क्या आप वर्कआउट से पहले स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करते है जानिए इसके फयदे

Update: 2024-02-21 11:41 GMT
लगातार सिटिंग वर्क की वजह से सप्ताह के अंत तक गर्दन की मांसपेशियां स्ट्रेसफुल हो जाती हैं। संभव है कि आपकी पीठ भी दर्द करती हो। वर्कआउट के बाद घुटनों में अकड़न महसूस करना भी आम है। यदि नियमित रूप से स्ट्रेचिंग की जाती है, तो निश्चित रूप से लाभ मिल सकता है। यह शरीर को लचीला बनाता है। यह कई समस्याओं को भी दूर कर सकता है। क्यों जरूरी है स्ट्रेचिंग ज्यादातर लोग अपने शरीर को स्ट्रेच ही नहीं कर पाते हैं। स्ट्रेचिंग करने के बारे में तभी सोचते हैं जब उन्हें शरीर के किसी न किसी भाग में दर्द होने लगता है।नियमित आधार पर स्ट्रेचिंग करने से पूरे शरीर की मूवमेन्ट बढ़ती है।
यहां हैं स्ट्रेचिंग के 5 फायदे
1 मसल्स की स्टिफनेस होती है खत्म  स्ट्रेचिंग से मांसपेशियों की स्टिफनेस खत्म हो जाती हैं। इससे शरीर अधिक लचीला हो जाता है। यह बढ़ा हुआ लचीलापन गर्दन, कंधे, घुटनों, हिप्स सहित जॉइंट्स में गति की सीमा को बेहतर बनाने में मदद करता है। संयमित रूप से इसे करने पर रोजमर्रा के काम और गतिविधियों को करना ज्यादा आसान हो जाता है।
2. मांसपेशियों को मिलती है मजबूती  स्ट्रेचिंग मांसपेशियों को कूल करती है और उन्हें मजबूत और स्वस्थ रखने में मदद करती है। मजबूत और लचीली मांसपेशियां होने से इसके उपयोग को बढ़ावा मिलता है। जैसे पूरे दिन बैठते समय उचित पोश्चर बनाए रखना या किसी भारी वस्तु को सही ढंग से उठाना। यह उन सभी सामान्य दर्द की संभावना को भी कम कर देता है, जैसे गर्दन या पीठ में होने वाले दर्द।
3. चोट लगने का जोखिम होता है कम  स्ट्रेच नहीं करने पर मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं। स्ट्रेन वाली मांसपेशियां लचीली मांसपेशियों की तरह अच्छा प्रदर्शन नहीं करती हैं। उनमें चोट लगने का खतरा निश्चित रूप से अधिक होता है। जो लोग अपने काम के दौरान बार-बार दोहराव वाली गतिविधियां करते हैं या बहुत अधिक भारी सामान उठाते हैं, धक्का देते हैं या खींचते हैं, उन्हें बहुत अधिक काम करने के बाद स्ट्रेचिंग के लिए समय निकालना चाहिए। इससे निश्चित रूप से चोट के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
4. बेहतर संतुलन प्रदर्शन  मांसपेशियां तब सबसे अच्छा काम करती हैं, जब वे लॉन्ग और लचीली होती हैं। जोड़ सबसे अच्छी तरह तब काम करते हैं जब वे लचीले होते हैं। टाइट मसल्स में समान एक्सप्लोसिव पॉवर नहीं होगी। उसी तरह इन्फ़्लेक्सिब्ल जॉइंट में गति की सीमित सीमा होगी। बेहतर प्रदर्शन का मतलब बेहतर संतुलन भी है, जो बढ़ती उम्र के साथ मोबाइल बने रहने के लिए आवश्यक है।
 5. तनाव से मिलती है राहत  स्ट्रेचिंग दिमाग को ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है। चाहे इसे वर्कआउट के बाद किया जाए या व्यस्त वर्किंग डे में ब्रेक के रूप में किया जाए। यह माइंडफुलनेस के लिए समय निकालने का एक तरीका हो सकता है। जागरूक रहना, शांत, सकारात्मक और प्रोडक्टिव इमोशन पर ध्यान केंद्रित करना इससे ही सम्भव है। सुरक्षित तरीके से स्ट्रेचिंग कैसे की जाये   स्ट्रेचिंग के लाभ पाने के लिए यह जानना जरूरी है कि आपको कितनी देर तक और कितनी बार स्ट्रेचिंग  करने की जरूरत है? अलग-अलग लोगों के लिए स्ट्रेचिंग का मतलब अलग-अलग होता है। एक व्यक्ति जो दौड़ता है या वजन उठाता है, उसे व्यायाम के बाद केवल पांच से दस मिनट तक स्ट्रेचिंग करने की जरूरत हो सकती है, ताकि उसकी मांसपेशियों में दर्द को रोकने में मदद मिल सके। जो व्यक्ति रोजमर्रा के दर्द को काम करना चाहता है, उसे सप्ताह में कुछ बार 30 मिनट के पूरे शरीर के खिंचाव से सबसे अधिक फायदा हो सकता है। प्लानिंग बनाएं  केवल बार-बार स्ट्रेचिंग करना पर्याप्त नहीं है। आप कब स्ट्रेचिंग करने जा रहे हैं, आप कितनी देर तक स्ट्रेचिंग करने जा रहे हैं और आप किन मांसपेशियों को स्ट्रेच करना चाहते हैं, इसके लिए योजना बनाना सबसे अच्छा है। फिर इसे प्रति सप्ताह दो या तीन बार अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
 वजन बढ़ने से होने वाली समस्याओं से सतर्क रहने के लिए बीएमआई चेक करें  स्ट्रेंचिंग को प्रति सप्ताह दो या तीन बार अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।।चित्र: शटरस्टॉक  से करें सही तरीके से स्ट्रेचिंग   रोल किये हुए टॉवल को दोनों हाथों से मजबूती से पकड़ें। ऊपरी हाथ से तौलिये को धीरे से छत की ओर खींचें। ओपोजिट आर्म में खिंचाव महसूस करेंगी, क्योंकि निचला हाथ धीरे से पीठ की ओर खींचा  जाएगा। इस अवस्था में लगभग 10-30 सेकंड तक रुकें। हाथ बदलें और दोहराएं। कभी भी बाउंस नहीं करें । दोनों तरफ स्ट्रेच करना और नियमित रूप से करना जरूरी है।
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