कोरोना की तीसरी लहर क्या ज्यादा भयावह होगी?
एक्सपर्ट्स फिर भी दे रहे हैं बेहद सजग रहने की सलाह
पंकज कुमार। कोरोना की तीसरी लहर (Corona Third Wave) को लेकर संशय की स्थिति बरकरार है. इस विषय पर एक्सपर्ट्स की राय अलग-अलग है. वैसे हाल ही में एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया (Randeep Guleria) ने बयान दिया है कि लोगों में कोरोना को लेकर देखी जा रही लापरवाही कुछ हफ्तों में तीसरी लहर की वजह बन सकती है. लेकिन कई एक्सपर्ट्स इस तरह की राय से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. एक्सपर्ट्स के बीच तीसरी लहर की टाइमिंग और घातकता (Severity) को लेकर अलग-अलग राय है. माना जा रहा है कि कई देशों में तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है, इसलिए भारत में भी इसका आना तय है.
हाल ही में आईआईटी ने मैथमेटिकल मॉडल (IIT Mathematical Model) के आधार पर भविष्यवाणी की है कि भारत में अक्टूबर और नवंबर महीने में तीसरी लहर आ सकती है, लेकिन इस मॉडल में वैक्सीनेशन (Vaccination) की प्रक्रिया को शामिल नहीं किया गया है. ज़ाहिर है वैक्सीनेशन ऐसा कॉस्ट इफैक्टिव (Cost Effective) मैकेनिज्म है, जिसके जरिए महामारी पर काबू पाया जा सकता है.
वैक्सीनेशन में तेजी का असर कैसा रहेगा?
21 जून यानि सोमवार को देश में 80 लाख के आसपास लोगों ने वैक्सीन लेकर रिकॉर्ड कायम किया है. 22 जून तक के आंकड़े पर नजर डालें तो देश में वैक्सीन का पहला डोज लेने वालों की संख्या तकरीबन 28 करोड़ तक पहुंच चुकी है. वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में तेजी को देखते हुए दावा किया जा रहा है कि आने वाले दिनों में ये संख्या रोजाना 1 करोड़ तक पहुंच सकती है. ज़ाहिर है ये सिलसिला जारी रहा तो अगले सौ दिनों में आंकड़ा सौ करोड़ तक जा सकता है जो कम से कम वैक्सीन का एक डोज ले चुके होंगे.
इतना ही नहीं वैक्सीन लेने का सिलसिला इस कदर जारी रहा तो अक्टूबर महीने तक 25 फीसदी लोग वैक्सीन का दोनों डोज ले चुके होंगे. साथ ही आबादी का बड़ा हिस्सा जो कोरोना वायरस से संक्रमित हुआ है वह तीसरी लहर के दरमियान इम्यूनिटी डिवेलप करने की वजह से कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं होगा. बिहार के चाइल्ड स्पेशलिस्ट और चमकी बुखार (AES) के एक्सपर्ट्स डॉ. अरुण शाह कहते हैं, हाल में एम्स और आईसीएमआर द्वारा की गई स्टडी से पता चला है कि 18 साल के ऊपर 60 फीसदी से ज्यादा लोग सीरो पॉजिटिविटी डिवेलप कर चुके हैं और वैक्सीन लगने की वजह से ये संख्या और बढ़ने वाली है. इसलिए तीसरी लहर की घातकता दूसरी लहर से ज्यादा होने की संभावना कम है.
डॉ शाह कहते हैं म्यूटेंट वायरस का प्रसार (Transmissibility)और घातकता (Virulence) तभी ज्यादा हो सकता है जब वह वैक्सीन और नेचुरल इम्यूनिटी की वजह से पैदा हुए इम्यूनिटी को चकमा दे देता है, लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है. इसलिए कहा जा रहा है कि तीसरी लहर का असर दूसरी लहर की तुलना में कम होने की संभावना ज्यादा है.
एक्सपर्ट्स फिर भी दे रहे हैं बेहद सजग रहने की सलाह
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एक्टिव सर्विलांस के जरिए 3 फ़ीसदी पॉजिटिव सैंपल का जीनोमिक सिक्वेंसिंग होना बेहद जरूरी है, ताकी म्यूटेंट वेरिएंट पर सरकार की पैनी नजर बनी रहे. ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की सतत प्रक्रिया जारी रखने के साथ लोगों को कोविड अप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन सख्ती से किया जाना बेहद जरूरी है. इतना ही नहीं हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाना भी सरकारी योजनाओं का अहम हिस्सा होना चाहिए ताकी किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए हमारी तैयारी पूरी रहे.
चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ अरुण शाह कहते हैं कि बच्चों में वैक्सीनेशन नहीं होने के बावजूद सीरो पॉजिटिविटी वयस्क की तुलना में लगभग बराबर पाया गया है. दरअसल बच्चों में संक्रमण होने का खतरा तो रहता है, लेकिन उनमें इसका असर घातक होगा इसकी संभावना कम है. बच्चों में ACE2 रिसेप्टर की कमी होती है और इसके सहारे ही वायरस शरीर में जुड़ता है. इतना ही नहीं बच्चों में बेहतर इम्यूनिटी के साथ-साथ अलवर एंडोथेलियम (Alveolar Endothelium) रीजनरेट यानि की तैयार करने की क्षमता ज्यादा होती है इसलिए फेफड़े के खराब होने की गुंजाइश कम रहती है.