Diwali 2020: पटाखे या दिया जलाते वक्त जल जाएं तो फ़ौरन अपनाएं ये आयुर्वेदिक उपाय

भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. करीब सप्ताह भर तक चलने वाला यह उत्सव रंग, रोशनी और मिठाइयों से भरा होता है. हालांकि, इस दौरान देश में बर्न्स यानी जलने से जुड़े मामलों में भी काफी बढ़ोतरी देखने को मिलती है.

Update: 2020-11-02 13:29 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दिवाली (Diwali 2020), भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. करीब सप्ताह भर तक चलने वाला यह उत्सव रंग, रोशनी और मिठाइयों से भरा होता है. हालांकि, इस दौरान देश में बर्न्स यानी जलने से जुड़े मामलों में भी काफी बढ़ोतरी देखने को मिलती है. वैसे तो बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए पिछले कई सालों से पटाखे न जलाने की अपील की जा रही है, बावजूद इसके बड़ी संख्या में लोग दिवाली पर पटाखे जलाते हैं. ऐसे में पटाखों और दीयों का अगर लापरवाही से उपयोग किया जाए तो हल्के से लेकर गंभीर जलन तक की घटनाएं हो सकती हैं.

गर्म धातु, करंट, स्टीम या आग के संपर्क में आने पर त्वचा जल जाती है जिससे टीशूज को नुकसान पहुंचता है और इसे ही जलने की कैटिगरी में रखा जाता है. अगर आपने प्रभावित क्षेत्र पर कपड़ा पहना हुआ है तो वह गर्मी को बाहर निकलने नहीं देता जिससे और नुकसान हो सकता है. ऐसे में फर्स्ट एड और कुछ घरेलू नुस्खे जलने के हल्के मामलों में नुकसान को कम करने और गंभीर मामलों में जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकते हैं.

फर्स्ट एड जलने की डिग्री पर निर्भर करता है

फर्स्ट डिग्री जलन के लिए फर्स्ट एड : फर्स्ट डिग्री जलन में सिर्फ स्किन की बाहर सतह (एपिडर्मिस) प्रभावित होती है. ये जलन लालिमा और सूजन के रूप में दिखती है और 3 से 5 दिन के अंदर अपने आप ठीक हो जाती है. इस दौरान किसी तरह का छाला, फफोला या चोट के निशान नहीं होते. ऐसी जलन के लिए:

जली हुई जगह को पानी के नीचे कुछ देर रखें या फिर गीली या ठंडी पट्टी को प्रभावित हिस्से पर लगाएं.

एक बार जब दर्द कम हो जाए उसके बाद प्रभावित हिस्से को गॉज या ड्रेसिंग से ढंक दें.

अपने मन से किसी तरह की क्रीम या ऑइंटमेंट न लगाएं, इंफेक्शन हो सकता है.

अगर जलने की यह घटना किसी बच्चे के साथ हुई हो तो तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाएं.

सेकंड डिग्री जलन के लिए फर्स्ट एड : स्किन की ऊपरी सतह एपिडर्मिस के साथ ही उसके नीचे मौजूद टीशूज जिसे डर्मिस कहते हैं जब वह भी जलन से प्रभावित होती है तो उसे सेकंड डिग्री बर्न कहते हैं. इस तरह की जलन में तेज दर्द होता है और छाले या फफोले भी हो जाते हैं. इन्हें ठीक होने में भी 10 से 20 दिन का समय लगता है और इनके निशान भी रह जाते हैं. इसके लिए:

सबसे पहले प्रभावित हिस्से को ठंडे बहते पानी के नीचे 10 मिनट तक रखें या ठंडी पट्टी लगाएं.

जलन वाले हिस्से को साफ और सूखे कपड़े से पोंछकर उसके ऊपर गॉज लगा दें लेकिन अपने मन से कोई क्रीम या ऑइंटमेंट न लगाएं। साथ ही छालों को फोड़ने की कोशिश न करें.

सेकंड डिग्री बर्न कम हिस्से में हो या फिर ज्यादा हिस्सा जल गया हो, डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी होता है.

थर्ड डिग्री जलन के लिए फर्स्ट एड : इस तरह की जलन की घटना में एपिडर्मिस, डर्मिस और उसके नीचे की सतह भी प्रभावित हो सकती है. इस तरह की जलन में त्वचा का रंग भूरा या काला हो सकता है और यह जलन की सबसे गंभीर समस्या होती है जिसमें मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है. फर्स्ट एड के तौर पर आप निम्नलिखित चीजें कर सकते हैं:

जलन वाले हिस्से को किसी साफ कपड़े से ढंक दें लेकिन ऐसा फैब्रिक न हो जो स्किन से चिपक जाए.

प्रभावित हिस्से पर किसी तरह की क्रीम या ऑइंटमेंट न लगाएं.

जहां तक संभव हो मरीज को कंफर्टेबल बनाने की कोशिश करें.

जलन की घटना होने पर अपनाएं आयुर्वेदिक नुस्खे

दिवाली के मौके पर अक्सर दीयों या पटाखों की वजह से कई बार छोटी मोटी चोट लग सकती है या स्किन जल सकती है. ऐसे में स्किन पर छाले या फफोले होने से रोकने के लिए और स्किन को ठंडक पहुंचाने के लिए आप इन आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खों को अपना सकते हैं जिनके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं हैं.

1. शहद : शहद एक बेहतरीन किचन इन्ग्रीडिएंट है जो हल्की जलन की समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है. शहद की एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी हीलिंग यानी जलन के ठीक होने की प्रक्रिया को तेज करता है. आप चाहें तो जलन से प्रभावित स्किन पर सीधे शहद लगा सकते हैं या फिर उसे ठंडे पानी में मिक्स करके दिन में कई बार लगा सकते हैं.

2. खीरा : खीरा भी जलन वाले हिस्से पर ठंडक पहुंचाने का काम करता है. इसके लिए खीरे को अच्छी तरह से मैश करके उसका गूदा बना लें और यदि संभव हो तो फ्रिज में रखा हुआ खारी यूज करें. इससे जलने की सेंसेशन जो महसूस होती है उसमें तुरंत राहत मिलेगी. अगर खीरे को मसलने का समय न हो तो खीरे के स्लाइस को भी प्रभावित हिस्से पर रख सकते हैं.

3. एलोवेरा : जलन के एहसास को दूर करके स्किन में ठंडक पहुंचाने में मदद करता है एलोवेरा. शहद की ही तरह एलोवेरा में भी एंटी-इन्फ्लेमेटरी और ऐंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी होती है जो ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाती है और प्रभावित हिस्से में किसी भी तरह के बैक्टीरियल इंफेक्शन को होने से रोकती है. एलोवेरा जेल को जलन वाले हिस्से पर लगाने से यह घाव के भरने की प्रक्रिया को तेज करता है.

4. ठंडा दूध : ठंडा दूध भी मामूली जलने की घटनाओं में राहत दिलाने वाला सबसे अच्छा प्राकृतिक और घरेलू नुस्खा है. इसके लिए एक बाउल में ठंडा दूध लें या फिर दूध के साथ उसमें बर्फ डाल दें. अब एक साफ कपड़ा या रूई को उस ठंडे दूध में भिगोएं और जलने वाले हिस्से पर 10 मिनट तक रखें. ऐसा करने से दर्द और लालिमा दोनों कम हो जाएगी. साथ ही छाले होने की आशंका भी कम हो जाएगी.

5. आलू : मामूली बर्न के मामले में आलू का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. आलू में भी एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती है जो जलन की अनुभूति को कम करके प्रभावित हिस्से पर ठंडक दिलाने में मदद करता है. इसके लिए आलू को बीच से काटें और जलने वाले हिस्से पर हल्के हाथों से रगड़ें. आलू में मौजूद स्टार्च जलन को कम करके प्रभावित हिस्से पर निशान बनने से भी रोकता है. 

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