ममता के भतीजे से अमरिंदर के पोते तक पहुंची प्रशांत किशोर की जुगलबंदी, क्या गुल खिलाएगी ?
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का बयान चौंकाने वाला था
संयम श्रीवास्तव। कार्तिकेय शर्मा। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का बयान चौंकाने वाला था. उन्होंने कहा कि पंजाब के विधानसभा चुनावों में प्रशांत किशोर का काम टिकट बांटना नहीं होगा. अगर किसी ने ध्यान से प्रशांत किशोर के काम को समझा हो तो ये बात हास्यास्पद है. वो ऐसे बैकरूम ब्वॉय हैं जिनके बारे में दुनिया जानती है. वो पार्टी को चुनाव मुख्यमंत्री की चेहरे पर लड़ाते हैं लेकिन सबको पता रहता है कि दिमाग उनका ही है.
2015 में सबको पता था कि बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन की राजनीति किसकी है. यही नहीं वो मुख्यमंत्री के घर में ही रुके थे. उन्होंने पार्टी के हर फैसले लिए थे और बाद में पार्टी के उपाध्यक्ष भी बन गए थे. इसको लेकर नितीश से पार्टी में लोग नाराज़ भी थे, लेकिन सब चुप हो कर सिर्फ बैठे रहे. उस वक़्त बीजेपी को बिहार में रोकना प्राथमिता थी. आज भी प्रशांत किशोर विपक्ष की राजनीति की गोल्डन ब्वॉय हैं. स्टालिन से लेकर जगन मोहन रेड्डी से उनके निजी रिश्ते हैं.
पंजाब में पहले भी काम कर चुके हैं प्रशांत किशोर
ममता बनर्जी के चुनाव की कमान भी उन्होंने ही थाम रखी है. लेकिन उनके काम करने का तरीका ज़्यादा बदला नहीं है. वहां पार्टी के नेता कहते हैं की अब ममता बनर्जी नहीं बल्कि वो और अभिषेक बनर्जी मिल कर पार्टी चला रहे हैं. उन दोनों ने ही सारे टिकट तय किये और हर फैसले पर दोनों की ही नज़र रहती है. यहाँ भी पुराने नेता उपेक्षित महसूस करते हैं.
पंजाब का काम प्रशांत पहले भी कर चुके हैं. 2017 में कॉफ़ी विथ अमरिंदर उन्हीं के दिमाग की उपज थी. लेकिन उनको लेकर तब भी कांग्रेसी काफी नाराज़ थे. प्रशांत किशोर की हर बात नहीं मानी गयी, ये सच बात है. कांग्रेस ने प्रशांत किशोर की उत्तर प्रदेश और पंजाब में आधी अधूरी बात मानी थी. उत्तर प्रदेश में तो कांग्रेस निपट गई थी, लेकिन पंजाब में अमरिंदर आप और आकाली दोनों पर भारी पड़ गए थे. या यूं कहें की पंजाब ने कांग्रेस की इज़्ज़त रख ली थी. तब भी कांग्रेस के एक तबके का मानना था की अमरिंदर महाराज पटिआला हैं और पंजाबी उनके इस अंदाज़ को पसंद करते हैं. पंजाब में लोग उन्हें कप्तान बोलते हैं और उनको प्रचार का स्टाइल बदलना चाहिए जो बाद में अमरिंदर ने किया भी था.
अमरिंदर सिंह पर दबाव बनाने की हो रही है कशिश
तब भी टिकट को लेकर प्रशांत किशोर की सभी बातें नहीं मानी गयीं थी. लेकिन इस बार अख़बारों में फिर से कहानियां छपने लगी हैं कि प्रशांत टिकट बाटेंगे. वैसे कई लोगों का मानना है कि पंजाब के नेताओं ने ही ये खबर छपवाई है जिससे कप्तान पर प्रेशर बन सके और अमरिंदर को सफाई देनी पड़े जो अमरिंदर ने बाद में दी. असल बात ये है की स्थानीय नेताओं का मानना है की अगर प्रशांत ही टिकट तय कर देंगे तो वो क्या करेंगे और कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति क्या करेगी? दूसरी तरफ अमरिंदर खुद 30 प्रतिशत लोगों के टिकट काटना चाहते हैं जिसको लेकर विधायकों में भी खलबली मची हुई है.
क्या अमरिंदर के पोते निर्वाण के साथ पंजाब में मिलकर काम करेंगे प्रशांत किशोर
बहरहाल, प्रशांत क्या कर पाएंगे वो 2 मई के नतीजे बताएंगे. इसमें कोई शक नहीं कि प्रशांत किशोर एक सफल स्ट्रैटेजिस्ट हैं और ये जग ज़ाहिर है. लेकिन ये भी सच है की वो जहां भी जाते है उनका पार्टी के तंत्र पर पूरा-पूरा कब्ज़ा होता है. जिसको लेकर पार्टियों में गृह युद्ध सा हो जाता है. यह भी सुनने में आ रहा है कि वो अमरिंदर सिंह के पोते निर्वाण के काफी करीब हैं और निर्वाण अमरिंदर के पूरे परिवार में सबसे ख़ास हैं. तो जो जुगलबंदी अभिषेक और उनमें पश्चिम बंगाल में दिखी क्या वो निर्वाण के ज़रिये पंजाब में रंग लाएगी? इसके लिए थोड़ा इंतज़ार करना होगा.