जानिए कीटोएसिडोसिस की ऐसे करें पहचान
शरीर में इंसुलिन की फंक्शनिंग बिगड़ने के कारण लोगों को डायबिटीज की समस्या हो जाती है. यह एक जरूरी हार्मोन होता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शरीर में इंसुलिन की फंक्शनिंग बिगड़ने के कारण लोगों को डायबिटीज की समस्या हो जाती है. यह एक जरूरी हार्मोन होता है, जो हमारे ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है. टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों के शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है या बेहद कम मात्रा में बनता है. जबकि टाइप 2 डायबिटीज में इंसुलिन रजिस्टेंस की वजह से यह हार्मोन सही तरीके से काम नहीं कर पाता. इंसुलिन की कमी के कारण डायबिटीज की बीमारी हो जाती है. कई बार इलाज में लापरवाही बरतने या दवाओं को न लेने की वजह से शरीर में इंसुलिन काफी कम हो जाता है. ऐसी कंडीशन में लोगों की जान भी जा सकती है. जानें यह क्या है और किस तरह इससे बचाव किया जाए.
क्या है डायबिटिक कीटोएसिडोसिस?
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA) डायबिटीज की एक इमरजेंसी कंडीशन है, जिसे नजरअंदाज करने पर व्यक्ति की मौत हो सकती है. इस कंडीशन में डायबिटीज पेशेंट के शरीर में इंसुलिन की मात्रा बेहद कम हो जाती है और कोशिकाओं को एनर्जी के लिए जरूरी ब्लड शुगर नहीं मिल पाती. ऐसे में व्यक्ति का लिवर कीटोन्स नामक एसिड प्रोड्यूस करता है. कम समय में बहुत ज्यादा एसिड बनने से परिस्थिति काफी गंभीर हो जाती है और जल्द ही इलाज न मिलने पर मरीज की जान चली जाती है. आमतौर पर यह परिस्थिति टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों को होती है, लेकिन कई बार टाइप 2 डायबिटीज वाले लोग भी इसका शिकार हो जाते हैं.
कीटोएसिडोसिस की ऐसे करें पहचान
बहुत ज्यादा प्यास लगना
बार-बार यूरिन आना
सांसों का तेज हो जाना
स्किन और मुंह ड्राई होना
तेज सिर दर्द होना
मांसपेशियों में अकड़न या दर्द
अत्यधिक थकान और पेट दर्द
मतली और उल्टी होना
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस की बड़ी वजह
ब्लड शुगर बहुत ज्यादा होना और इंसुलिन का लेवल बहुत कम होने पर डायबिटिक कीटोएसिडोसिस की समस्या हो सकती है. डायबिटीज के मरीज जब बीमार हो जाते हैं और कुछ खा नहीं पाते, तो ऐसी कंडीशन में कीटोएसिडोसिस का खतरा बढ़ जाता है. इंसुलिन शॉट्स नहीं लेना या इंसुलिन की गलत खुराक भी इस परेशानी की वजह बन सकती है. इसके अलावा हार्ट अटैक, शारीरिक चोट, शराब या नशीली दवाओं का उपयोग और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स की वजह से भी ऐसा हो सकता है. इसलिए समय-समय पर अपने डॉक्टर से कंसल्ट करना बेहतर तरीका है.
ऐसे कर सकते हैं बचाव
अपने ब्लड शुगर की समय-समय पर जांच करते रहें. खासतौर से अगर आप बीमार हैं तो शुगर टेस्ट करवाना बिल्कुल भी न भूलें.
जितना हो सके अपने ब्लड शुगर लेवल को अपने टारगेट रेंज में रखें. डॉक्टर की दी हुई दवाएं समय पर लें. दवा स्किप न करें.
आप कैसी डाइट लेते हैं और आप कितने एक्टिव हैं, इसे लेकर अपने डॉक्टर से बात करें और इंसुलिन को मेंटेन करने की कोशिश करें.
अपने इलाज में लापरवाही न बरतें और किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
इंसुलिन शॉट्स सही मात्रा में लें. गलत खुराक लेने से परेशानी हो सकती है.