आपातकालीन मंजूरी देने के 10 सप्ताह बाद भी अब तक छोटे बच्चों को वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है,जानिए क्या है कारण

वयस्कों की तुलना में बच्चों पर वैक्सीन के प्रभाव का लंबे समय तक आकलन जरूरी है.

Update: 2022-01-18 01:54 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस साल 3 जनवरी से भारत में 15 से 18 साल के बच्चों को कोरोना का टीका (Vaccine for children) लगाया जा रहा है. पिछले साल 25 दिसंबर को ही ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (Drugs Controller General of India -DCGI) ने बच्चों को टीका (Vaccine) लगाए जाने की आपातकालीन मंजूरी दे दी थी. लेकिन इस मंजूरी के 10 सप्ताह बाद भी अब तक छोटे बच्चों को वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है. इस मामले से परिचित विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि बच्चों की सुरक्षा पहलुओं (Safety norms) को लेकर जब तक डीसीजीआई पूरी तरह निश्चिंत नहीं हो जाता तब तक बच्चों को टीका नहीं लगाया जा सकता है. डीसीजीआई 12 साल से छोटे बच्चों के लिए कोवैक्सिन (Covaxine) मामलों में अभी कुछ और सुरक्षा डाटा चाहता है.

छोटे बच्चों के लिए और सुरक्षा डाटा की जरूरत

हालांकि इस मामले में वैक्सीन पर बनी डीसीजीआई की एक्सपर्ट कमिटी सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (Central Drugs Standard Control Organisation -CDSCO) ने 12 अक्टूबर 2021 को ही बच्चों को कोवैक्सिन देने की सिफारिश कर दी थी. एक अधिकारी ने बताया कि हमारे लिए सेफ्टी डाटा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. डीसीजीआई जब तक इस मामले में पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो जाता तब तक आगे नहीं बढ़ा जा सकता. उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए जिस तरह के सुरक्षा डेटा डीसीजीआई को जरूरत थी, वह सब मिल गया. इसके बाद ही बड़े बच्चों को वैक्सीन लगाए जाने की मंजूरी दी गई. लेकिन छोटे बच्चों के लिए अभी और सुरक्षा डाटा की जरूरत है.
अभी दो-तीन महीनों की और जरूरत
अधिकारी ने बताया कि 12 साल से छोटे बच्चों के अंग विकसित हो रहे होते हैं. इन अंगों पर लंबे समय तक वैक्सीन का क्या असर पड़ेगा, इसका विश्लेषण करना जरूरी है. वयस्कों की तुलना में बच्चों पर वैक्सीन के प्रभाव का लंबे समय तक आकलन जरूरी है. इसलिए हमें और समय की जरूरत है. बच्चों पर वैक्सीन के प्रभाव के आकलन के लिए अभी कम से कम दो-तीन और महीनों की जरूरत है. वैक्सीन सुरक्षा पर बनी एक्सपर्ट कमिटी ने इस मामले में बड़े बच्चों को टीका लगाए जाने की मंजूरी 12 अक्टूबर को ही दे दी थी. उन्होंने कहा कि बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं पर वैक्सीन के असर और सतर्कता को डीसीजीआई अत्यधिक गंभीरता से लेता है. यही कारण है इसमें ज्यादा समय की जरूरत है. हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि वयस्कों पर टीका के असर का हल्के में विश्लेषण किया गया. इसके लिए भी लंबा वक्त लगा.


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