जवान दिखना सभी को अच्छा लगता है। यह प्रकृति द्वारा दिया एक अनुपम उपहार है। इस उपहार को सहेज कर रखना हमारा धर्म है। अधिकतर लोगों में जीवन पर्यन्त युवा बने रहने की तमन्ना रहती है। चिर युवा बने रहने के लिए प्राकृतिक नियमों का पालन करना अति आवश्यक होता है। जो लोग नियमबद्ध चलते हैं, वही आजीवन मौज मनाते हैं और जो लोग उन नियमों की अवहेलना करते हैं, वे युवावस्था में ही वृद्धावस्था सा जीवन व्यतीत करते हैं। स्वयं को निरोगी और चिरयुवा बनाए रखने के लिए अपने आहार-विहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अपने मन को शांत रखना चाहिए। क्रोधी लोग अपनी जवानी को अधिक समय तक बरकरार नहीं रख सकते।
बुरी आदतों पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी होता है। बुरी आदतें मीठे जहर के समान होती हैं जो पीने में अच्छी लगती हैं पर धीरे-धीरे आयु को कम करती चली जाती हैं और जीवन को कांटों भरा बना देती हैं।
प्रतिदिन स्वच्छ जल से शरीर को रगड़ कर साफ कर नहाना चाहिए। प्रात: हल्के व्यायाम या सैर नियमित करनी चाहिए। हल्के व्यायाम शरीर को गति प्रदान करते हैं। सप्ताह में एक बार मालिश करने से शरीर का रक्त संचार ठीक रहता है। आलस्य अच्छी सेहत का दुश्मन है। आलस्य त्याग कर चुस्त बने रहें। अपने काम स्वयं करने का प्रयास करें। बिना मजबूरी किसी पर निर्भर न बनें। मोटापा यौवन को नष्ट करता है इसलिए मोटापे पर नियंत्रण रखना अति आवश्यक है। संतुलित आहार का सेवन करें। अंकुरित अन्न, हरी सब्जियां, दूध, फल नियमित रूप से लें। धूम्रपान, तंबाकू, शराब, सुपारी, गुटखा, मांस, व मछली का सेवन स्वास्थ्य बिगाड़ता है। इन चीजों के सेवन से बचें। अपने गुप्तांगों की सफाई पर पूरा ध्यान दें। विशेषकर महिलाएं मासिक धर्म के दौरान और जब कभी मूत्र त्यागें, अपनी योनि को अच्छी तरह साफ करें ताकि किसी प्रकार के कीटाणु पनपने न पाएं। संभोग पश्चात् सोने से पूर्व योनि को साफ कर सोएं।
यौवन बनाए रखने हेतु नियमित यौन संबंध बनाये। अधिक सेक्स करना या बहुत कम सेक्स करना भी यौवन का दुश्मन माना जाता है। परपुरूष और परस्त्री से यौन संबंध बनाना भी अनुचित है। इससे कई प्रकार की बीमारियां लग सकती हैं जिससे यौवनावस्था में ही वृद्धावस्था आ सकती है। भरपूर नींद लेना भी चिरयुवा रहने के लिए अति आवश्यक है परंतु देर तक सोना स्वास्थ्य हेतु हानिकारक भी है। 7-8 घंटे की शांत नींद अच्छे स्वास्थ्य हेतु टॉनिक होती है। अधिक तनाव न लें, न ही अनावश्यक कार्यों पर अपना समय बर्बाद करें। तनाव तो जीवन का वह घुन है जो धीरे धीरे शरीर और जवानी को खाता रहता है।
आंख, कान, मुंह, नाक, दांत इनकी सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि इनकी नजऱअंदाजी कभी कभी अधिक परेशानियों में डाल देती हैं। कब्ज न होने पाए, इस बात पर ध्यान दें। कब्ज यौवन का शत्रु है। रेशेदार भोजन का सेवन करें। दलिया, रसदार फल, पपीता, चोकरयुक्त आटे का सेवन करें। अधिक मसाले, अधिक तेलयुक्त भोजन और अधिक खटाई भी स्वास्थ्य पर कुप्रभाव डालती हैं। दिन के भोजनोपरांत थोड़ा विश्राम और रात्रि के भोजन के पश्चात् थोड़ा टहलना अच्छी सेहत का राज है। अपनी दिनचर्या पर नियंत्रण रखें। अति हर चीज़ में नुकसान पहुंचाती है। यह जिन्दगी एक नियामत है। उसको जीने का पूरा आनन्द लेना चाहिए।