अगर आप भी हैं डिप्रेशन का शिकार ,तो आज से ही शुरू कर दें दौड़ना रिसर्च में हुआ यह खुलासा

तो आज से ही शुरू कर दें दौड़ना रिसर्च में हुआ यह खुलासा

Update: 2023-10-11 07:31 GMT
डिप्रेशन भारत में एक बड़ी समस्या बन गया है. हाल के सर्वेक्षणों से पता चला है कि भारत की आबादी का लगभग 14% डिप्रेशन से पीड़ित है. यह दर्शाता है कि हर 7 में से लगभग 1 भारतीय व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है. डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जो हमारे मन को प्रभावित करती है. इससे उदासी, निराशा, थकान और चिंता जैसे लक्षण दिखते हैं. कई बार तो लोग आत्महत्या भी कर लेते हैं. भारत में डिप्रेशन इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि लोग इसके बारे में जागरूक नहीं हैं. लोग इसे एक सामान्य नहीं समस्या समझते हैं और न ही समय रहते इलाज कराते हैं.आज दुनियाभर में वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जा रहा है. हम सभी को मिलकर डिप्रेशन के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी ताकि लोग सही समय पर इलाज करा सकें और इस बीमारी से बच सकें.
जानें दौड़ने से कैसे दूर होता है डिप्रेशन
रिसर्च में पाया गया है कि डिप्रेशन से बचने और उससे उबरने के लिए दौड़ना बहुत ही फायदेमंद है. दौड़ना शरीर और दिमाग के लिए अच्छा होता है. इससे हमारा मूड अच्छा हो जाता है और तनाव भी कम होता है. जब हम दौड़ते हैं तो हमारे शरीर में एंडोर्फिन्स नामक हार्मोन बनता है. यह हमें खुश और पॉजिटिव महसूस कराता है.दूसरी ओर, कोर्टिसोल नामक हार्मोन कम हो जाता है जो तनाव और चिंता को बढ़ाता है. अगर हम रोज दौड़ें तो हमारा आत्मविश्वास बढ़ेगा और हम खुद को बेहतर महसूस करेंगे. हमारी नींद भी अच्छी आएगी और एनर्जी लेवल बढ़ेगा. दौड़ने से ध्यान लगाने की क्षमता भी बेहतर होगी. इसलिए, अगर आपको लगता है कि आप डिप्रेशन का शिकार हैं तो दौड़ना शुरू कर दें. धीरे-धीरे दौड़ने का समय और दूरी बढ़ाएं. कुछ ही समय में आपको अंतर दिखाई देगा और आप डिप्रेशन से उबरने लगेंगे. दौड़ना डिप्रेशन से लड़ने का एक आसान और प्रभावी तरीका है.
डिप्रेशन हुआ है कैसे समझें
लगातार 2 सप्ताह से अधिक समय तक उदास या निराश महसूस करना.
रोज के कामों में रुचि का ना होना.
भूख में बदलाव - या तो बहुत ज्यादा भूख लगना या बिल्कुल भूख ना लगना.
सोने की समस्याएं - नींद ना आना या फिर ज्यादा नींद आना.
थकान महसूस होना और ऊर्जा का अभाव.
बिना किसी वजह के रोना.
निर्णय लेने में परेशानी.
बिना वजह गुस्सा आना.
आत्म-विश्वास में कमी.
स्वयं को नुकसान पहुंचाने के विचार आना.
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