तनाव कम करने के लिए रोज करें योगा जाने करने तनाव कम करने के लिए रोज करें योगा जाने करने का तरीका का तरीका
नियमित रूप से योगासनों का अभ्यास शरीर को फिट और निरोगी बनाए रखने के बहुत उपयोगी माना जाता है। तमाम ऐसे योगासन हैं जिनका अभ्यास प्राचीन काल में ऋषि मुनियों द्वारा किया जाता था
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | नियमित रूप से योगासनों का अभ्यास शरीर को फिट और निरोगी बनाए रखने के बहुत उपयोगी माना जाता है। तमाम ऐसे योगासन हैं जिनका अभ्यास प्राचीन काल में ऋषि मुनियों द्वारा किया जाता था लेकिन धीरे-धीरे इन योगासनों के प्रति लोगों की दिलचस्पी खत्म होती गयी। आज के समय में जब दुनियाभर में योग का डंका बज रहा है तो ऐसे में तमाम योग एक्सपर्ट ऐसे कुछ प्राचीन योगासनों का अभ्यास कर उनके फायदों के बारे में बताते रहते हैं। इन्हीं आसनों में से एक है 'विपरीत दंडासन (Viparita Dandasana)'। विपरीत दंडासन का अभ्यास शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। आइये विस्तार से जानते हैं विपरीत दंडासन के फायदे, अभ्यास का तरीका और सावधानियों के बारे में।
क्या है विपरीत दंडासन योग?
विपरीत दंडासन योग का अभ्यास एक्सपर्ट लेवल पर किया जाता है और इसे कठिन योगासन माना जाता है। इस आसन का नाम संस्कृत भाषा के शब्द से बनाया गया है। अंग्रेजी में विपरीत दंडासन को इनवर्टेड स्टाफ पोज (Inverted Staff Pose) कहा जाता है। कठिन योगासन होने की वजह से विपरीत दंडासन का अभ्यास 30 से 40 सेकंड तक के लिए ही किया जाता है। दंडासन का अभ्यास जमीन पर बैठ कर किया जाता है और विपरीत दंडासन का अभ्यास करते समय आपका शरीर ऊपर की तरफ उठा हुआ होता है। शरीर को बेहतर आकार देने के लिए, स्ट्रेच करने के लिए और मानसिक समस्याओं जैसे तनाव और एंग्जायटी को कम करने के लिए इसका अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है।
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विपरीत दंडासन का अभ्यास करने के फायदे (Benefits of Viparita Dandasana)
विपरीत दंडासन या इनवर्टेड स्टाफ पोज का अभ्यास करने से शरीर को लचीला बनाने और मानसिक समस्याओं को दूर करने के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। शरीर के अंगों को स्टिम्युलेट करने और शरीर को लचीला बनाने के लिए विपरीत दंडासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है। विपरीत दंडासन का अभ्यास करने से शरीर को मिलने वाले प्रमुख फायदे इस प्रकार से हैं।
1. विपरीत दंडासन का रोजाना अभ्यास करने से आपके शरीर को मजबूती मिलती है। इसके अलावा शरीर को लचीला बनाने के लिए विपरीत दंडासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसका अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी, हैमस्ट्रिंग, कंधे, गर्दन और पेट की मांसपेशियों को फायदा मिलता है। मांसपेशियों में खिंचाव की वजह से शरीर को अधिक मजबूत और लचीला बनाने में इसका अभ्यास उपयोगी होता है।
2. एंग्जायटी को कम करने और दिमाग को शांत करने के लिए विपरीत दंडासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। मानसिक समस्याएं जैसे तनाव, चिंता और घबराहट आदि को दूर करने के लिए भी नियमित रूप से विपरीत दंडासन या इनवर्टेड स्टाफ पोज का अभ्यास फायदेमंद माना जाता है।
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3. पाचन तंत्र के लिए विपरीत दंडासन का अभ्यास बहुत उपयोगी माना जाता है। इसका अभ्यास करते समय आपके पेट पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से आपकी पाचन प्रक्रिया को मजबूती मिलती है। रोजाना विपरीत दंडासन का अभ्यास करने वाले लोगों में पेट या पाचन से जुड़ी समस्याओं का खतरा नहीं रहता है।
4. विपरीत दंडासन का अभ्यास साइटिका की समस्या में भी बहुत उपयोगी माना जाता है। इसके नियमित अभ्यास से साइटिका नर्व्स से जुड़ी समस्याओं में फायदा मिलता है। इसका अभ्यास करने से शरीर में रक्त का प्रवाह भी बढ़ता है जो साइटिका की समस्या में फायदेमंद होता है।
5. शरीर के संतुलन को ठीक बनाए रखने के लिए विपरीत दंडासन या इनवर्टेड स्टाफ पोज का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है।
6. जो लोग नियमित रूप से रनिंग करते हैं या दौड़ते हैं उनके लिए इस आसन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसका अभ्यास आपकी हैमस्ट्रिंग को खोलने में मदद करता है।
विपरीत दंडासन या इनवर्टेड स्टाफ पोज का अभ्यास करने के लिए आप इन स्टेप्स को फॉलो करें -
सबसे पहले किसी साफ और हवादार जगह पर योगा मैट बिछा लें और उसपर लेट जाएं।
अब शवासन की मुद्रा में आयें और दोनों पैरों की एड़ियों को धीरे-धीरे मोड़ें।
अब इन एड़ियों को मोड़कर घुटने के नीचे लाएं।
इसके बाद अपने हाथों को मोड़ते हुए फर्श पर अपने कानों के बगल में रखें।
इसके बाद सांस छोड़ते हुए घुटनों को धड़ से दूर कर लें।
इसके बाद अपने कंधे, हिप्स और सिर को हवा में उठाएं।
अब हाथों को मोड़कर सिर और पैरों के बीच में रखें।
अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए बाएं हाथ को सिर के पीछे ले जाएं।
इसके बाद दाहिने हाथ को भी पीछे ले लें।
दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा लें।
सिर को उठा कर फर्श पर ले जाएं।
सांसों की गति को धीमा रखने की कोशिश करें।
थोड़ी देर इस पोजीशन में रहें और फिर वापस सामान्य मुद्रा में आयें।