इवेस्टमेंट रूल्स, जो इस मुश्क़िल समय में आपके बड़े काम आएंगे

Update: 2023-05-03 13:03 GMT
मार्केट में उठा-पटक हो तो घबराकर अपने स्टॉक्स को बेचें नहीं
जब इस तरह का मुश्क़िल समय आता है तो इन्वेस्टर्स सबसे पहले बाज़ार से अपना पैसा निकालना शुरू कर देते हैं. यानी वे घबराकर अपने शेयर बेचने लगते हैं. उन्हें लगता है ऐसा करके वे संभावित बड़े नुक़सान से ख़ुद को बचा रहे हैं. देखा जाए तो यह टेंडेंसी सही नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब आपके पास के स्टॉक की मार्केट वैल्यू कम हो रही होती है, तब देखा जाए तो आपको पेपर लॉस हो रहा होता है. यानी आपको जो नुक़सान हो रहा है, वह मात्र पेपर पर हो रहा है. जब आप कम क़ीमत पर अपने शेयर्स बेच देते हैं, तब आप इस पेपर लॉस को ऐक्चुअल लॉस में तब्दील कर देते हैं. नुक़सान से बचने के चक्कर में आप सही मायने में नुक़सान उठा चुके होते हैं.
यहां आपको दुनिया के मशहूर इन्वेस्टर वॉरेन बफ़ेट के इन्वेस्टमेंट के दो गोल्डन रूल्स याद रखने चाहिए. पहला रूल: कभी भी अपने पैसे न गवाएं. और दूसरा रूल: रूल नंबर एक कभी न भूलें.
जब आप पेपर पर हो रहे नुक़सान के डर के चलते अपना असल नुक़सान करवा बैठते हैं, तब आप इन दोनों नियमों को तोड़ देते हैं.
बार-बार म्यूचुअल फ़ंड्स स्विच न करें
कई इन्वेस्टर्स म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश करते समय उसके पास्ट परफ़ॉर्मेंस को पहला पैरामीटर मानते हैं. जो म्यूचुअल फ़ंड्स पहले अच्छा परफ़ॉर्म कर चुके होते हैं, वे उसमें निवेश करने को प्राथमिकता देते हैं. आपको इस सोच से बाहर आना होगा, क्योंकि हर फ़ंड के परफ़ॉर्मेंस का अच्छा और बुरा समय आता है. हो सकता है, जिसने पास्ट में अच्छा रिटर्न दिया हो, आगे आपके पैसे डुबो दे. इसलिए अपनी समझ और रिसर्च के हिसाब से म्यूचुअल फ़ंड्स का चुनाव करें. कभी भी अख़बारों या ब्लॉग्स पर ‘टॉप 10 म्यूचुअल फ़ंड्स’ जैसी हेडिंग्स पढ़कर अपने पैसे निवेश न करें. आपको अपनी रिसर्च पर भरोसा करना चाहिए, बजाय इस तरह की कैची हेडिंग्स के.
ज़रूरत से ज़्यादा इनवेस्टमेंट न करें
शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट का एक रूल यह भी है कि जब मार्केट डूबा हुआ हो और आपके पास पैसे हों तो अच्छे शेयर्स ख़रीद लें, क्योंकि एक दिन मार्केट को ऊपर आना ही है. आज नहीं तो सालभर बाद या दो से तीन साल में तो मार्केट की हालत सुधरेगी ही. कुछ लोग इस गोल्डन रूल का चक्कर में ओवर इन्वेस्टमेंट कर बैठते हैं. कभी-कभी इस तरह का निवेश उनके लिए परेशानी का सबब बन जाता है, ख़ासकर जब अचानक कैश की ज़रूरत आन पड़ती है. अत: यह बहुत ज़रूरी है कि इस तरह की आपदा वाली स्थिति में अपने पास पर्याप्त लिक्विड कैपिटल रखें. लिक्विड कैपिटल यानी ज़रूरत के समय जहां से तुरंत और आसानी से पैसे जमा किए जा सकें. कौन जाने कब आपको पैसों की अचानक ज़रूरत पड़ जाए. वैसे भी हम भविष्ट का सटीक अनुमान तो नहीं लगा सकते. इसलिए आपके पास लिक्विड कैपिटल कल होना बहुत ज़रूरी है.
कमज़ोर या बहुत ही सस्ते स्टॉक में निवेश करने के लालच पर कंट्रोल करें
हर इन्वेस्टर की यही सोच होती है कि किसी सस्ते और कमज़ोर स्ट्रॉक में बहुत सारे शेयर ख़रीद लें तो अच्छा होगा. लॉजिक यह होता है कि सस्ते में ख़रीदा गया ढेर सारा स्टॉक मल्टिप्लाई होकर उन्हें मालामाल कर देगा. पर मार्केट की दशा जब अच्छी नहीं चल रही होती है, तब इस तरह के शेयर्स में नुक़सान होने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए आप अपनी लालच पर कंट्रोल करें और अगर मन ना ही मान रहा हो तो अपने पैसों का एक छोटा-सा हिस्सा ही इस तरह के शेयर्स पर निवेश करें.
अगर आपको लगता है कि अपना पोर्टफ़ोलियो डायवर्सिफ़ाई करना ज़रूरी है तो…
पोर्टफ़ोलियो डायवर्सिफ़ाई करने का मतलब है अलग-अलग क्षेत्रों में निवेश करना. अगर आपने अब तक एक ही क्षेत्र में पैसे लगाए हों और अब उसे डायवर्सिफ़ाई करना चाहते हों तो आपको ये कुछ सावधानियां रखनी होंगी.
आपको पोर्टफ़ोलियो डायवर्सिफ़ाई करने का काम रातोंरात करने की क़तई ज़रूरत नहीं है. यह काम आहिस्ता-आहिस्ता करना चाहिए. इस प्रोसेस में तक़रीबन 12 से 24 महीनों का समय देना चाहिए. जल्दबाज़ी करने का मतलब है कि आपको अपने कुछ इन्वेस्टमेंट्स नुक़सान उठाकर बेचने होंगे. आप अपने पोर्टफ़ोलियो में डेब्ट फ़ंड, सोने में निवेश, इंटरनैशनल फ़ंड्स का सही संतुलन रखें. ताकि अगली बार इस तरह के संकट की स्थिति आए तब आपके इन्वेस्टमेंट का बैलेंस न गड़बड़ाए.
आप कहेंगे गोल्ड और इंटरनैशनल फ़ंड्स क्यों?
सोने में निवेश करने से लोग थोड़ा झिझकते हैं. उन्हें लगता है कि सोने में निवेश करने पर बहुत ज़्यादा रिटर्न नहीं मिलता. पर यहां एक बात समझनेवाली है कि जब इक्विटी मार्केट गोते खाता है, तब सोना ही है, जो आपके इनवेस्टमेंट को संभाले रखता है. तो आपको अपने निवेश को सुरक्षित बनाए रखने के लिए गोल्ड यानी सोने में निवेश करना चाहिए.
इंटरनैशनल फ़ंड्स में निवेश करने की एक अच्छी बात यह है कि अगर किसी एक देश की अर्थव्यवस्था में भयंकर उठापटक चल रहा है तो दूसरे देश में किए निवेश में मिल रहे अच्छे रिटर्न से आपके नुक़सान की भरपाई हो जाती है. अभी कोरोना के चलते दुनियाभर के मार्केट डाउन हैं तो ग्लोबल स्टॉक्स ख़रीदने का आपके पास अच्छा मौक़ा है.
प्रतीक की मानें तो पोर्टफ़ोलियो डायवर्सिफ़ाई करना अच्छा ख़याल है, पर आपको तत्काल इसपर काम करना ज़रूरी नहीं है. आप यह काम अगले एक से दो साल में अच्छी तरह से सोच-समझकर करें.
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