क्या आप जानते हैं सफेद दाग से जुड़े कुछ मिथ
शुरुुआती दौर में स्किन का रंग जगह- जगह से फीका पड़ने लगता है. इसकी शुरुआत सबसे पहले होंठ,
सफेद दाग की बीमारी को लेकर लोगों में तरह-तरह की अफवाह फैली होती है. आपने भी ऐसे कई लोगों को देखा होगा. जिनकी स्किन पर इस तरह के सफेद दाग होते हैं. आपको बता दें कि ये बीमारी कोई अचानक से नहीं होती है. इसमें शुरुआती दौर में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं. इसके अलावा लोगों में ये डर बना हुआ रहता है कि चिकन, मछली या बैंगन खाने के बाद अगर दूध का सेवन कर लेते हैं तो भी ये बीमारी हो जाती है, तो चलिए जानते हैं क्या सच है और क्या झूठ
जानते हैं सफेद दाग से जुड़े कुछ मिथ
बहुत से लोगों में ये डर बना हुआ रहता है कि मछली, चिकन या बैंगन खाने खाने के बाद अगर दूध का सेवन कर लें तो इससे सफेद दाग की समस्या हो जाती है. आपको बता दें कि इसके बारे में अभी तक कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं मिले हैं. कई लोग इन दाग को हटाने के लिए नीम या गौमूत्र का इस्तेमाल करते हैं. यह बीमारी शरीर के अंदर रंग देने वाले सेल्स की वजह से होती है. ऐसे में अगर आप ऊपर से कुछ लगाएंगे तो भी इसे ठीक नहीं किया जा सकता है.
ये होते हैं सफेद दाग या विटिलिगो के शुरुआती लक्षण
शुरुुआती दौर में स्किन का रंग जगह- जगह से फीका पड़ने लगता है. इसकी शुरुआत सबसे पहले होंठ, हाथ, पैर और चेहरे पर होती है यानी जहां डायरेक्ट सूर्य की रोशनी पड़ती है. इसके अलावा बालों का रूखा होना, दाढ़ी और आईब्रो का रंग उड़ जाना भी इस बीमारी के शुरुआती लक्षण माने जाते हैं. इसके अलावा आंख में रेटिना की परत का रंग भी फीका पड़ जाता है. मेडिकल साइंस के मुताबिक, यह बताना तो मुश्किल है कि अगर सफेद दाग की बीमारी हो जाए तो यह कितनी बढ़ सकती है. हालांकि अगर इसका इलाज किया जाए तो नए दाग बनने से रोका जा सकता है.