कोशिकाएं वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाती हैं। इन एंटीबॉडी को संक्रमण के 14 दिन के भीतर ब्लड टेस्ट में देखा जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि इम्यून रिस्पांस का दूसरा चरण लंबे समय तक जीवित रहने वाली प्लाज्मा कोशिकाओं का निर्माण करती हैं, जो उच्च गुणवत्ता वाली एंटीबॉडी बनाती हैं। अमेरिका में भारतीय मूल के शोधकर्ता के नेतृत्व में किए गए अध्ययन से पता चला है कि कोरोना मरीजों में जो एंटीबॉडी विकसित होती हैं वह लगभग पांच महीनों तक बनी रह सकती हैं।

कोरोना संक्रमित लगभग 6,000 लोगों में बनी एंटीबॉडी का अध्ययन करने के बाद एरिजोना विश्वविद्यालय (University of Arizona) के शोधकर्ताओं ने यह बात कही है। विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर दीप्ति भट्टाचार्य ने कहा कि हमें कोरोना संक्रमण के पांच से सात महीनों बाद भी मरीजों में उच्च गुणवत्ता वाली एंटीबॉडी का पता चला है।

जनरल इम्यूनिटी में बुधवार को प्रकाशित अध्ययन में प्रोफेसर जंको निकोलिच जुगिच ने कहा कि कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी को लेकर कई तरह की चिंताएं व्यक्त की गई हैं और लगातार यह बात कही जाती रही है कि यह स्थायी नहीं है। हमने इस अध्ययन का उपयोग इस प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए किया और पाया कि इम्यूनिटी कम से कम पांच महीनों तक बरकरार रह सकती है।

एसोसिएट प्रोफेसर दीप्ति भट्टाचार्य और प्रोफेसर जंको निकोलिच जुगिच ने कोरोना मरीजों में बनी एंटीबॉडी का कई महीनों तक विश्लेषण के बाद यह निष्‍कर्ष निकाला। शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना एंटीबॉडी कम से कम पांच से सात महीनों तक ब्लड टेस्ट में मौजूद हैं। 

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