इन राज्यों की पहली पसंद है दही-चूडा, जानिए इसके खासियत

आज मकर संक्रांति है और बिहार, यूपी, झारखंड के साथ ही नेपाल में दही-चूड़ा के लिए विशेष दिन है.

Update: 2021-01-14 11:21 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | आज मकर संक्रांति है और बिहार, यूपी, झारखंड के साथ ही नेपाल में दही-चूड़ा के लिए विशेष दिन है. पौराणिक कहानियों से लेकर पारंपरिक कर्मकांड में दही-चूड़ा का जिक्र होता है. पूरे भोजपूर में कोई शुभ काम विशेषकर दावत तबतक पूरी नहीं होती जबतक दही-चूड़ा न परोसा जाए. बिना आग यानी चूल्हे के ही यह खाना तैयार हो जाता है. मिठास के लिए पारंपरिक ढंग से इसमें देसी गुड़ का इस्तेमाल करते हैं. यह भोजन हाई-फाइबर और लो-कैलोरी से भरा हुआ है. वैसे तो मकर संक्रांति पर इसका खास महत्व है लेकिन कई परिवार दैनिक तौर पर बतौर नाश्ता इसे लेते हैं.

चूड़े का इतिहास

चूड़े की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी उत्पत्ति भारत में ही हुई है. यही कारण है कि पूरे देश में अलग-अलग तरह से इसे खाया जाता है. मराठी में पोहा, हिंदी में चिवड़ा, तेलगू में अतुकुलु, कन्नड में अवलक्की, मलयालम में अवल, नेपाली में चिउरा, बिहारी (भोजपुरी, मैथली व मगही) में चूड़ा, बंगाली में चीड़े और असमी में सीरा के नाम से इसे जाना जाता है. चूड़ा या चिवड़ा एक गुलेटिन-फ्री खाद्य है. यह आयरन, फाइबर, मैग्निशियम, विटामिन सी और ए से भरा हुआ है. लो-कैलोरी होने के कारण यह वजन कम करने का सबसे बेहतरीन विकल्प माना जाता है. साथ ही स्थानीय उपलब्धता के अनुसार चूड़े की हमारे देश में करीब 15 डिश हैं. इनमें दही-चूड़ा और पोहा सबसे मशहूर माने जाते हैं.

दही का इतिहास

दही के गुणों के बारे में तो सभी को पता है. साथ ही शुभ कार्यों में इसकी भूमिका लगभग हर घर में होती ही है. पूरी दुनिया में दही का इस्तेमाल होता है. वैसे तो इसके उत्पत्ति के बारे में सटीक जानकारी नहीं है लेकिन माना जाता है कि पांच हजार साल पहले मेसोपोटामिया से इसकी उत्पत्ति हुई थी. भारत में दही-शहद तो ईश्वर का भोजन माना जाता है. दही के गुणों की सूचि बहुत ही लंबी है. इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, फोस्फॉरस, पोटैशियम, सोडियम, विटामिन ए, सी, डी, ई, के, बी6, बी12 और कार्बोहाईड्रेट के साथ फैट व कई अन्य पोशक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यह एनर्जी फूड के तौर पर माना जाता है और पेट के लिए बेहतर विकल्पो में से एक है. भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक लगभग हर घर में इसका इस्तेमाल होता है.

देसी गुड़

इसकी उत्पत्ति को लेकर थोड़ा सा विवाद है. भारत का दावा है कि 3 हजार सालों से गन्ने से निकले गुड़ को हम खा रहे हैं. जबकि, कुछ इतिहासकारों का कहना है कि पुर्तगाल से यह भारत पहुंचा था. बहरहाल, गुड़ का नाता हम भारतीयों का बहुत गहरा है और यही कारण है कि यह पारंपरिक भारतीय मिठास का अहम हिस्सा है. इसमें कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, पोटैशियम, मैग्निशियम, कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में होता है. प्रदूषण से लड़ने में भी गुड़ की भूमिका को वैज्ञानिक पुस्टि मिली हुई है. इसीलिए गुड़ को भी सुपरफूड के दर्जे में रखा जाता है. तमाम बीमारियों की अवस्था में इसका प्रयोग उम्दा माना गया है.

खाने का तरीका

दही और चूड़े के गुणों से तो आप परिचित हो ही गए. अब सोचिए कि इन तीनों को मिला दिया जाए तो जो नाश्ता तैयार होगा वह कितना बेहतरीन होगा. सबसे खास बात यह है कि यह मिनटों में तैयार हो जाता है और वह भी बिना किसी झंझट के. तो अगर आपके पास सुबह कम वक्त है तो इससे बेहतर नाश्ता कुछ नहीं हो सकता. इसके लिए आप बाजार से चूड़ा ला सकते हैं. उसे दूध या पानी में भिगो के निकाल लें और इसके बाद दही के साथ एक कटोरे में रखें और गुड़ डाल कर अच्छे से मिला लें. हो गया नाश्ता तैयार. मकर संक्रांति के दिन यूपी-बिहार-झारखंड में इसे पारंपरिक आलू-गोभी की सब्जी का भी साथ मिल जाता है.

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