घूमने के अलावा कैम्पिंग के लिए भी बेस्ट हैं लेह-लद्दाख, इन 6 जगहों पर उठाए इसका लुत्फ
इन 6 जगहों पर उठाए इसका लुत्फ
जब भारत में यात्रा करने की बात आती है, तो सभी की लिस्ट में लेह-लद्दाख का नाम भी जरूर शामिल होता हैं। हरे-हरे चीड़ के पेड़, ऊंचे पहाड़, सुंदर झीलों वाली घाटी लेह-लद्दाख घूमने के लिए एक बेहतरीन जगह है। समुद्र तल से 11,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित, लद्दाख आपको प्रदूषित शहरों से दूर स्वच्छ हवा और शांत वातावरण देने की पेशकश करता है। यहां घूमने के लिए तो काफी सारी जगह हैं, साथ ही ये कैंपिंग के लिए भी प्रसिद्द है। यहां की कैंपिंग का अनुभव किसी रोमांच से कम नहीं होता। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं लेह-लद्दाख की ऐसी जगहों के बारे में जो कैम्पिंग के लिए बेस्ट हैं। दूर किसी शहर में शांति और साफ हवा में समय बिताना चाहते हैं तो इन जगहों पर कैंपिंग का मजा ले सकते हैं। आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...
नुब्रा वैली
इस आश्चर्यजनक घाटी को Tri-Arm Valley के नाम से भी जाना जाता है। अगर लद्दाख जा रहे हैं, तो कैम्पिंग के लिए ये अच्छी जगह है। यहां आपको बर्फ़ से ढके पहाड़, पुराने महल और चीज़ें देखने को मिलेंगी। यहां कैम्पिंग करने का सबसे अच्छा समय जून से सितंबर के बीच है, तब यहां का मौसम बहुत सुहावना होता है। इस जगह के कुछ बेहतरीन शिविर डेज़र्ट हिमालय रिसॉर्ट में हैं, जिसमें लक्ज़री टेंट के साथ-साथ ऑर्गेनिक गार्डन से घिरा नुब्रा ऑर्गेनिक रिट्रीट भी है। इस तरह के कैम्प में आपको सभी तरह की सुविधाएं मिलेंगी। यहां इंडियन, चीनी और कॉन्टिनेंटल खाना मिलता है।
जांस्कर वैली
सबसे मशहूर घाटियों में से एक जांस्कर वैली है। ये जम्मू की सबसे ऊंची घाटी है और पास में एक ट्रेकिंग ट्रेल है। यहां कैंपिंग के लिए जून से सितंबर में जाना अच्छा रहेगा। यह ट्रैक असल में एक जमी हुई नदी है। यह नदी सर्दियों में किस हद तक जम जाती है इसका अंदाजा इस बात से आसानी से लगाया जा सकता है कि इस पर लोग ट्रैकिंग भी करते हैं। इसी वजह से यह दुनियाभर में 'चादर ट्रैक' के नाम से भी मशहूर है। यह नाम इसे इसलिए दिया गया है क्योंकि सर्दियों में इस जंस्कार नदी के ऊपर बर्फ की चादर जैसी जम जाती है। 2018 में आई रिपोर्ट्स के अनुसार, चादर ट्रैक पर टूरिस्टों की बढ़ती संख्या और उसके द्वारा फैलाए जा रहे कूड़े-कचरे व ग्लोबल वॉर्मिंग से होने वाले खतरे को देखते हुए वहां टूरिस्टों के आने पर रोक लगाई जा सकती है। इसके अलावा वहां बेहद कम तापमान की वजह से लोग दिन में ट्रैकिंग करते हैं और रात में कैंपिंग, जिसकी वजह से घाटी के पर्यावरण और शांति पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
पैंगोंग झील
पैंगोंग झील लद्दाख में सबसे अच्छे और खूबसूरत कैंपिंग साइट्स में से एक है। अगर आप किसी शांत जगह जगह पर कुछ समय बिताना चाहते हैं, तो ये कैंपिंग के लिए परफेक्ट है। झील के किनारे सेल्फ कैंपिंग के साथ-साथ कैंपिंग साइटों के लिए भी कई जगह मौजूद हैं, जिसमें चादर टेंट और गर्म कपड़े, बिस्तर, आसपास की देखने लायक खूबसूरत जगह, खाना, पानी और एक सुरक्षित परिसर जैसी कई सुविधाएं पर्यटकों दी जाती हैं। यदि आप एक शांत वातावरण की तलाश में हैं तो ये जगह आपके लिए एकदम परफेक्ट है। पैंगोंग रिट्रीट पैंगोंग झील के किनारे स्थित सबसे अच्छे कैंपिंग स्थलों में से एक है।
सिंधु नदी
इतिहास में सिंधु नदी के बारे में पढ़ा होगा यहां जाकर घूम भी लें। लेह लद्दाक की सबसे खूबसूरत घाटियों में से एक सिंधु नदी प्राकृतिक सुंदरता और आश्चर्यजनक दृश्यों के साथ एक बेहतरीन कैम्पिंग की जगह है। ये क्षेत्र विशेष रूप से सिंधु घाटी सभ्यता का घर है, जो सबसे पुरानी मानव जाति के लिए जाना जाता है। यहां पर आप दिन के दौरान ट्रेकिंग कर सकते हैं और बेहतरीन अनुभव के लिए कैम्पिंग में रात बिता सकते हैं।
त्सो मोरिरी
त्सो मोरीरी लद्दाख में स्थित एक और खूबसूरत झील है। यह लद्दाख की सबसे बड़ी झील है और समुद्र तल से 15,075 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां कई प्रकार की वनस्पति और जीव पाए जाते हैं। आप इस स्थान पर 30 विभिन्न प्रकार के पक्षियों को देख सकते हैं। झील के किनारे कई कैंपिंग साइट मौजूद हैं, अगर आप खुद से कैंपिंग करना चाहते हैं, तो हमारी सलाह है कि पहले आप यहां के स्थानीय लोगों से सेल्फ कैंपिंग के लिए बात कर लें, क्योंकि वहां की अधिकांश भूमि ग्रामीणों की है। नोर्लिंग कैंप और नोमाडिक कैंप यहां की कैंपिंग साइट हैं।
थिकसी मठ
हिमालय के बीच ठहरने के लिए लद्दाख में एक और जगह है थिकसी। यह एक अद्भुत जगह है जहां आप कैंपिंग का फूल मजा ले सकते हैं। साथ ही यहां कई एडवेंचर गतिविधियां भी करवाई जाती हैं। थिकसी मठ के साथ यहां स्थित चंबा कैंप है, जो आपके लिए थिकसी में कैंप लगाने के लिए एकदम सही जगह है। यहां आप राफ्टिंग, साइकिलिंग, ब्रिज-वॉचिंग और पोलो खेलने जैसी गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं।