जानिए, सी-सेक्शन डिलीवरी क्या है इसके जोखिम !
आजकल महिलाएं सामान्य प्रसव के दर्द से बचने के लिए सी-सेक्शन डिलीवरी का विकल्प खुद चुन रही हैं. लेकिन इसके कुछ जोखिम भी हैं, जिनके बारे में उन्हें पता नहीं होता. यहां जानिए इसके बारे में.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क।
पेट और गर्भाशय में चीरा लगाकर शिशु का जन्म कराने की प्रक्रिया को सिजेरियन-सेक्शन या सी-सेक्शन कहा जाता है. आमतौर पर कॉम्प्लिीकेशंस होने पर सी-सेक्शन डिलीवरी का सहारा लिया जाता है. लेकिन आजकल महिलाएं सामान्य प्रसव के दर्द से बचने के लिए सी-सेक्शन डिलीवरी का विकल्प खुद चुन रही हैं. वहीं कुछ महिलाएं मुहूर्त के हिसाब से बच्चे का जन्म कराना चाहती हैं, ऐसे में वे सिजेरियन डिलीवरी का चुनाव करती हैं.
कई बार डॉक्टर को अचानक से भी सिजेरियन डिलीवरी कराने का फैसला लेना पड़ता है. बता दें कि सी-सेक्शन पेट का एक बड़ा ऑपरेशन होता है. साथ ही इसमें सामान्य प्रसव के मुकाबले कुछ जोखिम भी होते हैं. यही वजह है कि पुराने लोग अक्सर नॉर्मल डिलीवरी कराने के पक्षधर होते हैं. यहां जानिए किन स्थितियों में ऑपरेशन की जरूरत पड़ सकती है और इसमें क्या जोखिम हैं.
– पहली डिलीवरी सी-सेक्शन से होने पर ज्यादातर मामलों में दूसरा बच्चा भी ऑपरेशन से होता है.
– बच्चे की पोज़ीशन ठीक न हो, गर्भ में सिर ऊपर और पैर नीचे होने पर डॉक्टर सर्जरी का फैसला ले सकते हैं.
– बच्चे की पोज़ीशन टेढ़ी हो या फिर बच्चा बार बार अपनी स्थिति बदल रहा हो.
– प्लासेंटा नीचे हो या प्लासेंटा प्रीविया हो. इसके अलावा हार्ट की समस्या या डायबिटीज होने पर भी बच्चा सिजेरियन हो सकता है.
– अगर पहले गर्भपात हो चुका हो या जुड़वां बच्चे हों तो भी सी-सेक्शन डिलीवरी के चांसेज बढ़ जाते हैं.
– गंभीर रूप से प्री-एक्लेमप्सिया होने पर भी प्रसव शीघ्र कराना होता है. ऐसे में विशेषज्ञ कई बार सर्जरी का फैसला ले सकते हैं. इसके अलावा कई बार इमरजेंसी की स्थितियों को देखकर भी तत्काल सर्जरी का फैसला लिया जा सकता है.
क्या है जोखिम
– कुछ महिलाओं का मानना है कि सिजेरियन डिलीवरी में दर्द नहीं होता, लेकिन आपको बता दें कि सर्जरी के दौरान बेशक दर्द न होता हो, लेकिन बाद में आपको बहुत दर्द बर्दाश्त करना पड़ सकता है.
– कई बार ऑपरेशन के दौरान आवश्यकता से ज्यादा खून बह जाता है, ऐसे में महिला की स्थिति गंभीर हो सकती है.
– कुछ महिलाओं को सर्जरी के बाद इंफेक्शन का भी खतरा रहता है. इसके अलावा खून के थक्के बनने का रिस्क बढ़ जाता है.
– लापरवाही करने पर कई बार टांके टूटने या पकने के मामले भी सामने आते हैं, जिसकी वजह से महिला को परेशानी झेलनी पड़ सकती है.