ब्रेकअप होने पर डिप्रेशन के शिकार बचने के लिए ये जाने तरीका
मेडिकल जरनल "सोशल साइंस एंड मेडिसिन" में प्रकाशित यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया की यह स्टडी कह रही है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वैसे तो रिश्तों का टूटना किसी के लिए भी आसान नहीं होता, लेकिन मेडिकल रिसर्च कहती है कि ये लड़कों के लिए लड़कियों के मुकाबले कहीं ज्यादा मुश्किल और जोखिम भरा हो सकता है. ब्रेकअप के बाद लड़कों के डिप्रेशन, एंग्जायटी और मेंटल इलनेस का शिकार होने की संभावना कहीं ज्यादा होती है.
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के मेन्स हेल्थ रिसर्च प्रोग्राम के अंतर्गत की गई इस स्टडी का नेतृत्व किया यूनिवर्सिटी के नर्सिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर जॉन ओलिफ ने. यह स्टडी मेडिकल जरनल सोशल साइंस एंड मेडिसिन– क्वालिटेटिव रिसर्च इन हेल्थ (Social Science and Medicine – Qualitative Research in Health) में प्रकाशित हुई है.
इस स्टडी को लीड करने वाले प्रो. जॉन ओलिफ कहते हैं कि अध्ययनों और आंकड़ों से पता चलता है कि शादी या प्रेम के रिश्ते टूटने पर पुुरुषों में सुसाइडल टेंडेंसी, डिप्रेशन, अवसाद, एंग्जाटी महिलाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा बढ़ जाती है. स्त्रियां इस तरह के तनाव को झेलने के लिए पुरुषों के मुकाबले ज्यादा समर्थ होती हैं.
प्रो. ऑलिव के मुताबिक एक बड़ी समस्या यह भी है कि पुुरुष महिलाओं की तरह अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में समर्थ नहीं होते. वो इस बात को स्वीकार भी नहीं करते कि उन्हें कोई दिक्कत है. हमेशा ताकतवर और मजबूत दिखने, कमजोरी प्रकट न करने का दबाव पुरुषों पर महिलाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा होता है. इसलिए वो अपनी तकलीफ को अपने ही भीतर दबा लेते हैं.
लेकिन वो सारी भावनाएं जो व्यक्त नहीं हो पातीं, वही तनाव, अवसाद, डिप्रेशन और बीमारियों के रूप में व्यक्त होती हैं. पुरुषों को अकसर ये पता भी नहीं होता कि इस समस्या से निजात पाने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए. पुरुष महिलाओं के मुकाबले थैरेपिस्ट के पास जाने या किसी प्रकार की मदद लेने के लिए भी बहुत सकारात्मक नहीं होते.
इस स्टडी के शोधकर्ताओं ने ये सुझाव दिया है कि पुरुषों में बढ़ रही मेंटल हेल्थ की समस्या को गंभीरता से लेते हुए ऐसे हेल्प सेंटरों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए जहां पुरुष आसानी से मदद के लिए जा सकें. साथ ही पुरुषों में इस बात को लेकर भी सजगता और जागरूकता फैलाने की जरूरत है कि वे अनावश्यक रूप से हर वक्त ताकतवर होने और दिखने का दबाव अपने ऊपर न लें. मानवीय कमजोरियों को स्वीकार करें और जरूरत पड़ने पर मदद भी मांगें. इससे उनके मर्दवाद या अहम पर कोई चोट नहीं लगती.