जानिए कब है तंबाकू निषेध दिवस इतिहास, विषय और महत्व

विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास

Update: 2021-05-29 16:30 GMT

विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2021 हेल्थ पर तंबाकू के हानिकारक प्रभावों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए 31 मई को मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है. ये अभियान लोगों से COVID-19 महामारी के समय में एक हेल्दी लाइफस्टाइल की भी गुहार लगाता है. 1988 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन की वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने एक प्रस्ताव WHA42.19 पारित किया, जिसमें विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का आह्वान किया गया था.

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि, "दुनिया भर में 1.3 बिलियन तंबाकू यूजर्स में से 70 फीसदी से ज्यादा के पास उन टूल्स तक पहुंच नहीं है, जिन्हें उन्हें सफलतापूर्वक छोड़ने की जरूरत है. आखिरी सेवाओं तक पहुंच में ये अंतर केवल पिछले वर्ष में और ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि हेल्थ वर्कफोर्स को महामारी को संभालने के लिए जुटाया गया है.
SAGE जर्नल में पब्लिश्ड 2018 के रिसर्च के मुताबिक, भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा कंज्यूमर है. इतना ही नहीं, WHO के मुताबिक, तंबाकू के विपरीत प्रभाव की वजह से हर साल 80 लाख लोगों की मौत हो जाती है.
विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास
डब्ल्यूएचओ की वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने 7 अप्रैल, 1988 को एक प्रस्ताव WHA42.19 पारित किया, जिसमें इस दिन को मनाने का आह्वान किया गया था. इस अभियान का निरीक्षण करने का उद्देश्य "तंबाकू महामारी और इससे होने वाली बीमारी और रोके जा सकने वाली मृत्यु की ओर विश्व का ध्यान आकर्षित करना था". तब से ये दिन लोगों को तंबाकू छोड़ने का गुहार लगाने के लिए मनाया जाता है.
विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2021 थीम
इस वर्ष की थीम "छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध" हैं. ये अभियान लोगों को स्वस्थ जीवन के लिए तंबाकू छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है. लोगों को इसके हानिकारक प्रभावों को समझाने के लिए WHO के जरिए जागरूकता पैदा करने के लिए कई प्रदर्शनियों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. हालांकि, पिछले साल की तरह, इस साल भी, चल रहे COVID-19 महामारी की वजह से कोई सार्वजनिक अभियान नहीं होगा. लेकिन लोग एक वर्चुअल इवेंट ऑर्गेनाइज कर सकते हैं जिसमें वो लोगों को खेल या रीयल-लाइफ की कहानियों के जरिए शिक्षित कर सकते हैं.
तंबाकू के हानिकारक प्रभाव
तंबाकू कई गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है, जैसे कि फेफड़े के रोग, ट्यूबरकुलोसिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) आदि. इतना ही नहीं, इससे फेफड़े का कैंसर और मुंह का कैंसर भी हो सकता है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में सभी तरह के कैंसरों में तंबाकू का योगदान तकरीबन 30 फीसदी है


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