नई पीढ़ी में कार्य जीवन संतुलन

Update: 2025-01-31 13:01 GMT
Vijay Garg: वर्ष 1997 और 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी, जिसे जेनरेशन जेड भी कहा जाता है, वह वैश्विक कार्यबल को प्रभावित करने की स्थिति में आ गई है। ये वैश्विक उपभोक्ताओं का लगभग 40 प्रतिशत और वैश्विक कार्यबल का 25 प्रतिशत हिस्सा हैं। इस वर्ष के अंत तक इस पीढ़ी का भारत के कार्यबल का 27 प्रतिशत हिस्स बनने का अनुमान है। हालांकि हाल के अध्ययनों से यह स्पष्ट होता है कि जेनरेशन जेड की स्थायी और दीर्घकालिक रोजगार प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। प्रत्येक छह कंपनियों में से एक इस पीढ़ी के नए कर्मचारियों को नियुक्त करने में संकोच कर रही है। ये रुझान कार्यबल में उनकी तैयारी की लेकर चिंता उत्पन्न करते हैं।
एक संबंधित अध्ययन प्रमुख तीन मुख्य कारणों की और इशारा करते हैं- प्रतिक्रिया का विरोध जबाबदेही और दीर्घकालिक प्रतिबद्धता की कमी एवं रिमोट वर्क के लिए प्राथमिकता 'गैलप' की एक रिपोर्ट के अनुसार, 55 प्रतिशत नियोक्ताओं ने रचनात्मक प्रतिक्रिया को स्वीकार न करने की प्रवृत्ति को प्रमुख चुनैती माना है। यह प्रतिक्रिया प्रतिरोध उनके विकास, अनुकूलन क्षमता और सुधार को प्रभावित करता है। जबकि जेनरेशन जेड कर्मचारी प्रतिक्रिया को आलोचना के रूप में देखते हैं। ऐसे में यह समझना आवश्यक है कि प्रतिक्रिया व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है प्रतिक्रिया को स्वीकार करने और उस पर कार्य करने में असमर्थता उनके करियर की उन्नति में बाधा डाल सकती है और उनके लिए उन संगठनों में समायोजन कठिन है, जहाँ सुधार को महत्व दिया जाता है।
'कैरियर बिल्डर' के एक शोध में यह भी सामने आया है कि कुछ जेनरेशन जेड कर्मचारी 'माउस जिंगल' जैसे व्यवहार में संलग्न होते हैं, जहां के वास्तविक कार्य से बचते हुए सक्रिय दिखने के लिए अपने कंप्यूटर माउस में हेरफेर करते हैं। पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट के अनुसर 45 प्रतिशत जेनरेशन जेड पेशेवरों ने कठिन कार्यों से बचने या प्रगति का भ्रम पैदा करने के लिए ऐसी युक्तियों का उपयोग करना स्वीकार किया है 'डेलायट' ने पाया है कि 44 प्रतिशत जेनरेशन जेड कर्मचारी रोजगार के पहले दो वर्षों के भीतर नौकरी बदलने की उम्मीद करते हैं। पुरानी पीढ़ियां कई वर्षों तक एक ही कंपनी के साथ रहती थीं, जबकि जेनरेशन जेड तेजी से नए अवसरों की तलाश करती है यह प्रवृत्ति उन नियोक्ताओं के लिए चिंता का विषय है जिन्हें अपने कार्यबल से स्थिरता और वैर्घकालिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।
इसके अतिरिक्त, गैलप के 2021 के सर्वेक्षण से पता चला है कि 58 प्रतिशत जेनरेशन जेड कर्मचारी 'रिमोर्ट वर्क' पसंद करते हैं, जो यह लचीलेपन के लिए कार्यबल की बदलती अपेक्षाओं को दर्शाता है। हालांकि इसके कार्य- जीवन संतुलन जैसे लाभ भी हैं, तो वहीं यह टीम सहयोग व जवाबदेशी के लिए चुनौतियां भी प्रस्तुत करता है लिहाजा जी नियोक्ता लचाली कार्य व्यवस्था की पेशकश करने में असमर्थ या अनिच्छुक हैं, उन्हें जेनरेशन जेड की शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करने और उन्हें साथ बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है।
दीर्घकालिक करियर लक्ष्य इन चुनौतियों के समाधान के लिए इस पीढ़ी को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के अनुसार, जो कर्मचारी सक्रिय रूप प्रतिक्रिया मांगते और स्वीकार करते हैं, उनके करियर में आगे बढ़ने की संभावना अधिक होती है। रचनात्मक आलोचना की स्वीकार करके, वे अपने कौशल की बढ़ा सकते हैं और प्रबंधकों के साथ बेहतर संबंध बना सकते हैं। हालांकि नौकरी की तलाश करना जनरेशन जेड की मानसिकता का हिस्सा है, लेकिन दीर्घकालिक करियर लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध होने के लाभों को पहचानना महत्वपूर्ण है। वैसे जेनरेशन जेड भारतीय अर्थव्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। लिहाजा उनकी तकनीकी दक्षता, उद्यमशीलता का सौच और मजबूत उपभोक्ता प्रभाव आर्थिक प्रगति को प्रोत्साहित करेंगे। दीर्घकालिक सफलता के लिए जेनरेशन जेड को सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना होग, लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता दिखानी होगी और प्रोफेशन के प्रति नैतिकता को मजबूत करना होगा। ऐसा करने से वे अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सकेंगे, आर्थिकी में मूल्यवान योगदान देंगे और कार्यबल में नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकेंगे।
नौकरी बाजार के निरंतर परिवर्तन के बीच, कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए ऐस कार्य वातावरण अनिवार्य है जो उत्पादकता, दक्षता व सामंजस्य को बढ़ावा दे। वहीं, नियोक्ताओं के लिए यह आवश्यक है कि वे जेनरेशन जेड की विशिष्ट प्राथमिकताओं और दृष्टिकोण को समझें एवं ऐसा वातावरण तैयार करें जो तकनीकी अनुकूलन, कार्य-जीवन संतुलन व दीर्घकालिक विकास के अवसरों को प्रोत्साहित करे। यदि कर्मचारी और नियोक्ता एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं, जहाँ कर्मचारी जिम्मेदारी, प्रतिक्रिया और बफादारी को अपनाएं और नियोक्ता अनुकूलनशीलता, प्रेरणा एवं समर्थन प्रदान करें तो यह न केवल व्यक्तिगत और संगठनात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा, बल्कि व्यापक अर्थव्यवस्था और समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन लाएगा।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल ‌ शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कोर चंद मलोट पंजाब
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