हिंसा क्यों हुई, ममता दें जवाब
प. बंगाल में चुनाव परिणाम आने के बाद जिस प्रकार राजनीतिक हिंसक घटनाएं हुई हैं उनकी भारत के लोकतन्त्र में कोई जगह नहीं है
आदित्य चोपड़ा: प. बंगाल में चुनाव परिणाम आने के बाद जिस प्रकार राजनीतिक हिंसक घटनाएं हुई हैं उनकी भारत के लोकतन्त्र में कोई जगह नहीं है परन्तु ममता दीदी के तीसरी बार मुख्यमन्त्री पद की शपथ लेने के बाद अपेक्षा की जानी चाहिए कि प. बंगाल प्रदेश अपनी सर्वग्राही संस्कृति और राजनीतिक तीक्षण्ता के आलोक में ऐसी घटनाओं को अक्षम्य करार देते हुए सम्पूर्ण शान्ति के माहौल में अपने विकास के लिए अग्रसर होगा। निश्चित रूप से यह जिम्मेदारी हाल के चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाली ममता दी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी की ही होगी कि वह राजनीतिक समरसता का माहौल तैयार करे। तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जिस तरह भाजपा कार्यकर्ताओं व इस पार्टी के कार्यालयों पर हमला किया है उससे अभी तक एक दर्जन लोगों की जानें जा चुकी हैं। यह पूरी तरह तृणमूल को कठघरे में खड़ा करने की स्थिति है। इसका उत्तर ममता दी को देना ही होगा परन्तु इसके साथ ही हमें इस तथ्य पर भी गौर करना होगा कि चुनावी दौर में प. बंगाल के सामाजिक व राजनीतिक वातावरण में जो जहर घोला गया है उससे इस प्रदेश की लहलाती हरी-भरी जमीन में एेसी 'खरपतवार' भी पैदा हो गई है जिसने इसके सामाजिक माहौल में नफरत का 'बैक्टीरिया' छोड़ दिया है। ममता दी का पहला दायित्व यही होगा कि वह इस बैक्टीरिया का जड़-मूल से विनाश करें और प. बंगाल को उसका वह रुतबा बख्शें जिसके लिए इसकी संस्कृति भारतीय उपमहाद्वीप का 'कोहेनूर' समझी जाती है। अगर ममता ने राजनीतिक हिंसा करने वालों पर नकेल नहीं कसी तो उन्हें जवाब देना ही पड़ेगा।