हार्मोन्स हमारे शरीर के केमिकल मैसेंजर हैं. अलग-अलग हार्मोन्स हमारी अलग-अलग गतिविधियों को प्रभावित करते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो हार्मोन्स ऐसे रासायनिक संदेशवाहक हैं, जो हमारे शरीर की गतिविधियों को प्रभावित ही नहीं, नियंत्रित भी करते हैं. कहने का मतलब है, हार्मोन्स ही हमारे अलग-अलग मूड्स के लिए ज़िम्मेदार हैं. जब इनका संतुलन ऊपर नीचे होने लगता है, तब हमारा मूड भी अस्थिर हो जाता है. अपने खानपान में कुछ बदलाव करके आप मूड को अस्थिर करनेवाले हार्मोन्स को नियंत्रित कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं कुछ मुख्य हार्मोन्स को नियंत्रित करने के तरीक़े.
हार्मोन: एस्ट्रोजन
यह हार्मोन हमारे शरीर की वृद्धि और विकास, हड्डियों की वृद्धि, प्रौढ़ता, प्रजनन क्षमता, सतर्कता के स्तर, शक्कर पर नियंत्रण और भोजन की इच्छा को प्रभावित करता है.
क्यों आती है इसमें गड़बड़ी: अगर आप लंबे समय तक भूखे रहते हैं या क्रैश डायट्स फ़ॉलो करते हैं तो यक़ीनन आपके एस्ट्रोजन का स्तर नीचे आ जाएगा. जो आपके शरीर के लिए अच्छा नहीं होगा.
तो क्या करें: क्रैश डायट के दौरान हमारा शरीर अपनी स्टोर्ड एनर्जी अर्थात पहले से जमा ऊर्जा का इस्तेमाल करता है. इससे कई मेटाबॉलिज़्म की रेट में गड़बड़ी आती है और कई हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं, ख़ासकर एस्ट्रोजन. ऐसी स्थिति से बचने के लिए संतुलित डायट बहुत ज़रूरी है. अगर आपको वज़न कम करना हो तो डायट के साथ-साथ नियमित रूप से व्यायाम भी करें.
हार्मोन: टेस्टोस्टेरॉन
टेस्टोस्टेरॉन मांसपेशियों और हड्डियों के वज़न की देखरेख करने में सहायता करता है और सेक्स की इच्छा को बढ़ाता है. जब ख़ून में टेस्टोस्टरॉन का स्तर बढ़ता है तो हड्डियों का घनत्व (बोन डेंसिटी) भी बेहतर होता है.
क्यों आती है इसमें गड़बड़ी: जब आप ज़रूरत से ज़्यादा प्रोसेस्ड या रेडीमेड फ़ूड खाते हैं तो अपने शरीर के टेस्टोस्टेरॉन लेवल के साथ अत्याचार करते हैं. प्रोसेस्ड फ़ूड्स में कई ऐसे केमिकल्स होते हैं, जो हमारे नर्व सेल्स को नुक़सान पहुंचाते हैं. इतना ही नहीं इनकी वजह से हमारे शरीर में अतिरिक्त फ़ैट का जमाव होता है. एक्स्ट्रा फ़ैट टेस्टोस्टेरॉन का प्रोडक्शन कम करता है.
तो क्या करें: रेडी टू ईट चीज़े भले ही खाने में स्वादिष्ट लगें पर उन्हें खाने से पहले यह जान लें कि वे हमारे शरीर की दुश्मन हैं. बेहतर यही होगा कि घर के पास के मार्केट जाकर ताज़ी सब्ज़ियां और गोश्त ले आएं.
हार्मोन: प्रोजेस्टेरॉन
नियमित माहवारी महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य का इंडिकेटर हैं. और यह प्रोसेस नियंत्रित होता है ओवरीज़ में प्रोड्यूस होनेवाले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन्स से.
क्यों आती है इसमें गड़बड़ी: जब आप ठीक से नींद नहीं लेते और तनाव में रहते हैं तब एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन के प्रोडक्शन में गड़बड़ी आ जाती है.
तो क्या करें: ठीक से नींद नहीं लेने की आदत आगे चलकर इन्सोम्निया में तब्दील हो जाती है. इन्सोम्निया में, हार्मोन्स को अपनी दुरुस्ती और पुनर्निर्माण के लिए समय नहीं मिल पाता और अंतत: इससे अनियमित मेन्स्ट्रुएशन और समय से पूर्व मेनोपॉज़ हो सकता है. इसलिए ज़रूरी है कि शरीर को एक नियमित समय पर सोने की आदत डालें. और तनाव लेने से बचना भी बहुत ज़रूरी है. हेल्दी खानपान का फ़ंडा यहां भी लागू होता है. फ़ाइबर्स और फ़ाइटोन्यूट्रिएंट्स युक्त चीज़ों को डायट में शामिल करें.
हार्मोन: इंसुलिन
इंसुलिन वह हार्मोन्स है जो रक्तप्रवाह में शक्कर को प्रवाहित करता है और कोशिकाओं को क्रियाशील बनाता है.
क्यों आती है इसमें गड़बड़ी: यदि आप ज़रूरत से अधिक मीठा खा रहे हैं तो समझिए इंसुलिन को छेड़ रहे हैं. चॉकलेट में मौजूद शक्कर के चलते इंसुलिन की कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न होती है.
तो क्या करें: अपने खानपान में सोया, अंडे, पत्तेदार सब्ज़ियां, अलसी जैसी चीज़ें शामिल करें. इनमें मल्टी विटामिन्स, ओमेगा 3 फ़ैटी एसिड्स जैसे ज़रूरी घटक होते हैं. अगर मीठा खाने की इच्छा पर क़ाबू पाना मुश्क़िल है तो उसके साथ थोड़ी मात्रा में प्रोटीन का भी सेवन करें. खाने में कार्बोहाइड्रेट्स कम कर दें. इंसुलिन का स्तर सामान्य बना रहेगा.
अन्य सावधानियां
* मेकअप प्रॉडक्ट्स ख़रीदते समय रखें ख़ास ध्यान
शरीर में हार्मोनल संतुलन बनाए रखने के लिए खानपान के साथ-साथ अपने कॉस्मेटिक्स के चुनाव के दौरान भी सावधानी बरतें. ऐसे प्रॉडक्ट्स न ख़रीदें जिनमें मिथाइलपैराबिन्स, प्रोपाइल पैराबिन्स, प्रोपलीन ग्लाइकोल, पैराफ़िन, पैलेट्स, आइसोप्रोपाइल अल्कोहल और सोडियम लॉरिल सल्फ़ेट हों. जब ये रसायन आपकी त्वचा के संपर्क में आते हैं, तब ये थाइरॉइड के कुछ हार्मोंस को घटा देते हैं. अच्छी बात यह है कि ज़्यादातर मेकअप, स्किन-केयर और हेयर-केयर ब्रैंड्स ने ऐसे तत्वों से छुटकारा पा लिया है. फिर भी, ऑर्गैनिक प्रॉडक्ट्स अपनाना बेहतर होगा.
* कैफ़िन के ओवर लोड से बचें
कैफ़ीन हमें तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है, लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा कैफ़ीन का इनटेक हमारे हार्मोंस के लिए अच्छा नहीं है. कैफ़ीन की अधिकता एस्ट्रोजन के स्तर को बदलकर हार्मोंस से जुड़ी कुछ बीमारियों की संभावनाओं को बढ़ाता है. कैफ़ीन शरीर
को कोर्टिसोल के उत्पादन को बढ़ाकर हमारी बेचैनी को बढ़ाता है. इसलिए बहुत ज़रूरी है कि चाय और कॉफ़ी के सेवन पर लगाम लगाएं.
* निकोटिन भी है हानिकारक
शरीर के हार्मोनल संतुलन के लिए कैफ़ीन की तरह ही निकोटिन भी ख़तरनाक है. जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें बांझपन, अनियमित मेंस्ट्रुअल साइकल और समय से पूर्व मेनोपॉज़ का ख़तरा बढ़ जाता है. धूम्रपान कोर्टिसोल, एंड्रोजेन्स, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन जैसे हार्मोन्स को परिवर्तित कर, हार्मोनल संतुलन में गड़बड़ी पैदा करता है और थाइरॉइड, पिट्यूटरी, एड्रेनल्स और ओवरीज़ जैसे एंड्रोक्राइन ग्लैंड्स पर प्रभाव डालता है. इसलिए जितना जल्दी हो सके सिगरेट को अलविदा कह दें.