कांग्रेस पार्टी को अभी से 2024 के लोकसभा चुनाव की चिंता क्यों सताने लगी है

अगला आमचुनाव (2024 General Election) अभी भी लगभग ढाई वर्ष दूर है

Update: 2021-09-25 06:43 GMT

अजय झा.

अगला आमचुनाव (2024 General Election) अभी भी लगभग ढाई वर्ष दूर है, पर कांग्रेस पार्टी (Congress Party) को अभी से 2024 की चिंता सताने लगी है. चिंता बेवजह भी नहीं है. पार्टी राहुल गांधी को एक बार फिर से, अगर संभव हो सके तो संयुक्त विपक्ष की और से, प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश करना चाहती है. पर सबसे बड़ी समस्या है राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के लिए एक सुरक्षित सीट की तलाश. 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अपनी खानदानी सीट अमेठी और केरल के वायनाड क्षेत्र से चुनाव लडें थे. 1967 में पहली बार अमेठी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी, और तब से ही अमेठी को कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता था.

52 वर्षों में 15 बार अमेठी की जनता ने लोकसभा चुनाव के लिए वोट डाला तथा और सिर्फ दो बार ही कांग्रेस पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा था. इमरजेंसी के बाद हवा कांग्रेस पार्टी के खिलाफ थी और कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन युवराज संजय गांधी पहली बार चुनाव लड़ रहे थे, पर पार्टी चुनाव हार गयी. दूसरा अवसर 1998 में आया जब कांग्रेस पार्टी छोड़ कर संजय सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे. संजय सिंह ने कांग्रेस पार्टी के कैप्टन सतीश शर्मा को हरा दिया और 2019 तीसरा अवसर था, जब कांग्रेस पार्टी से अमेठी के मतदाताओं ने मुहं मोड़ लिया था. 1980 में संजय गांधी, संजय गांधी और उनके निधन के बाद उनके बड़े भाई राजीव गांधी 1981 से 1991 के बीच लगातार चार बार, 1999 में सोनिया गांधी और 2004 के बाद लगातार तीन बार राहुल गांधी अमेठी सीट पर विजय हासिल करते रहे.
कांग्रेस से ज्यादा गांधी परिवार का गढ़ रहा है अमेठी
अमेठी कांग्रेस पार्टी की गढ़ से ज्यादा गांधी परिवार का गढ़ बन गया था. पर 2019 में राहुल गांधी केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए. राहुल गांधी को इसका आभास ज़रूर रहा होगा, वर्ना वह केरल के वायनाड से भी चुनाव नहीं लड़ते. भला हो वायनाड के मतदाताओं का कि 12 तुगलक लेन के बंगले पर राहुल गांधी के नाम की तख्ती लगी रही. वायनाड सीट 2009 में अस्तित्व में आया था और वहां से लगातार कांग्रेस पार्टी चुनाव जीतती रही थी. पर कुछ महीनों पहले केरल विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी के अथक प्रयासों के वावजूद भी कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा.
अब वायनाड को राहुल गांधी के लिए सुरक्षित सीट नहीं माना जा रहा है. लिहाजा कांग्रेस पार्टी की चिंता लाजमी है कि आखिर वह 2024 में चुनाव कहां से लडें. इसकी सम्भावना नगण्य है कि राहुल गांधी एक बार फिर से अमेठी का रुख करेंगे. अमेठी जाना उन्होंने बंद कर दिया है और स्मृति ईरानी के वहां से सांसद चुने जाने के बाद पहली बार अमेठी की जनता को अहसास हुआ है कि विकास का क्या मतलब होता है.ॉ
रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे राहुल गांधी?
गौरतलब है कि अभी हाल ही में अपने चार दिवसीय उत्तर प्रदेश दौरे में लखनऊ के बाद प्रियंका गांधी राय बरेली गयी थीं. रायबरेली अमेठी से सटा लोकसभा क्षेत्र है, जिसे अमेठी की ही तरह कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता है. 1952 और 1957 के आमचुनाव में राहुल गांधी के दादा फ़िरोज़ गांधी रायबरेली से सांसद चुने गए थे, फिर इंदिरा गांधी ने रायबरेली सीट से 1967 और 1971 में जीती थीं. 1971 में उनकी जीत में धांधली का आरोप लगा और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव 1975 में रद्द कर दिया, जिसका नतीजा रहा भारत के इतिहास का कला अध्याय इमरजेंसी.
नतीजतन 1977 में पहली बार राय बरेली में कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और इंदिरा गांधी जीत की तिकड़ी लगाने से चूक गयीं. 1980 में इंदिरा गांधी रायबरेली और आंध्रप्रदेश के मेडक क्षेत्र से चुनाव लड़ीं, दोनों क्षेत्रों से उन्हें सफलता हासिल हुई और इंदिरा गांधी ने रायबरेली सीट से इस्तीफा दे दिया. पर गांधी-नेहरु परिवार का वर्चस्व रायबरेली में कायम रहा. इसी परिवार से जुड़े 1980 के उपचुनाव में अरुण नेहरु और उनके बाद 1984 से लगातार तीन बार शीला कौल को रायबरेली की जनता का समर्थन मिला.
रायबरेली से सोनिया गांधी 2004 के बाद से जीतती आ रही हैं
2004 के चुनाव में सोनिया गांधी ने अमेठी की सुरक्षित सीट अपने बेटे राहुल गांधी को सौंप दी और खुद रायबरेली से चुनाव लड़ना शुरू किया और तब से सोनिया गांधी अब तक रायबरेली सीट लगातार जीतती आ रही हैं. 2019 के आमचुनाव में उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा क्षेत्रों में से रायबरेली ही अपवाद बना और कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश से एकलौती सीट जीतने में सफल रही.
पिछले कुछ वर्षों से सोनिया गांधी की तबियत ठीक नहीं चल रही है और जनता के बीच उन्होंने जाना छोड़ दिया है. इस बात की संभावना नहीं के बराबर है कि 2024 के चुनाव में सोनिया गांधी चुनाव लड़ेंगी. कांग्रेस पार्टी में मंथन चलना शुरू हो गया है कि क्या रायबरेली वह सुरक्षित सीट हो सकती है जहां से राहुल गांधी चुनाव जीत पाएंगे? उम्मीद यही है कि या तो राहुल गांधी नहीं तो उनकी बहन प्रियंका गांधी रायबरेली से अगली बार चुनाव लडेंगी. पर यह निर्णय अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद ही लिया जाएगा.
राहुल गांधी लोकसभा चुनाव हारते हैं तो उन्हें राज्यसभा से चुना जाएगा?
प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी रायबरेली लोकसभा क्षेत्र के अन्तरगत आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में अपनी पूरी शक्ति लगा देगी और अगर परिणाम कांग्रेस पार्टी के पक्ष के रहा तो शायद राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ते दिखेंगे, वर्ना उनके लिए सुरक्षित सीट की तलाश जारी रहेगी.
इतना तो तय है कि जबतक गांधी परिवार की पकड़ कांग्रेस पार्टी पर बरक़रार रहेगी तबतक 12 तुगलक लेन वाले बंगले पर राहुल गांधी के नाम की तख्ती लटकी रहेगी. लोकसभा चुनाव में हार भी गए तो उन्हें किसी ना किसी प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुन लिया जाएगा. पर अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस पार्टी की स्थिति थोड़ी नाजुक बन जाएगी और राहुल गांधी का कद पार्टी में घट जायेगा. रही बात राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी की तो अगर ऐसी स्थिति बन भी जाए कि राहुल गांधी लोकसभा चुनाव हार जाएं और विपक्ष सरकार बनाने की स्थिति में हो तो फिर भी यह चिंता का विषय कदापि नहीं है. ममता बनर्जी ने रास्ता दिखा दिया है कि कैसे एक नेता स्वयं चुनाव हारने के बावजूद पद पा सकता है.
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