आयुर्वेद चिकित्सा का सिद्धांत ऋतुचर्या और दिनचर्या पर आधारित है। स्वस्थ व विकारमुक्त रहने के लिए इसका पालन करना चाहिए। शरीर में वात, पित्त और कफ में संतुलन रहना चाहिए। इनमें असंतुलन से बीमारियां उत्पन्न होती हैं। इसलिए मौसम में परिवर्तन के साथ आहार-विहार में परिवर्तन के लिए भी प्रेरित किया गया है। इस चिकित्सा पद्धति में ऋतुओं के हिसाब से दिनचर्या अपनाने और खानपान की बात कही गई है। अब सर्दियों का मौसम दस्तक देने लगा है। हवाओं में ठंडक महसूस होने लगी है। ऐसे में जरूरी हो गया है कि दिनचर्या व खानपान को ठंड बढ़ने के साथ-साथ बदला जाए। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो और शरीर को मिले संक्रमण से बचाव का सुरक्षा कवच। ठंड के मौसम में अग्नि तत्व यानी जठराग्नि तीव्र हो जाती है। इससे पाचनतंत्र की सक्रियता बढ़ती है और भूख अधिक लगती है। सर्दियों के मौसम में वजन बढ़ने की संभावना अधिक रहती है इसलिए खानपान में थोड़ा संयम बरतना चाहिए। इसके साथ ही ठंड का शुरुआती समय बुखार, खांसी, जुकाम, गले में खराश और जोड़ों के दर्द की समस्याएं उत्पन्न करने वाला होता है। सेहत के लिए अच्छा रहेगा कि मौसम के बदलाव वाले इस समय को गंभीरता से लिया जाए।
अस्वस्थ, बुजुर्ग व बच्चे रहें सतर्क
अस्वस्थ, बुजुर्ग व बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। ऐसे में वे किसी भी संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। इन दिनों श्वसनतंत्र व जोड़ों की बीमारियों के रोगियों की परेशानी बढ़ती है। तापमान गिरने के कारण अस्थमा, ब्रांकाइटिस सीओपीडी आदि के रोगी जल्दी अस्वस्थ होते हैं। इन्हें चिकित्सकीय परामर्श पर दवाएं समय पर लेनी चाहिए। गुनगुना पानी पीने के साथ ही काढ़ा का सेवन भी कर सकते हैं। ठंड से बचाव के लिए सुबह-शाम घर से बाहर कम ही निकलें तो अच्छा रहेगा।
मौसमी बीमारियों से बचें
ठंड के मौसम में आलस्य अधिक होता है व नींद भी सामान्य से अधिक आती है। यहां भी आयुर्वेद के नियमों का अनळ्पालन करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, ठंड के शुरुआती दिनों में अधिक नींद लेना सेहत के लिए ठीक नहीं रहता है। इससे पाचनतंत्र बिगड़ता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। मौसमी बीमारियों की चपेट में आने का यह बड़ा कारण है। सुबह-शाम की ठंड को अनदेखा ना करें। आवश्यकतानळ्रूप गर्म कपड़े पहनें।
ठंडी चीजों के सेवन से बचें
आयुर्वेद में भोजन की तासीर को प्राथमिकता दी जाती है। इससे आशय है कि सर्दी या गर्मी के दिनों में किस चीज का सेवन या परहेज करना है। इन दिनों आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक व एनर्जी ड्रिंक के सेवन से बचें। गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। दाल में लहसुन, अदरक व लौंग का तड़का लगाएं। चाय में अदरक, तुलसी पत्ती, दालचीनी आदि का प्रयोग करें। रसोई में प्रयुक्त होने वाले मसालों में तेज पत्ता, जायफल, हल्दी व काली मिर्च आदि का प्रयोग बढ़ा दें। ये रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के साथ ही विभिन्न प्रकार के मौसमी संक्रमण जैसे जुकाम, बुखार खांसी, खराश आदि से बचाते हैं।
विटामिन-सी युक्त हो आहार
रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में विटामिन-सी की अहम भूमिका है। ये विभिन्न संक्रमणों से बचाता है। भोजन में इसे शामिल करने से सर्दी, जुकाम यानी कफ जनित बीमारियों से बचाव होता है। सर्दियों में हरी पत्तेदार सब्जियां खूब आती हैं। इनका सेवन अवश्य करें। रेशेदार सब्जियों के सेवन से पाचनतंत्र दुरुस्त रहता है। नियमित रूप से एक मौसमी फल खाएं, ये पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।
योग-व्यायाम है आवश्यक
सेहतमंद रहने के लिए पौष्टिक भोजन जरूरी है, लेकिन उसका पाचन ठीक से न हो तो सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ सकता है। इसलिए शारीरिक सक्रियता भी जरूरी है। निरोगी रहने व रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रखने के लिए योग-व्यायाम अवश्य करें। ठंड का मौसम शुरू हुआ है, इसलिए सेहत का ध्यान रखकर ही घर से बाहर व्यायाम या सैर के लिए निकलें। योग व ध्यान करने से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य सळ्निश्चित होता है। बुजुर्ग घर पर ही यथा सामथ्र्य योग व ध्यान करें।
मेवों का सेवन
बादाम, अखरोट, छुहारा, गरी आदि मेवे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। अभी ठंड शुरु हुई है। इसलिए मेवों का सेवन सीमित मात्रा में ही करें। ठंड बढ़ने पर इनका सेवन बहुत लाभकारी रहेगा।