भारतीय महिलाएं चुपचाप सहती रहती हैं ये समस्या, जानिए पीरियड्स से जुड़ी बाते

एक्सपर्ट के मुताबिक, महिलाओं को अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए खुद सक्रिय होना चाहिए. जानें यह जरूरी जानकारी...

Update: 2021-09-28 08:59 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  मासिक धर्म के द्वारा महिला के स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है. महिलाओं में यौवनारंभ (Puberty) और रजोनिवृत्ति (Menopause) के बीच नियमित पीरियड्स होने का मतलब है कि उनका शरीर सामान्य रूप से कार्य कर रहा है. लेकिन अनियमित पीरियड्स या दर्दनाक पीरियड्स जैसी मासिक धर्म से जुड़ी दिक्कतें गंभीर स्वास्थ्य समस्या की तरफ इशारा कर सकती हैं. पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकती हैं, जैसे- गर्भवती होने में परेशानी होना, आदि. चूंकि, आपका शरीर बुढ़ापे और रजोनिवृत्ति की तरफ बढ़ता है, तो इस दौरान हॉर्मोन लेवल में होने वाले बदलाव दिल की बीमारियों का खतरा कम या ज्यादा कर सकते हैं.

World heart day 2021: भारतीय महिलाएं चुपचाप सहती रहती हैं ये समस्या

नोएडा स्थित Jaypee Hospital के Department of Interventional Cardiology (Adult) के डायरेक्टर Dr. B. L. Aggarwal का कहना है कि, भारत में महिलाएं कई समस्याओं को चुपचाप सहती रहती हैं. जिन महिलाओं को अनियमित पीरियड्स की समस्या होती है, उनमें से अधिकतर महिलाएं इसे किसी समस्या के लक्षण के रूप में देखती भी नहीं हैं. जबकि सच्चाई यह है कि अनियमित और अप्रत्याशित पीरियड्स पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome or PCOD) का मुख्य लक्षण होता है. यहां तक कि मुंहासे और चेहरे पर अत्यधिक फेशियल हेयर को भी महिलाएं सामान्य समझती रहती हैं.

डॉ. बी. एल. अग्रवाल इसके पीछे देश में सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के बारे में जागरुकता की कमी को देखते हैं. उनका कहना है कि पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं को महीने में दो बार भी पीरियड्स आते हैं या फिर अनियमित रूप से आते या फिर महीने में एक बार भी नहीं आते. वहीं, पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग हल्की या भारी भी हो सकती है. यह ब्लीडिंग इतनी भारी भी हो सकती है कि महिलाओं में एनीमिया का कारण बन जाए. बता दें कि एनीमिया यानी खून की कमी कई भारतीय महिलाओं को प्रभावित करती है और उनके दिल के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है.

Heart day: क्या पीसीओएस के कारण दिल का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है?

डॉ. बी. एल. अग्रवाल के मुताबिक पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं में सामान्य महिलाओं के मुकाबले अत्यधिक शारीरिक वजन, हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज विकसित होने का खतरा अधिक होता है. जो कि हार्ट डिजीज के पीछे आशंकित कारण हो सकते हैं. वहीं, अत्यधिक वजन, मुंहासे, अत्यधिक फेशियल हेयर और इनफर्टिलिटी के कारण महिलाओं का आत्म-सम्मान भी गिरने लगता है, जो कि तनाव का कारण बनता है. यह भी हार्ट डिजीज के विकास में बड़ा कारक होता है.

वजन घटाने से PCOS में मिल सकता है आराम

एक्सपर्ट का कहना है कि यूं तो पीसीओएस का अभी तक कोई इलाज नहीं है, लेकिन जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इसे मैनेज किया जा सकता है. एक्सपर्ट के मुताबिक, महिलाओं को अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए खुद सक्रिय होना चाहिए. अतिरिक्त वजन घटाने से पीसीओएस के लक्षणों की गंभीरता कम किया जा सकता है. एक्सपर्ट के मुताबिक, 5-10 प्रतिशत वेट लॉस करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं. जिसमें पीरियड्स का अनियमित होना, मूड का बेहतर होना और डायबिटीज व हार्ट डिजीज का खतरा कम होना शामिल है.

इन टिप्स का रखें ध्यान

मेंस्ट्रुअल साइकिल (Menstrual Cycle) में हो रहे बदलाव को ट्रैक करके किसी भी स्वास्थ्य समस्या के खतरे को पहले ही भांपा जा सकता है.

अगर किसी हेल्थ कंडीशन की फैमिली हिस्ट्री है, तो आपको ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.

हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं. जिसमें नियमित एक्सरसाइज करना, संतुलित वजन रखना और संतुलित डाइट का सेवन पीसीओएस और उससे जुड़े स्वास्थ्य खतरों को कम करने में मदद करते हैं.

पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं में डिप्रेशन, एंग्जायटी डिसऑर्डर्स, ईटिंग डिसऑर्डर्स और सेक्शुअल डिस्फंक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है. इसलिए इस तरफ भी उन्हें ध्यान रखना चाहिए.

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