नसीम अहमद खान, उप संचालक, जनसम्पर्क
छत्तीसगढ़, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और घने जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में ’एक पेड़ मां के नाम’ एक अनूठा वृक्षारोपण अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ मातृत्व का सम्मान, हरे-भरे परिदृश्य को और अधिक हराभरा बनाना है। इस अभियान के तहत हर व्यक्ति को अपनी मां के सम्मान में एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस विचार के पीछे एक गहरा भावनात्मक तत्व है, जो मां के अनमोल योगदान का प्रतीक है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर एक पेड़ मां के नाम वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ किया गया है। इस अभियान के अंतर्गत देश में सितम्बर 2024 तक 80 करोड़ एवं मार्च 2025 तक 140 करोड़ वृक्षों के रोपण का लक्ष्य है। ‘एक पेड़ मां के नाम‘ महावृक्षारोपण अभियान के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य में 2 करोड़ 75 लाख पौधों का रोपण एवं वन विभाग द्वारा वन एवं वनेत्तर क्षेत्रों में 03 करोड़ 95 लाख 85 हजार पौधों का रोपण किया किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्य में 4 जुलाई को ’एक पेड़ माँ के नाम’ वृक्षारोपण महाअभियान की शुरुआत की थी। उन्होंने रायपुर स्थित अपने निवास पर दहीमन का पौधा लगाया और नागरिकों से अपनी माँ के नाम पर एक पेड़ लगाने का आग्रह किया। सरगुजा क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला दहीमन का पौधा अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है और इसका उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में क्रियान्वित इस अभियान के तहत लोग अपनी माता कि सम्मान में पेड़ लगाने के अलावा अपनी आस्था के अनुसार देवी-देवताओं के नाम पर भी पौधे लगा रहे है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस अभियान के तहत वृक्षारोपण स्थलों का नामकरण स्थानीय देवी-देवताओं के नाम से करने का आह्वान किया है। सभी जिलों में ग्राम एवं पंचायत स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस अभियान के तहत आम, जामुन, बेल, कटहल, सीताफल, अनार, शहतूत, बेर, तेन्दू, गंगाईमली जैसे फलदार पौधे तथा लघु वनोपज एवं औषधीय प्रजाति के पौधों जैसे-हर्रा, बहेड़ा, आंवला, नीम, पुत्रजीवा, काला सिरस, रीठा, चित्रक आदि प्रजातियों के पौधों का रोपण हो रहा है। शहरी क्षेत्रों में छायादार प्रजातियां बरगद, पीपल, मौलश्री, कदम, पेल्ट्राफार्म, गुलमोहर, करंज, अशोक, अर्जुन के साथ अन्य प्रजातियों का रोपण किया जा रहा है। अभियान अंतर्गत सभी स्कूलों, छात्रावासों, आंगनवाड़ी केन्द्र, पुलिस चौकी, अस्पताल, शासकीय परिसर, शासकीय एवं अशासकीय भूमि, विभिन्न औद्योगिक संस्थानों की रिक्त भूमि पर इस महावृक्षारोपण अभियान के अंतर्गत वृक्षारोपण का कार्य किया जा रहा है।
वर्तमान समय में वनों की कटाई और प्रदूषण की बढ़ती समस्या को देखते हुए, इस अभियान का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण को सुरक्षित रखना है। हर व्यक्ति के जीवन में मां का स्थान विशेष होता है। इस अभियान के माध्यम से, लोग अपनी मां के प्रति अपने प्रेम और सम्मान को व्यक्त कर सकते हैं।
इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रचार-प्रसार विभिन्न माध्यमों, सोशल मीडिया, रेडियो, और टीवी के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। वन विभाग द्वारा विभिन्न प्रजातियों के पौधों की व्यवस्था की गई, जो स्थानीय वातावरण के अनुकूल हों। प्रत्येक जिले में वृक्षारोपण के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है, जहां जनसमुदाय अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हुए अपनी मां के नाम पर पौधा लगा रहे है। अभियान की शुरुआत के कुछ ही दिनों में अपार सफलता मिली।
छत्तीसगढ़ में एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत जून माह में 13 लाख और जुलाई माह में 01 करोड़ 38 लाख पौधों का रोपण किया जा चुका है। अगस्त माह के अंत तक राज्य में कुल 2 करोड़ 75 लाख पौधों का रोपण किया जाएगा। वन विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत 3 करोड़ 95 लाख 85 हजार से अधिक पौधे लगाकर वनीकरण एवं पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य में पेड़ लगाने का यह अभियान न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह मातृत्व का सम्मान करने का एक अनूठा तरीका भी है। यह अभियान न केवल छत्तीसगढ़ के लोगों को प्रकृति के प्रति जागरूक बना रहा है, बल्कि उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ने का काम भी कर रहा है।
पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए पेड़-पौधे लगाना जरूरी हैं। ये हमें जीवन के लिए आक्सीजन, खाने के लिए फल और गर्मी में छांव देते हैं। धरा को हरा-भरा करने एवं जीवन को बचाने के लिए पेड़ लगाना चाहिए। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने, धरती का तापमान कम करने, भूजल स्तर को ऊपर लाने और प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण योगदान होगा। इस प्रकार के अभियानों से हम एक हरित और स्वच्छ भविष्य की कल्पना कर सकते हैं।