क्या हिट वेव भी प्रजनन क्षमता में गिरावट का एक कारण है?

Update: 2023-06-03 15:04 GMT
धैर्य, त्याग, करूणा, प्रेम, वफ़ा, इतने सारे शब्दों को एक शब्द में समाहित करना हो तो 'माँ' से बढ़कर कोई शब्द नहीं होगा। 'मातृत्व' अपने आप में एक बहुत बड़ी चीज है जिसे हम चंद शब्दों या लेखों के माध्यम से बयां नहीं कर सकते। 'मातृत्व' की स्थिति सर्वोपरि है, इसीलिए स्त्री के जीवन में सबसे सुखद अनुभूति या क्षण वह होता है, जब वह अपनी कोख से बच्चे को जन्म देती है। या यूं कहें कि जब वह पहली बार अपने बच्चे को गोद में लेती हैं। लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी भी होती हैं जो इस खुशी को पाने के लिए पूरी जिंदगी तड़पती हैं। आखिर क्या है इसके पीछे की वजह...आइए जानते हैं।
'राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5' के दूसरे चरण की रिपोर्ट के अनुसार भारत की प्रजनन दर में पहले की तुलना में काफी गिरावट आई है। एक महिला द्वारा जन्म देने वाले बच्चों की औसत संख्या 2.2 से घटकर मात्र 2.0 रह गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि रिपोर्ट को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि देश की आबादी स्थिर हो रही है. 2.1 कुल प्रजनन दर को प्रतिस्थापन दर के रूप में देखा जा सकता है। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5, 2019-2021) के आंकड़ों के आधार पर जारी की गई है। कुछ महीने बाद, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने एक प्रेस बयान जारी कर इस खबर की पुष्टि की।
शादी और बुढ़ापे में बच्चा
आज की आधुनिक जीवनशैली में लड़के या लड़कियों की शादी 25 या 30 साल की उम्र के बाद ही हो जाती है। वहीं दूसरी ओर बढ़ती उम्र के कारण गर्भधारण करने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आज भी लोग आईवीएफ की मदद से माता-पिता का सुख प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन उन्हें प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मेडिकल साइंस के मुताबिक महिलाओं में प्रजनन की सही उम्र 15 से 49 साल तक ही होती है। वहीं आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि 25 से 29 साल की उम्र में किसी भी महिला की फर्टिलिटी अपने चरम पर होती है और उसके बाद यह कम होने लगती है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि भारत का फर्टिलिटी रेट लगातार क्यों गिर रहा है। इस सवाल पर हेल्थ एक्सपर्ट से लेकर डॉक्टर तक अपनी बात रख रहे हैं. लेकिन एक बात जो सभी की बातों में कॉमन नजर आई है. यानी आधुनिक जीवनशैली, खराब खान-पान और जलवायु परिवर्तन ने लहर मार दी है।
क्या हिट वेव भी प्रजनन क्षमता में गिरावट का एक कारण है?
'चिलचिलाती गर्मी है या यूं कहें कि हिट वेव का असर महिला या लड़की की प्रजनन क्षमता पर पड़ रहा है', यह आज के समय का सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है। सिर्फ हिट वेव और प्रदूषण की वजह से ही लड़कियों के पीरियड्स में अनियमितता या प्रजनन क्षमता में कमी नहीं आती है। ग्लोबल वार्मिंग और भारत में लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण यहां के निवासियों को ऐसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिसे हम यह सोचकर बर्दाश्त कर लेते हैं कि कुछ दिन की दिक्कत है और फिर ठीक हो जाएगा। लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस भीषण गर्मी का असर सिर्फ बच्चे और बूढ़े पर ही नहीं पड़ रहा है, बल्कि महिला के प्रजनन स्वास्थ्य पर भी इसका खतरनाक असर पड़ रहा है. साथ ही यह धीरे-धीरे बीमारी का कारण बन रहा है।
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