जानें किस वजह से फेफड़ों पर होता है वायरस का अटैक

शोधकर्ताओं ने फेफड़ों पर वायरस के गंभीर हमले का कारण खोज निकाला है।

Update: 2020-12-31 13:36 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शोधकर्ताओं ने फेफड़ों पर वायरस के गंभीर हमले का कारण खोज निकाला है। उन्होंने यह बताया है कि फेफड़ों में किस तरह विविध प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाएं (इम्यून सेल्स) विकसित होती हैं और इनमें से कौन फेफड़ों के रोग का कारण बन सकती हैं। इस खोज से कोरोना वायरस (कोविड-19) समेत कई रोगों से मुकाबले के लिए नए उपचारों के विकास की राह खुल सकती है।


मैक्रोफेज नामक इन कोशिकाओं के विकास पर अभी तक सीमित अध्ययन किया गया था। स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं का यह नया अध्ययन इम्युनिटी पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने लंग मैक्रोफेज के विकास पर अध्ययन के लिए एक मॉडल का इस्तेमाल किया। इसके साथ ही कोशिकाओं में जीन की गतिविधि और आरएनए सीक्वेंसिंग पर गौर करने के अलावा यह पता लगाया कि ब्लड मोनोसाइट्स किस तरह लंग मैक्रोफेज में तब्दील होते हैं।

इस अध्ययन की अगुआई करने वाले कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के असिस्टेंट प्रोफेसर टीम विलिंगर ने कहा, 'हमारे शोध से जाहिर होता है कि क्लासिकल मोनोसाइट्स वायुमार्ग (एयरवे) और लंग टिश्यू में दाखिल होते हैं। इसके बाद मैक्रोफेज में बदल जाते हैं। इससे फेफड़ों की सेहत और कार्यप्रणाली को सुरक्षा मुहैया होती है।' विलिंगर के अनुसार, हमने एचएलए-डीआरएचआइ नामक एक खास प्रकार के मोनोसाइट की भी पहचान की है। यह ब्लड मोनोसाइट और एयरवे मैक्रोफेज के बीच का एक इंटरमीडिएट इम्यून सेल है। मैक्रोफेज प्रतिरक्षा कोशिकाएं हैं, जो वायरल हमलों से फेफड़ों की रक्षा करती हैं। हालांकि कुछ खास स्थितियों में इनमें से कुछ कोशिकाएं क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसे फेफड़ों के रोग और कोविड-19 को गंभीर कर सकती हैं।'



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