डोसा ने इंटरनेट को दो पक्ष में बांटा, तेजी से हो रहा पोस्ट वायरल

हाल के दिनों में इंटरनेट पर अजीबोगरीब रेसिपी का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि इस बार फूड ने लोगों को दो खेमे में बांट दिया.

Update: 2021-10-08 04:25 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हाल के दिनों में इंटरनेट पर अजीबोगरीब रेसिपी का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि इस बार फूड ने लोगों को दो खेमे में बांट दिया. अंदाजा लगाइए ताजा प्रकरण के पीछे विवाद की जड़ क्या है? लोग कई बार अपने पसंदीदा पकवान और मूल जगह के बारे में संवेदनशील हो सकते है. लेकिन जब एक ट्विटर यूजर ने नॉर्थ इंडियन डोसा को बेहतर बताया तो उसने ट्विटर पर गरमा गरम बहस छेड़ दी.

डोसा ने इंटरनेट को बांटा दो पक्ष में
इसकी शुरुआत एक पोस्ट से हुई. पोस्ट में यूजर ने अपनी राय को जाहिर करते हुए लिखा, "आप दक्षिण भारतीयों को ये कहते हुए कभी नहीं पाएंगे कि हम उत्तर भारतीय कभी भी खाना बेहतर बनाते हैं." आगे जोड़ा गया कि उत्तर भारतीय लोग दक्षिण भारत की डिश को परोसने से दूरी नहीं बनाते हैं. मामला उस वक्त खराब हो गया जब किसी ने ये कहते हुए जवाब दिया, "उत्तर भारतीय डोसा बेहतर है." इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जबरदस्त बहस को जन्म दिया. ज्यादातर कमेंट्स इस ट्वीट के बाद या तो असहमति में थे या समर्थन में थे या मजाक उड़ानेवाले थे. ट्वीट के साथ असहमति जताते हुए एक यूजर ने लिखा, "डोसा खुद दक्षिण भारतीय है..उत्तर भारत के लोगों ने उसकी नकल उतारी है. उत्तर भारतीय डोसा कुछ नहीं है."
इस तरह डोसा विवाद के केंद्र में आ गया और इंटरनेट पर पक्ष-विपक्ष में जबरदस्त चर्चा होने लगी, यहां तक कि हैशटैग डोसा ट्रेंड करने लगा. ट्विटर यूजर जल्द ही मूल डोसा और उत्तर भारतीय रेस्तरां में परोसने के तरीके पर अंतर बताने के लिए कूद पड़े.
दक्षिण भारतीय बनाम उत्तर भारतीय डोसा
उन्होंने पनीर की मात्रा और साधारण डिश बनाने में लगनेवाले सॉस के प्रकार की तरफ इशारा किया. बहुत सारे लोगों ने चर्चा में शामिल होते हुए मूल भोजन को बर्बाद नहीं करने की अपील की. बावजूद इसके ट्विटर पर गरमागरम बहस का सिलसिला नहीं रुका, कई लोगों ने कहा कि दक्षिण भारतीय डोसा का कोई मुकाबला नहीं कर सकता. दूसरों ने सवाल उठाया कि क्या 'उत्तर भारतीय डोसा' नाम में उपयुक्त भी है. किसी ने स्पष्ट किया कि दक्षिण भारत के सड़क किनारे स्टाल में मिलनेवाला डोसा उत्तर भारत के रेस्तरां में परोसे जानेवाले से बेहतर है. उन्होंने आगे बताया, "और यही बात इडली, मेदु वड़ा, उत्तपम, रसम चावल, बिसि बेले बाथ, बोंडा पर भी लागू होती है."






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