कोरोना से निकलने के बाद करा लें यह मेडिकल टेस्ट, पोस्ट कोविड भी सावधान रहने की है जरूरत!

कोरोना वायरस संक्रमित मरीज को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है. कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से प्रभावित लोगों को रिकवर होने के बाद भी कई समस्याएं हो रही हैं.

Update: 2022-01-22 17:13 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना वायरस संक्रमित मरीज को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है. कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से प्रभावित लोगों को रिकवर होने के बाद भी कई समस्याएं हो रही हैं. इंफेक्शन से उबरने के बाद भी आपको अपनी हेल्थ को बिल्कुल लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. डॉक्टर्स कोरोना से ठीक होने वाले पेशेंट्स को भी कई जरूरी मेडिकल टेस्ट की सलाह दे रहे हैं ताकि उससे ये पता चल सके कि कोविड ने शरीर को कितना नुकसान पहुंचाया है. कोरोना से ठीक होने के बाद डायबिटीज, बीपी, हार्ट या किसी और तरह की मेडिकल कंडिशन के शिकार लोगों को ज्यादा सचेत रहने की जरूरत होती है. ऐसे में आपको ये टेस्ट जरूर करवाने चाहिए.

1- एंटीबॉडी टेस्ट- कोविड होने के बाद सबसे पहले एंटीबॉडी टेस्ट कराना जरूरी है. इस टेस्ट से पता चलता है कि आपकी बॉडी में किस लेवल पर एंटीबॉडी बने हैं. शरीर में एंटीबॉडी बनने में एक से दो हफ्ते लग सकते हैं उसके बाद इस टेस्ट करा सकते हैं.

2- सीबीसी टेस्ट- दूसरा टेस्ट सीबीसी यानी कंपलीट ब्लड टेस्ट है जिसमें शरीर में आरबीसी और डब्ल्यूबीसी का पता चलता है कि इन दोनों सेल पर कोविड ने क्या असर डाला ये टेस्ट से पता चलेगा.

3- ब्लड प्रेशर और शुगर टेस्ट- कई बार कोविड के दौरान शरीर में क्लॉटिंग हो जाती है और इनफ्लेमेशन बढ़ जाता है इसलिये कोविड के बाद ब्लड प्रेशर का लेवल और शरीर में ग्लूकोज़ का लेवल जानना जरूरी है. अगर किसी को डायबिटीज है या फिर कोलेस्ट्रोल की प्रोबलम है तो कार्डिक कॉम्पलिकेशन हो सकते हैं इसलिये ये दोनों टेस्ट जरूर करायें

4- कार्डिक स्क्रीनिंग- कोरोना वायरस शरीर के रेस्पिरेटरी सिस्टम पर अटैक करता है और जिन लोगों को हार्ट से संबंधित कोई बीमारी है उनको तो हार्ट के टेस्ट जरूर कराने चाहिये. कई बार कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को चेस्ट में दर्द की शिकायत रहती तो उनको भी डॉक्टर हार्ट के टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं.

5- न्यूरो फंक्शन टेस्ट- कोरोना होने पर मरीज का टेस्ट और स्मैल दोनों चले जाते हैं. हालांकि इंफैक्शन खत्म होने के बाद दोनों सेंस वापस आ जाते हैं लेकिन कई बार लोगों के महीने भर तक टेस्ट और स्मैल नहीं आते. इसके अलावा कोरोना होने पर डिजीनेस यानी हल्के चक्कर आना या कॉन्संट्रेट करने में दिक्कत आती है. इसलिये कोरोना से सही होने पर न्यूरो फंक्शन टेस्ट कराना बेहतर है.



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