बच्चों के सामने अच्छा रखें रिश्ता,पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव

Update: 2023-06-25 09:50 GMT

पति-पत्नी परिवार के मजबूत स्तंभ होते है। बच्चों के जन्म के बाद सिर्फ पति-पत्नी न रहकर वह पेरेंट्स भी बन जाते है। बच्चे भी घर का जरूरी हिस्सा होते है। लेकिन ये इतने नाजुक होते है कि घर की हर बात का असर इनकी मानसिक स्थिति पर पड़ता है। कई बार घर में बातचीत के दौरान हम लोग ये सोच लेते है कि बच्चा कुछ नहीं सुन रहा है। लेकिन कई बार बच्चे सब सुनते है लेकिन उस बात का अहसास वह तभी नहीं होने देते। पति-पत्नी में लडाई होने पर कई बार बच्चे काफी परेशान होने के साथ कई बार डिप्रेशन भी चले जाते है। कई बार पेरेंट्स की लडाई का असर केवल उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नहीं पड़ता है बल्कि उनके आने वाले व्यक्तिगत जीवन पर भी इसका असर दिखाई देने लगता है। कई बार ये देखने में भी आता है कि उनका विश्वास रिश्तों पर से काफी हद तक हट जाता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि पेरेंट्स के बीच रिश्ता ठीक नहीं होने की वजह से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है और इसे कैसे ठीक करना है। कई बार पेरेंट्स की लगातार बहस करने की आदत के कारण बच्चा चिड़चिड़ा होने के साथ गुस्सेल प्रवत्ति का भी हो जाता है। वहीं कई बार बच्चे पेरेंट्स से भी लगातार बहस करते रहते है। इस समस्या से बचने के लिए पेरेंट्स को अपनी समस्या अलग से सुलझानी चाहिए।कई बार पेरेंट्स लडाई में गलत और अपशब्द का इस्तेमाल कर लेते हैं। जिस कारण ये शब्द बच्चों की मानसिक स्थिति को डिस्टर्ब करने के साथ भावनात्मक हेल्थ को भी नुकसान पहुंचाते है।

बच्चों को खुश रखने के लिए पूरे परिवार के साथ बाहर घूमने का प्लान बनाएं। ऐसा करने से बच्चे आपके करीब आएंगे और आप उनकी हॉबीज आदि का भी जान पाएंगे। पिकनिक के दौरान बच्चों के साथ कोई गेम खेलें। ऐसी ट्रिप से बच्चे फैमिली के करीब होते है और उनका मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा होता है।

बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए बच्चों को भड़काने से बचना चाहिए। कई लोग आपसी लड़ाई में बच्चों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काते है और एक- दूसरे से दूर करने की कोशिश भी करते है। ऐसा करने से बच्चे का पेरेंट्स पर से विश्वास उठने के साथ उनका मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।

कई बार बच्चे कई तरह की बातों से परेशान हो जाते है। ऐसे में पेरेंट्स को बच्चे के साथ टाइम स्पेंड करने के साथ उनको प्यार अवश्य रखें। दूर होने पर भी उनसे हालचाल और रूटिन के बारे में जानकारी लेते रहें। समय होने पर बच्चों को पुचकारे और परिवार के प्रति उसका विश्ववास बढ़ाएं।


 

Tags:    

Similar News

-->