वृद्धावस्था में भी खुद को रखें सबसे स्वस्थ, इन योगासन को बनाएं फिटनेस का राज
जब आपकी एक उम्र होती है तो शरीर में कुछ गंभीर लक्षण नजर आने लगते हैं जैसे कम दिखना, कम सुनाई देना, रीढ़ की हड्डी में दर्द, आर्थराइटिज, डयबिटीज, कोलेस्ट्रॉल की समस्या जोड़ों में दर्द आदि.
जब आपकी एक उम्र होती है तो शरीर में कुछ गंभीर लक्षण नजर आने लगते हैं जैसे कम दिखना, कम सुनाई देना, रीढ़ की हड्डी में दर्द, आर्थराइटिज, डयबिटीज, कोलेस्ट्रॉल की समस्या जोड़ों में दर्द आदि. हालांकि जो लोग अपनी जीवनशैली को पहले से ही बेहतर रखते आ रहे हैं. उन लोगों को थोड़ी कम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस उम्र की स्थिति में खुद को बेहतर बनाने के लिए आज हम ऐसे कई योग आसान को बताने जा रहे हैं, जिससे आपकी समस्या टल सकती है. तो आइए जानते हैं. कौन से योग है बुढ़ापे में सबसे ज्यादा असरदार.
ताड़ासन
इस आसान को करने के लिए पैरों को मजबूती से एक साथ या एक फुट अलग रखकर खड़े हो जाएं शरीर के सामने उंगलियों को इंटरलॉक करें। सांस भरते हुए हाथों को सिर के ऊपर उठाएं और साथ ही संतुलन बनाए रखते हुए पैर की उंगलियों पर आ जाएं। संतुलन बनाए रखने के लिए अपनी आंखों को किसी बिंदु पर आंखों के स्तर पर स्थिर रखें. जैसे ही आप सांस छोड़ते हैं, अपनी प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं इस प्रक्रिया को लगभग 3 बार करें.
कटिचक्रासन
इस आसान को करने के लिए बेस पोज सेम ताड़ासन की तरह ही है. लेकिन इसमें अपनी भुजाओं को कंधे के स्तर तक ले आएं, हथेलियां नीचे की ओर हों अपने पूरे शरीर को आराम दें, एक गहरी सांस लें और जैसे ही आप सांस छोड़ते हैं, अपने शरीर को अपनी दाहिनी भुजा से कमर को और बाएं हाथ को दाहिने कंधे पर टिकाएं यह आपकी रीढ़ और पेट के क्षेत्र का एक पूर्ण मोड़ स्थापित करता है. जितनी देर हो सके रोकें और सांस लेते हुए वापस स्थिति में आ जाएं. इस प्रक्रिया को 3 बार जरूर करें.
वज्रासन
वज्रासन को अपनी दैनिक जीवन शैली के हिस्से के रूप में अपनाया जा सकता है और आपको दिन में जब भी संभव हो इसका अभ्यास करना चाहिए उपरोक्त सभी आसन प्राणायाम के साथ-साथ मधुमेह, साष्टांग प्रणाम, कमजोर पाचन आदि जैसे वृद्धावस्था की अन्य समस्याओं में भी मदद करते हैं.