बच्चों को मीट खाने के फायदे
आयरन अब्सोर्प्शन में मदद करे
मीट अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में शरीर में आयरन अब्जॉर्ब करने में अधिक मदद करता है। अगर बच्चे को मीट का सेवन करवाया जाता है, तो वह एनीमिया जैसी बीमारियों से बच सकता है।
माइक्रो मिनरल्स का अच्छा सोर्स
बच्चे को शुरू में आयरन और जिंक जैसे मिनरल्स की जरूरत होती है। ब्रेस्ट मिल्क में ज्यादा आयरन नहीं होता है, इसलिए बच्चे को आयरन के अन्य स्रोत दिए जा सकते हैं। मीट इस तरह के मिनरल्स का एक अच्छा स्रोत होता है। कॉपर और मैंगनीज जैसी चीजों का भी मीट अच्छा स्रोत है।
पाचन में मदद करता है
शाकाहारी चीजों के मुकाबले मीट में प्रोटीन की अच्छी गुणवत्ता पाई जाती है। यह प्रोटीन अच्छे से पाचन होने में भी मदद करता है। इसका अर्थ है बच्चे का शरीर मीट को अच्छे से प्रयोग कर पाएगा। इसके कारण उसे पाचन से जुड़ी समस्याओं का भी सामना नहीं करना पड़ेगा।
विटामिन बी 12 का अच्छा स्रोत
नॉनवेज चीजों में बी विटामिन ज्यादा पाया जाता है। चिकन, अंडे, फिश, डेयरी बी विटामिन का सबसे अच्छा स्रोत हैं। रेड ब्लड सेल्स को बनने के लिए फोलिक एसिड और विटामिन बी 9 आवश्यक होता है। मीट इन दोनों ही चीजों का एक अच्छा स्रोत होता है।
किस तरह का मीट बच्चे को शुरू में देना चाहिए?
वैसे तो बच्चे को दिए जाने वाले मीट के प्रकार पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगा है। उसे मछली या फिर कैटल मीट दिया जा सकता है। बच्चे को दिन में प्यूरी वाला मीट एक से दो चम्मच दिया जा सकता है।
बच्चे को मीट देना कब शुरू करना चाहिए?
जब बच्चा 6 से 8 महीने का हो जाता है, तो उसकी डाइट में मीट शामिल किया जा सकता है। जब सॉलिड फूड उसकी डाइट में एड करना शुरू करें तो धीरे धीरे मीट एड करना भी शुरू कर दें।
बच्चे के लिए मीट किस प्रकार बनाएं?
मीट से बैक्टीरिया, वायरस को हटाने के लिए अच्छे से साफ कर लें।
बच्चे के लिए बोनलेस मीट लें।
ऑर्गेनिक मीट खरीदें। ऑर्गेनिक मीट में हानिकारक कैमिकल नहीं पाए जाते हैं।
मीट को सॉफ्ट कर लें। रोलिंग पिन से मीट को रोल कर लें, ताकि वह सॉफ्ट हो सके। बच्चे को मीट दे सकते हैं लेकिन एक या दो चम्मच से ज्यादा मात्रा न दें। नहीं तो उससे बच्चे में साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिल सकते हैं