जानिए अंगदान के इतिहास और महत्व

आज 'विश्व अंग दान' दिवस है। यह हर साल 13 अगस्त को मनाया जाता है। इस मौके पर दुनियाभर में लोगों को अंग दान के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

Update: 2022-08-13 09:32 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।   आज 'विश्व अंग दान' दिवस है। यह हर साल 13 अगस्त को मनाया जाता है। इस मौके पर दुनियाभर में लोगों को अंग दान के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। स्वस्थ व्यक्ति मृत्यु के पश्चात अपने अंगों का दान कर अधिक से अधिक लोगों की जान बचा सकता है। इसमें किडनी, हार्ट, आंखें, अग्नाशय, फेफड़े आदि महत्वपूर्ण अंगों का दान किया जाता है। इससे उन लोगों को अभयदान मिलता है, जिन्हें स्वस्थ अंग की जरूरत रहती है। भारत में 27 नवंबर को 'अंग दान' दिवस मनाया जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो 65 वर्ष की आयु तक व्यक्ति अंग दान कर सकता है। इस साल की थीम "let's pledge to donate organs and save lives" यानी आइए, 'अंग दान कर लोगों की जान बचाने का संकल्प लें' है। आइए, अंग दान के इतिहास और महत्व के बारे में सबकुछ जानते हैं-

विश्व अंग दान का इतिहास
इतिहास के पन्नों को पलटने से पता चलता है कि साल 1954 में पहली बार अंगदान किया गया था। उस समय रोनाल्ड ली हेरिक ने अपने भाई को किडनी दान कर नया जीवनदान दिया था। वहीं, डॉक्टर जोसेफ मरे ने पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट किया था। इस मानवीय कार्य हेतु साल 1990 में डॉक्टर जोसेफ मरे को फिजियोलॉजी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
विश्व अंग दान का महत्व
विश्व अंग दान मनाने का उद्देश्य घायल और गंभीर रूप से बीमार (जिन्हें अंग की जरूरत है) लोगों की जान बचाना है। किसी व्यक्ति की जान बचाने में अंगदान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। चिकित्सा विज्ञान ने अंगदान के क्षेत्र में सुधार कर सभी मिथकों को समाप्त कर दिया है। अब किसी भी उम्र का व्यक्ति अपने अंगों का दान कर सकता है। मृत्यु उपरांत व्यक्ति के स्वस्थ अंगों से कई लोगों को अभयदान प्राप्त होता है। वर्तमान समय में लोग अंग दान के महत्व को समझकर अपने अंगों का दान कर रहे हैं। भारत सरकार द्वारा भी लोगों को अंगदान करने के लिए जागरूक किया जाता है।
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