जानिए डायबिटीज कंट्रोल करने वाले योगासन के बारे में

आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री स्कूल ऑफ योग के वरिष्ठ योग प्रशिक्षक दिनेश काशीकर कहते हैं

Update: 2022-06-30 12:00 GMT

आजकल जिसे देखो वह डायबिटीज की बीमारी से ग्रस्त हो रहा है. वजह है खराब जीवनशैली अपनाना, खानपान में लापरवाही बरतना, घंटों भूखे रहना खासकर सुबह के समय. शारीरिक रूप से एक्टिव ना रहना, मोटापा आदि. डायबिटीज को यदि मैनेज ना किया जाए, तो यह कई अन्य शारीरिक अंगों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही कई रोगों को जन्म देती है.

आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री स्कूल ऑफ योग के वरिष्ठ योग प्रशिक्षक दिनेश काशीकर कहते हैं कि मधुमेह एक बहुघटकीय विकार (multifactorial disorder) है, जो अनिवार्य रूप से समुचित व्यायाम की कमी व भोजन की अनुचित आदतों आदि से उत्पन्न होता है. ये सभी पहलू जीवनशैली की ओर इशारा करते हैं. अत: चिकित्सा के अतिरिक्त जीवनशैली को बेहतर बनाए रखना सर्वोपरि है. इस संदर्भ में 'योग अभ्यास'- प्राणायाम, योग और ध्यान को दैनिक दिनचर्या में शामिल करना सही दिशा में लिया गया एक कदम हो सकता है. यदि आप डायबिटीज से बचे रहना चाहते हैं या शुगर लेवल को कंट्रोल में रखना चाहते हैं, तो प्रतिदिन वरिष्ठ योग प्रशिक्षक दिनेश काशीकर के बताए इन चार योगासन का अभ्यास ज़रूर करें.
डायबिटीज कंट्रोल करने वाले योगासन
कपालभाति प्राणायाम
-कपालभाति मस्तक की कांति बढ़ाने वाली श्वास तकनीक है. इसका अभ्यास करने के लिए रीढ़ की हड्डी को सीधा करके आराम से बैठ जाएं. अपने हाथों को घुटनों पर रखें और हथेलियां आसमान की ओर खुली रहें.
-अब गहरी सांस अंदर लें.
-जैसे ही आप सांस छोड़ते हैं, अपनी नाभि को वापस रीढ़ की ओर खींचें. पेट की मांसपेशियों के संकुचन को महसूस करने के लिए आप अपना दाहिना हाथ पेट पर रख सकते हैं.
-एक चक्र पूरा करने के लिए ऐसी 20 सांसें लें.
-एक चक्र के बाद, अपनी आंखें बंद करके आराम करें और अपने शरीर में संवेदनाओं का निरीक्षण करें.
-कपलभाति के दो और चक्र करें.
कपालभाति प्राणायाम के लाभ: कपालभाति का अभ्यास अग्नाशय या पैंक्रियाज को सक्रिय करता है. तनाव जो डायबिटीज के बढ़ने का बड़ा कारण है, कपालभाति के अभ्यास से कम होता है. यह तकनीक तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करने में मदद करती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं को फिर से जीवंत करती है. यह प्राणायाम ब्लड सर्कुलेशन में भी सुधार करता है और मन का उत्थान करता है. यह शरीर से मल निकाल कर पाचन क्रिया को बढ़ाता है.
सुप्त मत्स्येन्द्रासन
-सुप्त मत्स्येन्द्रासन यानी लेटे हुए शरीर के निचले भाग को मोड़ना.
– अपनी पीठ के बल लेट जाएं और अपनी भुजाओं को कंधों की सीध में क्षैतिज रूप से फैलाएं.
– अपने बाएं पैर को अपने सामने फैलाएं और अपने दाहिने घुटने को मोड़ें, इसे अपनी छाती से लगाएं.
-सांस लें और सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने दाहिने घुटने को अपनी मध्य रेखा के ऊपर और अपने शरीर के बाईं ओर फर्श पर रखें.
– अपने सिर को दाईं ओर मोड़ें और अपनी दाहिनी हथेली को देखें.
– कुछ मिनट तक रुकें.
– धीरे-धीरे अपने सिर को वापस केंद्र की ओर मोड़ें और अपने धड़ और पैरों को सीधा करें.
– इस आसन को बायीं ओर दोहराएं.
सुप्त मत्स्येन्द्रासन करने के लाभ: इस विधि से आंतरिक अंगों की मालिश होती है और पाचन में सुधार होता है. यह आसन पेट के अंगों पर भी दबाव डालता है और इसलिए डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए बहुत मददगार योग मुद्रा है.
धनुरासन
– अपने पेट के बल लेट जाएं. पैरों को कूल्हों की सीध में और हाथों को शरीर के बगल में रखें.
– घुटनों को मोड़ें, हाथों को पीछे की ओर ले जाएं और टखनों को पकड़ें.
– सांस अंदर लें और अपनी छाती को जमीन से ऊपर उठाएं और अपने पैरों को ऊपर और पीछे की ओर खींचें.
-इस मुद्रा में आराम करते हुए लंबी, गहरी सांसें लेना जारी रखें. ज़्यादा खिंचाव मत दें.
– 15-20 सेकेंड के बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने पैरों और छाती को जमीन पर लाएं. टखनों को छोड़ें और आराम करें.
धनुरासन के लाभ: यह आसन अग्न्याशय को मजबूत करता है और मधुमेह से ग्रस्त लोगों के लिए अत्यधिक अनुशंसित है. यह योग आसन पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने के साथ तनाव और थकान को भी दूर करता है.
अर्ध मत्स्येन्द्रासन
-अर्ध मत्स्येन्द्रासन यानी बैठे हुए रीढ़ की हड्डी को आधा मोड़ना.
– पैरों को अपने सामने फैलाकर बैठ जाएं. पैरों को आपस में मिलाकर और रीढ़ को सीधा रखें.
-बाएं पैर को मोड़ें और बाएं पैर की एड़ी को दाहिने कूल्हे के पास रखें (वैकल्पिक रूप से आप बाएं पैर को सीधा रख सकते हैं).
– दाहिना पैर बाएं घुटने के ऊपर ले जाएं.
-बाएं हाथ को दाएं घुटने पर और दाएं हाथ को अपने पीछे रखें.
– इसी क्रम में कमर, कंधों और गर्दन को दाईं ओर मोड़ें और दाएं कंधे के ऊपर देखें.
-श्वास छोड़ते हुए पहले दाहिने हाथ को (आपके पीछे का हाथ) छोड़ें, कमर, फिर छाती, अंत में गर्दन को छोड़ें और आराम से लेकिन सीधे बैठें.
– दूसरी तरफ दोहराएं.
अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लाभ: इस आसन से पेट के अंगों की मालिश होती है. फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है और रीढ़ लचीली बनती है. यह आसन मन को शांत करने में भी मदद करता है और रीढ़ में रक्त के प्रवाह में सुधार करता है.


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