ऑटिज्म से बच्चे का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पड़ता है प्रभावित
जब बच्चा चीजों को पहचानने में गलती करे या बात समझने में दिक्कत आए तो समझिए बच्चा किसी मानसिक परेशानी का शिकार है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जब बच्चा चीजों को पहचानने में गलती करे या बात समझने में दिक्कत आए तो समझिए बच्चा किसी मानसिक परेशानी का शिकार है. ऐसा ही एक डिसऑर्डर ऑटिज्म है. ऑटिज्म एक लाइलाज बीमारी है जो कई कारणों से हो सकती है. बच्चे के 12 महीने के होते ही उसमें ऑटिज्म के लक्षण दिखाई देने लगते हैं. ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के रहने, समझने और बोलने का एक निश्चित पैटर्न होता है जिसे पहचानना आसान होता है. इस बीमारी के कारण कई बार बच्चों को इमोशंस शेयर करने में दिक्कत आती है और न ही वह दूसरों के इमोशंस आसानी से समझ पाते हैं. हालांकि ऑटिज्म के कुछ लक्षण ऐसे हैं जिन पर अगर गौर किया जाए तो इस बीमारी को शुरुआत में ही पहचाना जा सकता है.
कम्युनिकेट करने में परेशानी
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को कम्युनिकेट करने में काफी परेशानी आती है. वेरीवैल फैमिली के अनुसार ऐसे बच्चों को अक्सर भाषा बोलने और समझने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है. वह कई बार इशारे से बात समझाने की कोशिश करते हैं. पांच साल से छोटे बच्चों में यह लक्षण देखे जा सकते हैं.
अन्य बच्चों के साथ खेलने में कठिनाई
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे खिलौनों, किसी वस्तु या अन्य बच्चों के साथ असामान्य तरीके से खेलते हैं. वह अन्य बच्चों के बजाय अकेले खेलना ज्यादा पसंद करते हैं.वह एक ही बात को बार-बार दोहराते हैं, साथ ही चीजों से बहुत जल्दी बोर हो जाते हैं. यही वजह है कि वह अन्य बच्चों के साथ असहज महसूस करते हैं.
पहचानने में परेशानी
ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों को चीजें पहचानने में काफी परेशानी होती है. वह चीजों को पहचानने के लिए सेंसेस का प्रयोग करते हैं. जैसे- सूंघना, स्पर्श करना, स्पीड और देखना. सेंसेस के माध्यम से वह जो अनुभव करते हैं वैसी ही प्रतिक्रिया करते हैं.
बच्चे को होती है स्लीप प्रॉब्लम
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को आमतौर पर नींद न आने की समस्या होती है. नींद पूरी न होने की वजह से बच्चे की सीखने की क्षमता पर असर पड़ता है. उन्हें चढ़ने, कूदने या अन्य शरीरिक गतिविधियों को करने में कठिनाई आ सकती है.