BP रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है काले तिल

Update: 2024-08-16 16:31 GMT
हेल्थ टिप्स Health Tips: आपकी रसोई में रखे तिल, पूजा से लेकर टेस्टी डिशेज बनाने तक में काम आते हैं। आमतौर पर तिल दो तरह के देखने को मिलते हैं-काले और सफेद। घर की महिलाएं सफेद तिल का इस्तेमाल लड्डू और चिली पोटैटो जैसी रेसिपीज को बनाने के लिए करती हैं। जबकि काले तिल पूजा के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, काले तिल सिर्फ आपकी आस्था का ही नहीं बल्कि आपकी सेहत का भी उतना ही ध्यान रखते हैं। जी हां, काले तिल में कैल्शियम,पॉलीसैचुरेटेड फैटी एसिड,ओमेगा-6,फाइबर,आयरन,आयरन,कैल्शियम,मैग्नीशियम, फॉस्फोरस जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो बीपी कंट्रोल करने से लेकर मेंटल हेल्थ को अच्छा बनाए रखने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं काले तिल का सेवन करने से सेहत को मिलते हैं क्या-क्या गजब के लाभ।
काले तिल का सेवन करने से सेहत को मिलते हैं ये फायदे-
मजबूत पाचन तंत्र-
सर्दियों में पाचन संबंधी समस्याएं व्यक्ति को काफी परेशान करती हैं। ऐसे में काले तिल का सेवन आपकी समस्या को दूर करने में आपकी मदद कर सकता है। काले तिल में फाइबर मौजूद होता है,जो पाचन तंत्र को मजबूत बनकर पाचन क्रिया को बेहतर बनाने का काम करता है। जिससे कब्ज और अपच जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
मजबूत हड्डियां-
सर्दियों के मौसम में काले तिल का सेवन करने से हड्डियां भी मजबूत बनी रहती हैं। काले तिल में मौजूद 
Calcium 
की मात्रा हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करती हैं। सर्दियों में इसका सेवन करने से जोड़ों और हड्डियों में दर्द की समस्या में राहत मिलती है। बता दें, गठिया के मरीजों के लिए भी काले तिल का सेवन बेहद फायदेमंद हो सकता है।
दिमागी सेहत-
काले तिल में विटामिन बी6, मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो दिमागी सेहत को अच्छा बनाए रखने में मदद करते हैं। काले तिल का सेवन करने से दिमाग तेज होता है।
दिल की सेहत-
काले तिल में पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स और एंटीऑक्सीडेंट पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में मदद करते हैं। जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है।
इम्यूनिटी बूस्ट-
सर्दियों के मौसम में काले तिल का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। काले तिल में एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं, जो इम्यूनिटी बूस्ट करने में मदद करते हैं। जिससे मौसमी बीमारियों और संक्रमण जैसे सर्दी-जुकाम का जोखिम कम होता है।
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