योगी आदित्यनाथ का दांव पश्चिमी यूपी में फिर से कमल खिला पाएगा?
योगी आदित्यनाथ का दांव
पंकज कुमार।
उत्तर प्रदेश में शह और मात का खेल जारी है. एक तरफ बीजेपी को घेरेने के लिए किसान संगठन तैयार हैं, वहीं बीजेपी ने भी किसान आंदोलन की धार को कुंद करने के लिए जोरदार पहल की शुरुआत कर दी है. ऐसे में बीजेपी की पहल कारगर होगी या फिर किसान संगठन का विरोध इस पर सबकी नजर रहेगी. लेकिन कैराना में बीजेपी ने पलायन कर चुके लोगों को वापस बसा कर बड़ा दांव खेला है.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने शामली के कैराना पहुंच कर वैसे परिवारों से मुलाकात की, जो सांप्रदायिक दंगों के बाद कैराना छोड़ने को मज़बूर हो गए थे. योगी ने पहल करते हुए पलायन कर चुके लोगों को वापस बसाया है. योगी ने कई परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करते हुए वेस्ट यूपी में खिसक रही जमीन को वापस लाने के लिए बड़ा दांव चला है. ज़ाहिर है चंद महीनों में होने वाले चुनाव से पहले योगी ने चिरपरिचित अंदाज में हिंदुत्व का कार्ड खेल कर पलायन कर चुके जाट और अन्य जातियों को बीजेपी के साथ जोड़ने का प्रयास किया है.
पश्चिमी यूपी में बीजेपी के लिए सीटें बरकरार रखना बड़ी चुनौती
वेस्ट यूपी की 71 सीटों में से 52 विधायक बीजेपी के हैं और तभी बीजेपी की संख्या 313 तक पहुंच पाई थी. ज़ाहिर है इस चुनाव में भी इस संख्या को बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती है क्योंकि जाट मतदाताओं का रुख बीजेपी सरकार के खिलाफ होगा, ऐसा कयास लगाया जा रहा है. दरअसल जाट मतदाताओं की नाराज़गी की वजह किसान आंदोलन माना जा रहा है और इस जाति की संख्या पश्चिम यूपी में निर्णायक कही जाती है.
दरअसल पश्चिमी यूपी में 14 जिले हैं, जिनमें 71 विधानसभा सीटें पड़ती है. बीजेपी ने साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 51 सीटें जीतकर रिकॉर्ड दर्ज किया था. राष्ट्रीय लोकदल के अकेले विधायक सहेंद्र रमाला ने भी बीजेपी में शामिल होकर पश्चिम यूपी में संख्या 52 तक पहुंचा दी थी. बीजेपी के बाद समाजवादी पार्टी 16, कांग्रेस दो और बीएसपी एक सीट जीतने में कामयाब रही थी. इस बार आरएलडी और सपा के हाथ मिलाने से बाजी पलट सकती है. इसलिए बीजेपी इस धार को कुंद करने के लिए लागातार प्रयास कर रही है.
जाति की रानजीति को हिंदुत्व से पलटवार
योगी के नेतृत्व में बीजेपी मैदान में होगी ये तय है. इसलिए योगी के राज में हिंदुओं पर वार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. ऐसा मैसेज योगी स्वयं देने कैराना पहुंच गए. कैराना पहुंचकर पीएसी कैंप का शिलान्यास किया और अन्य परियोजनाओं का लोकार्पण करते हुए योगी ने चिर परिचित अंदाज में कह दिया कि हिंदुओं का अपमान उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं होने वाला है.
योगी ने जाति के झांसे में नहीं आने की बात कह जनसभा में लोगों से पूछा कि जब निर्दोष हिंदुओं के घर जलाए जा रहे थे, तब जाति की राजनीति करने वालों को जाति नजर नहीं आ रही थी. यह धर्मचक्र है यह चक्र मोदी जी ने ऐसा घुमा दिया है कि जो लोग कल तक मंदिर जाने में संकोच करते थे और आज उनका तिलक इतना बड़ा होता है कि जैसे वह ही सबसे बड़े हिंदू हैं.
जाति की गणित को तोड़ पाएंगे योगी?
विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल एक साथ मिलकर जाट और मुस्लिमों को एक साथ लाने का प्रयास कर रहे हैं. माना जाता है कि 25 विधानसभा सीटों पर जाट और मुस्लिम मतदाताओं का मतदान निर्णायक रोल प्ले करता रहा है. जाटों के 7 फीसदी मतदाताओं का हिस्सा पश्चिम यूपी में 29 पर्सेंट मुस्लिम मतदाताओं में शामिल हो जाता है, तो गठबंधन चुनावी अंकगणित को बिगाड़ने में उनकी भूमिका प्रभावी हो सकती है.
वैसे 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान यह फॉर्मुला काम नहीं आ पाया था और जाट मतदाताओं का बड़ा हिस्सा बीजेपी की ओर मुखातिब हुआ था. वेस्ट यूपी में किसान आंदोलन के बाद से बीजेपी के वोटर खिसकने की बात कही जा रही है. इसलिए योगी ने 'घर वापसी' करने वाले परिवारों से कैराना में मुलाकात कर एक बड़ा दांव चला है, जो हिंदुओं को एकजुट करने के तौर पर देखा जा रहा है.
शामली विधानसभा सीट के सिंभाल का और थाना भवन विधानसभा सीट के सिलावर जाट बहुल गांव हैं. सिलावर के पास का गांव कश्यप बहुल सिक्का गांव है. जहां बीजेपी की स्थिती मज़बूत दिखाई पड़ रही है. लोग वहां मुफ्त राशन और योगी सरकार में शांतिपूर्ण जीवन के लिए योगी सरकार का धन्यवाद तो करते हैं, लेकिन मूल्य वृद्धि से परेशान होने की भी बात उनके जुबान पर आती रहती है. सिक्का में 4,500 मतदाताओं में से 3,500 कश्यप समुदाय के हैं. ऐसे में बीजेपी चुनाव से पहले जातिगत समीकरण को तोड़ने के लिए कई और प्रयास कर सकती है. इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है.