FSSAI की नई योजना: अब न्यूट्रिएंट्स से नहीं रेटिंग से पता चलेगी प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता, जानें खासियत
हम सभी जानते हैं अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक आहार बहुत जरूरी है.
हम सभी जानते हैं अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक आहार बहुत जरूरी है. हम किसी भी प्रोडक्ट पर पोषक तत्वों की मात्रा देखने के बाद ही खरीदते हैं. लेकिन क्या हो अगर इन चीजों पर लेबल की जगह रेटिंग लिखी हों. हाल ही में भारतीय खाद्य संरक्षा एंव मानक प्रधिकरण (FSSAI) पैकेट बंद चीजों पर चेतवानी की जगह हेल्थ स्टार रेटिंग (HSR) अपनाने की तैयारी में है. इसका मतलब है लोगों को ये समझ नहीं आएगा कि किसी प्रोडक्ट में चीनी, नमक या अन्य उत्पाद कितनी मात्रा में शामिल किया गया है.
विशेषज्ञों के अनुसार, इससे लोग हानिकारक प्रोडक्ट्स के बारे में अलर्ट नहीं होंगे. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, हेल्थ स्टार रटिंग से सिर्फ कंपनियों को फायदा होगा. इससे ये पता नहीं चलेगा कि प्रोडक्ट सेहत के लिए कितना नुकसानदायक है. किसी भी प्रोडक्ट में प्रोटीन और फाइबर की अच्छी मात्रा दिखाकर अच्छी रेटिंग ली सा सकती है. हालांकि इस नियम को दुनियाभर में सिर्फ दो देशों में लागू किया गया है.
एफएसएसएआई की बैठक में 25 जून को एक अधिकारी ने एचएसएसआर (HSR) को एकमात्र विकल्प बताया था. जबकि जनवरी की हुई बैठक में उपभोक्ता संगठन राजी नहीं हुए थे. 30 जून को एफसएसएआई (FSSAI) ने बैठक में फ्रंट ऑफ पैक लेबल (एफओपीएल) के चयन के लिए आईआईएम (IIM) जैसी संस्था से सर्वे कराने का फैसला लिया.
दो देशों में लागू है स्टार रेटिंग
दरअसल WHO ने सभी फूड प्रोडक्ट्स पर शुगर, नमक और कैलोरी की मात्रा लिखने को कहा है. मैक्सिको, चिली समेत 10 देशों में इसे अनिवार्य रूप से लागू किया गया है. जबकि 30 देशों ने स्वैच्छिक रूप से. वहीं न्यूजीलैड और ऑस्ट्रेलिया में स्टार रेटिंग लागू है. कैरोलिना की स्टडी के अनुसार, किसी भी प्रोडक्ट पर हाई चेतावनी का लेबल होने से उस प्रोडक्ट की ब्रिकी कम हो जाती है. एनजीओ कट्स इंटरनेशनल के चैयरमैन और FSSAI सेंट्रल एडावाइजरी कमेटी के सदस्य जॉर्ज चेरियन के अनुसार प्रोडक्ट में लेबल होना जरूरी है. इससे उपभोक्ता को पता चलता है कि वो जो खरीद रहा है कितना फायदेमंद है. वहीं, स्टार रेटिंग में ऐसा नहीं होता है.