जानिए तनाव, व्यायाम न करने से भी हो सकती है जीवनशैली संबंधी बीमारियां
क्रोनिक डिजीज एक महत्वपूर्ण ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इश्यू है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्रोनिक डिजीज एक महत्वपूर्ण ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इश्यू है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि 2030 तक वैश्विक स्तर पर होने वाली मौतों में क्रोनिक लाइफस्टाइल डिजीज की वजह से 70 प्रतिशत मौतें होंगी। दुनिया भर में महिलाओं की अस्वस्थ जीवन शैली के कारण उन्हें कई अलग प्रकार की स्वास्थ्य चिंताओं का सामना करना पड़ता है।
फेथ क्लिनिक की फाउंडर और कसंल्टेंट पीडिएट्रीशियन, एडोलेशेंट फिजिशियन डॉ. पाउला गोयल बताती हैं, 'ज्यादातर महिलाएं अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देती हैं। वास्तव में वे इसकी उपेक्षा करती हैं। इसके स्थान पर वे परिवार की देखभाल करने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं। यह स्थिति और भी जटिल हो जाती है जब वे वे कामकाजी महिलाएं होती हैं।' वे घर और ऑफिस दोनो को संतुलित करने की कोशिश करती हैं। घर और काम को संतुलित करना एक कठिन प्रक्रिया है। इसके लिए काफी स्किल की जरूरत पड़ती है।
अनियमित भोजन पैटर्न, मिसिंग मील्स, नींद की कमी, तनाव, शारीरिक गतिविधियों की कमी, व्यसनों, खराब रिलेशनशिप-ये सभी जीवन शैली की बीमारियों (पुरानी बीमारियों या गैर-संचारी रोगों) के विकास में योगदान करते हैं।
महिलाओं में जीवनशैली से जुड़ी कुछ प्रमुख बीमारियां कौन सी हैं?
हृदय रोग, स्ट्रोक, डायबिटीज, ओबेसिटी, मेटाबोलिक सिंड्रोम, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और कुछ प्रकार के कैंसर भी जीवनशैली से जुड़ी कुछ बीमारियां हैं। इसके कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं यहां तक कि मृत्यु भी हो जाती है।
स्वस्थ वजन बनाए रखना, नियमित रूप से व्यायाम करना, स्वस्थ आहार खाना और धूम्रपान न करना पुरानी बीमारियों के विकास के जोखिम को 80 प्रतिशत तक कम कर देता है। अनहेल्थी लाइफस्टाइल सभी जीवनशैली रोगों का मूल कारण बनती है। ये अक्सर बचपन में उत्पन्न होते हैं। समय के साथ चुपचाप विकसित होते रहते हैं। ये बिना किसी चेतावनी के प्रकट होते हैं, जिन्हें साइलेंट किलर भी कहा जाता है।
महिलाओं में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का खतरा किस वजह से बढ़ जाता है?
अनहेल्दी खाने की आदतें
अस्वास्थ्यकर भोजन पैटर्न और अनियमित भोजन से हिडन हंगर हो सकता है। इसका अर्थ है कि माइक्रोन्यूट्रीएंट्स की कमी हो सकती है।
तनाव
तनाव, नींद की कमी और शारीरिक गतिविधि की कमी वजन बढ़ाने में योगदान करती है। तनाव और नींद की कमी हार्मोन कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाती है, जिससे शरीर में सूजन आ जाता है। कोर्टिसोल हंगर और क्रेविंग्स को बढ़ाता है। इससे वजन बढ़ता है। इससे प्री-डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्मोन संबंधी समस्याएं और अंत में पीसीओएस हो सकता है।
आयु
35 साल की उम्र से ही महिलाओं को हृदय रोग और मधुमेह होने का खतरा अधिक होता है। हृदय रोग महिलाओं में रोके जा सकने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण है।
मेनोपॉज
मेनोपॉज से पहले एक महिला अपना एस्ट्रोजन एचडीएल (अच्छे) कोलेस्ट्रॉल बढ़ाकर और एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल कम करके जीवनशैली की बीमारियों, विशेष रूप से हृदय रोग से बचाव कर सकती है। मेनोपॉज के बाद पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कुल कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक होता है। ट्राइग्लिसराइड लेवल एक महत्वपूर्ण कारक है।
डायबिटीज
मोटापा, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे जोखिम वाले कारकों वाले पुरुषों की तुलना में मधुमेह महिलाओं में हृदय रोग के जोखिम को अधिक बढ़ाता है।
मधुमेह उन महिलाओं में दूसरे दिल के दौरे और हार्ट अटैक के जोखिम को दोगुना कर देता है, जिन्हें पहले से ही दिल का दौरा पड़ चुका है।
मेटाबोलिक सिंड्रोम
जिन महिलाओं में मेटाबॉलिक सिंड्रोम होता है, उन्हें मोटी कमर, हाई ब्लड प्रेशर, ग्लूकोज इनटॉलरेंस, लो एचडीएल कोलेस्ट्रॉल और हाई ट्राइग्लिसराइड्स की समस्याएं हो सकती हैं। उनमें हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह होने की संभावना अधिक होती है।
धूम्रपान
पुरुषों की तुलना में धूम्रपान करने वाली महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है। हृदय रोग, कैंसर, टाइप 2 डायबिटीज और अन्य रोग सभी लगातार, लो ग्रेड इन्फ्लेमेशन से प्रभावित होती हैं।
महिलाएं जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से कैसे बच सकती हैं?
स्वस्थ व्यवहार अपनाना, शारीरिक गतिविधि में सुधार करना, तंबाकू लेने से खुद को रोकना, शरीर के वजन को नियंत्रित करने के लिए हाई फाइबर, लो फैट डाइट, नींद की अच्छी आदतें, अत्यधिक शराब से बचना, तनाव का सामना करना और आवश्यकतानुसार सहायता प्राप्त करना मृत्यु के जोखिम को कम करता है।