ब्लड प्रेशर पेशेंट को रोजाना करना चाहिए ये योगासन

Update: 2024-08-15 10:23 GMT
हेल्थ टिप्स Health Tips: मोटापा,तनाव और धूम्रपान जैसी कई आदतें हाई बीपी की समस्या को और ज्यादा बढ़ाने का काम करती हैं। हाई ब्लड प्रेशर को आम लोगों के बीच साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हाई बीपी की वजह से लोगों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसे रोगों का जोखिम काफी ज्यादा बढ़ जाता है। आमतौर पर बीपी को कंट्रोल रखने के लिए लोग दवाओं का सेवन करते हैं। लेकिन लंबे समय तक इसके दुष्प्रभावों से बचने और 
blood pressure 
को नियंत्रित रखने के लिए योग को बेहतर उपाय माना जाता है। बता दें, योग तंत्रिकाओं को शांत करके तनाव दूर करने के साथ बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को भी स्वाभाविक रूप से कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। अगर आप हाई बीपी की समस्या से परेशान रहते हैं तो बीपी को कंट्रोल करने के लिए अपने रूटिन में ये दो योगासन शामिल करें।
विपरीत करनी आसन-
विपरीत करनी का नियमित अभ्यास ब्लड सर्कुलेशन को संतुलित करके बॉडी को 
Detoxify 
और हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में फायदा पहुंचाता है। विपरीत करनी आसन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल सीधे लेटकर अपने घुटनों को मोड़ लें। अब अंदर की ओर सांस लेना शुरू करें और टांगों को ऊपर की तरफ उठाएं। ध्यान रखें, ऐसा करते समय आपके हाथ हिप्स से टिके रहने चाहिए। कुछ सेकंड अपने पैर इसी पोजीशन में बने रहने दें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए इन्हें नीचे ले आएं। अगर आप पहली बार इस आसन का अभ्यास कर रहे हैं तो दीवार का सहारा भी ले सकते हैं। लेकिन ऐसा करते समय दीवार और पैरों के बीच तीन फीट की दूरी जरूर बनाए रखें।
शीतली प्राणायाम-
शीतली प्राणायाम हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने के साथ शरीर को ठंडा भी बनाए रखता है। इस प्राणायाम को अंग्रेजी में Cooling Breath भी कहा जाता है। इस प्राणायाम का अभ्यास करने से पहले अनुलोम-विलोम का अभ्यास करें। ‍इसके बाद किसी भी आसान की अवस्था में बैठकर जीभ को बाहर निकालकर नलीनुमा बनाते हुए मुंह से सांस अंदर की ओर खींचे। सांस भीतर की तरफ खींचने के बाद जीभ अंदर करके मुंह बंद करें और फिर नाक से धीरे-धीरे श्वास बाहर निकाल दें। यह क्रिया 5 बार करें और फिर इसे धीरे-धीर बढ़ाकर 50 से 60 बार करें। शीतली प्राणायाम उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के साथ मन को शांत, क्रोध को नियंत्रित, पित्त,कब्ज,पेट रोग,चर्म रोग,पेट की गर्मी,गले के रोग में भी फायदा पहुंचाता है।
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