इकलौते बच्चे की होती हैं अलग परेशानियां, यहां पढ़ें परवरिश से जुड़ी जरूरी बातें और बच्चों को कैसे खुश रखे
मंहगाई के दौर में आजकल लोग इकलौती संतान की करना चाहते हैं। अकेला बच्चा कहीं अकेला तो नहीं हो गया है इस बात का अतिरिक्त ध्यान रखना है जरूरी। बहुत बार इकलौती संतान हो जाती है जिद्दी चिड़चिड़ी या अवसादग्रसित।।इकलौती संतान या कहें एकल या अकेला बच्चा। यूं तो लोग सोचते हैं इकलौता बच्चा है तो नाजो से रखा गया होगा। हां ये सही भी है। बहुत बार इकलौते बच्चे को अतिरिक्त प्यार मिलता है। माता पिता का पूरा ध्यान अपने इकलौते बच्चे पर ही होता है। लेकिन उस बच्चे का क्या जो अपने दोस्तों को भाई बहनों के साथ बढ़ते हुए देता है लेकिन खुद घर में अकेला ही रहता है। स्कूल में दोस्त तो मिल जाते हैं। मम्मी पापा सारी डिमांड भी पूरी करते हैं लेकिन भाई बहनों के साथ होने वाली परवरिश के उत्साह से वो वंचित ही रहता है। एेसे में देखा गया है कि इकलौती संतान जिद्दी, चिड़चिड़ी या अवसादग्रसित हो जाती है। एेसे में माता पिता के सामने सवाल होता है बच्चे को कैसे खुश रखने के साथ उसे इस तरह की परवरिश दें कि वो संस्कारी भी बने और जिम्मेदार भी। वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ केसी गुरनानी बता रहें हैं कुछ टिप्स जो आपके इकलौते बच्चे को एक स्वस्थ वयस्क बनने में मदद कर सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
1- बच्चे को विभिन्न खेल प्रतिस्पर्धाओं में भाग दिलवाएं। जरूरी नहीं कि ये स्कूली शिक्षा से संबंधित ही हो। आप बच्चे के दोस्तों को बुलाकर भी एेसा कर सकते हैं। बच्चे को परिवार और बाहर बातचीत करने को प्रोत्साहित करें ताकि बच्चा अपने सामाजिक कौशल को बढ़ा सके।
2- हालांकि वह आपकी इकलौती संतान है, लेकिन उसकी सभी मांगों को मानकर उसे खराब न करें। अपनी अपेक्षाएं निर्धारित करें और सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा गैर-जिम्मेदार कार्यों के परिणामों को समझता है।
3- अपने बच्चे को अपने भाई-बहन के बारे में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने दें और यह तथ्य है कि वे नहीं करते हैं। क्या वो अपना कोई भाई या बहन चाहता है, यदि इस बारे में वो कुछ कहना चाहता है तो धैर्य से सुनें।
4- एक बार जब आपका बच्चा उपयुक्त उम्र का हो जाए, तो केवल एक बच्चा होने की अपनी पसंद के बारे में स्पष्टीकरण दें, और आश्वस्त करें कि यह उसके सर्वोत्तम हित में है।
5- जब से आपका बच्चा दो साल का हो जाए, तब से अपने बच्चे को कहानियों, गेम प्ले आदि के माध्यम से साझा करने और देने की अवधारणाएं सिखाएं। इसे शेयरिंग टिप्स भी कहते हैं।
6- अपने बच्चे के साथ जितना हो सके उतना समय बिताएं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह अकेला नहीं है।
7- अगर आपका बच्चा बहुत अकेलापन महसूस करता है तो अपने घर कोई पेट ले आएं। अक्सर देखा गया है कि बच्चों के लिए पालतू जानवर साथी की तरह होते हैं। उन्हें लगता है जैसे उनके साथ खेलने के लिए कोई आ गया है। इससे उनमें उसकी केयर करने की जिम्मेदारी भी विकसित होगी।