डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी होना एक गंभीर स्थिति है, जिसके कारण अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रकार के असर हो सकते हैं। विशेषतौर पर गर्मी दिनों में डिहाइड्रेशन की समस्या अधिक देखी जाती है, क्योंकि हमारे शरीर से अधिक पसीना निकल जाता है और इस अनुपात में हम पानी नहीं पीते हैं। यही कारण है कि सभी लोगों को रोजाना कम से कम 3-4 लीटर पानी जरूर पीने की सलाह दी जाती है।
हार्वर्ड हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) की गंभीर स्थिति आपमें स्ट्रोक के खतरे को भी बढ़ा देती है। लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी के एक शोध के मुताबिक, रोजाना कम से कम पांच गिलास पानी पीने से स्ट्रोक का खतरा 53 फीसदी तक कम हो जाता है। यह स्ट्रोक की स्थिति में रोगी के लक्षणों में भी सुधार कर सकता है।
आइए जानते हैं कि कम पानी पीना किस तरह से स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देता है और इससे और किस प्रकार की समस्याओं का खतरा हो सकता है?
डिहाइड्रेशन और स्ट्रोक का जोखिम
जॉन्स हॉपकिन्स अस्पताल के विशेषज्ञों ने एक रिपोर्ट में बताया कि स्ट्रोक के रोगियों में अगर पानी की कमी हो जाती है, तो उनमें गंभीर स्वास्थ्य जोखिम होने का खतरा चार गुना तक बढ़ जाता है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि डिहाइड्रेशन रक्त वाहिकाओं में एंडोथेलियल कार्यों में बाधा डाल सकती है, जिसके कारण रक्त का प्रवाह भी बाधित हो जाता है, इससे स्ट्रोक और हृदय रोगों का खतरा हो सकता है।
अध्ययन के परिणामों के आधार पर सुझाव दिया गया कि सभी लोग अगर सामान्य हाइड्रेशन को बनाए रखते हैं तो यह हृदय रोग के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
लो ब्लड वॉल्यूम शॉक (हाइपोवॉलेमिक शॉक)
निर्जलीकरण के कारण हाइपोवॉलेमिक शॉक की समस्या काफी अधिक देखी जाती है, जो गंभीर और कभी-कभी जानलेवा भी हो सकता है। शरीर में पानी की कमी के कारण रक्तचाप में गिरावट के साथ शरीर में ऑक्सीजन की भी कमी होने लगती है, जिसके कारण इस तरह की दिक्कतों का खतरा रहता है। बहुत गर्म स्थानों में इसका जोखिम अधिक देखा जाता रहा है।
हीट स्ट्रोक
गर्मी के दिनों में हीट स्ट्रोक होना बहुत कॉमन है जिसका प्रमुख कारण डिहाइड्रेशन माना जाता है। जोरदार व्यायाम करने और अत्यधिक पसीना आने पर शरीर में पानी की कमी होने लगती है। इसके अनुपात में अगर आप पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ नहीं पीते हैं, तो हीट स्ट्रोक हो सकता है। इसमें उल्टी, लो ब्लड प्रेशर जैसी दिक्कतों का खतरा भी रहता है, कुछ स्थितियां जानलेवा तक भी हो सकती हैं।
किडनी की समस्याएं
लंबे समय तक या बार-बार डिहाइड्रेशन होने के कारण मूत्र पथ के संक्रमण, किडनी की पथरी और यहां तक कि किडनी फेलियर भी हो सकती है। शरीर में पानी की कमी होने का सबसे अधिक दुष्प्रभाव किडनी पर होता है, इसको स्वस्थ रखने के लिए अधिक मात्रा में पानी-तरल पदार्थों का सेवन करें।