टाइप -2 मधुमेह के लिए काले बीज: और इसका तेल मधुमेह के उपचार में कैसे मदद कर सकता है
गर्भवती महिलाओं को भी कलौंजी खाते समय सावधानी बरतने की जरूरत होती है। अधिक मात्रा में इनका सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है।
कलौंजी जिसे इंग्लिश में ब्लैक सीड्स कहा जाता है।। कलौंजी को ब्रेड्स के ऊपर, कई दालों के अंदर और करी में इस्तेमाल किया जाता है। कलौंजी की खुशबू बहुत अच्छी होती है। इसके अलावा यह छोटा सा मसाले का बीज कई स्वास्थ्य लाभ देता है। कलौंजी में कई लवण और पोषक तत्व होते हैं। कलौंजी में कई तरह के अमीनो एसिड और प्रोटीन पाए जाते हैं। यह आयरन, सोडियम, कैल्शियम, पोटैशियम और फाइबर से भरपूर होती है। अपने इन्हीं गुणों की वजह से कलौंजी को मसालों में सबसे हेल्दी माना गया है।
डायबिटीज को करें दूर
भारतीय आहार में कलौंजी का इस्तेमाल खूब किया जाता है। इसके अलावा कलौंजी का तेल भी बनाकर इस्तेमाल में लिया जाता है। यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में कारगर है। हां, कलौंजी का तेल टाइप 2 डायबिटीज में अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो कई तरह से टाइट 2 डाइबिटीज में फायदेमंद होते हैं। कई शोध में ये बात सामने आ गई है कि कलौंजी ब्लड शुगर के स्तर को नियमित करने में मददगार है। शोध के अनुसार डायबिटीज के मरीज अगर अपने आहार में कलौंजी का इस्तेमाल करते हैं तो यह खाली पेट ब्लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल करती है।
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हाइपरग्लाइकेमिया या बढ़ा हुआ रक्त शर्करा की वजह से भी शरीर में बढ़ी हुई सूजन के जुड़ा हुआ है। शोध से पता चला है कि अपने दैनिक आहार में कलौंजी तेल या कलौंजी को शामिल करने से शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
बरतें सावधानी
कलौंजी के बीजों का सेवन करते वक्त इस बात का ध्यान रखें। एक बार में 3 या 5 से ज्यादा बीजों का इस्तेमाल न करें। यह पित्त दोष को पैदा कर सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को भी कलौंजी खाते समय सावधानी बरतने की जरूरत होती है। अधिक मात्रा में इनका सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है।